भारत में आयकर का इतिहास एवं बदलता स्वरूप

 

विजय अग्रवाल1, सुश्री पायल शर्मा2

1प्राध्यापक वाणिज्य, शा.जे.यो. छत्तीसगढ़ महा., रायपुर

2सहा.प्राध्यापक, एन.सी. आर.. काॅलेज, खरोरा

 

 प्रस्तावनाः

ऽ  भारत में आयकर की धारणा सर जेम्स विल्सन द्धारा सन् 1860 में पनपी।

ऽ  आयकर अधिनियम 1866 में पारित हुआ जो 1860 पर अधारित था।

ऽ  1886 अधिनियम में कृषि आय को कर मुक्त धोषित कर दिया गया।

ऽ  1919 में भारत सरकार अधिनियम पारित हुआ जिसमें आयकर केन्द्र सरकार का विषय बना

ऽ  आयकर 1 अप्रेैल 1962 से प्रभावी हुआ।

ऽ  अधिनियम में सुधार हेतु कई कमेटियों का गठन।

ऽ  चोैकसी कमेटी तथा राजा चलैया कमेटी प्रमुख रही।

ऽ  आयकर बिल की खामियों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षण (2001-2014)

ऽ  विवेचन पत्र जारी (15.09.2010)

 

हम भारत में आयकर के इतिहास को संक्षेप में निम्नलिखित भागों में बांटकर सरलता से समझ सकतेहैं।

 

आयकर का प्रारंभ भारत में सन् 1860 में ’’सर जेम्स विल्सन’’ ने आयकर लगाकर किया। 1857 में स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति के कारण अंगे्रजी सरकार को भारी हानि उठानी पड़ी, जिससे गंभीर वित्तीय संकट उत्पन्न हो गया और इसे पूरा करने के लिए दण्डात्मक रूपमें यह कर लगाया गया। इस अधिनियम के अन्तर्गत, वेतन एव ंपेंशन प्रतिभूतियों से आय भूमि (जिसमें कृषिआय भी शामिल थी) सम्पत्ति से आय तथा व्यापार एव ंपेशे की आय पर कर लगाया जाता था।

 

1861 से 1960

आयकर अधिनियम, 1866 आयकर अधिनियम 1860 पर आधारित था। इस अधिनियम में 1863, 1867, 1871, 1873 एवं 1878 में विभिन्न प्रकार के संशोधन किये गये। 1886 के अधिनियम में कृषि आय को करमुक्त घोषित कर दिया गया। सन् 1918 में एक नया आयकर अधिनियम पारित किया गया जिसमें आयकर को स्थायित्व दिया गया तथा आयकर की दरेंऊंची कर दी गई।

 

सन् 1919 में भारत सरकार अधिनियम पास हुआ जिसमे ंआयकर को केन्द्र सरकार का विषय बना दिया गया। इस अधिनियम की मुख्य बातें निम्नलिखित थी-

;पद्ध 1924 मेंकेन्द्रीय राजस्व बोर्ड की स्थापना।

;पपद्ध      आयकर के साथ अधिभार लगाने की व्यवस्था।

;पपपद्ध     कर की दरों के लिए वित्त अधिनियम मे ंप्रावधान।

;पअद्ध      गतवर्ष की आय पर चालू वर्ष में कर-निर्धारण के सिद्धांत का प्रतिपादन।

 

1961 से 2000 तक- (प्दबवउम ज्ंग ।बजए 1961)

यह अधिनियम 1 अप्रैल, 1962 से प्रभावी हुआ। यह अधिनियम 298 धाराओं, अनेक उपधाराओं एवं 14 अनुसूचियों में विभाजि तथा। इस अधिनियम के लिए आयकर नियमावली, 1962 बनाई गई। इस अधिनियम में सबसे महत्वपूर्ण संशोधन सन् 1987 में किया गया।

 

इस संशोधन के अनुसार करदाताओं को पृथक-पृथक गत वर्ष रखने के स्थान पर एक ही गत वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक रखना अनिवार्य कर दिया गया।

 

इस अधिनियम मे ंसुधार करने के लिए भारत सरकार ने समय-समय पर कई कमेटिया गठित की तथा उनकी सिफारिशों को अधिकतर कार्यान्वित भी किया। इसमें प्रमुख है-चैकसी कमेटी तथा राजाचलैया कमेटी। आयकर अधिनियम 1961 इतने संशोधन के कारण आयकर पदाधिकारियों एवं करदाताओं के लिए बहुत जटिल हो गया है। अतः समय-समय पर एक नए आयकर अधिनियम की मांग उठती रही है। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(23क्) में संशोधन, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के अंतर्गत अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक का निर्गमन।

 

2001 से 2014

सर्वसाधारण ने बिल में अनेक खामियों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। सरकार ने सर्वसाधारण के विचारों को ध्यान में रखते हुए 15.09.2010 को एक विवेचन पत्र जारी किया। जिसमें यह बताया गया कि प्रत्यक्ष कर संहिता बिल, 2009 में किन-किन क्षेत्रों में बदलाव की आवश्यकता है। सरकार ने 30.08.2010 को संसद में एक नया प्रत्यक्ष कर संहिता बिल, 2010 प्रस्तुत किया परंत ुनया अधिनियम अभी तक संसद द्वारा पारित नहीं किया गया है।

 

निष्कर्षः

आयकर्र आिथर््ाक विषमता दूर करने का सरकार द्धारा किया जाने वाला सकारात्मक प्रयास हेै। आयकर की दरों से आगामी कर निर्धारण को आधार मिलेगा। इस शोध पत्र से करदाता पायेगें कि गत 10 वर्षों से अब तक कर दरो ंमे ंक्या बदलाव आया हैं। आयकर की बदलते स्वरूप के आधार पर शासन को विभिन्न जन हितकारी योजनाओं में सरलता होगी।

 

संदर्भ ग्रंथ सूचीः

1.  आयकरविधार एव ंलेखे

2.  आयकरविधान एव ंलेखे

3.  इंटरनेट

4.  मासिक बजट 2014-15

 

Received on 14.03.2015       Modified on 28.03.2015

Accepted on 31.03.2015      © A&V Publication all right reserved

Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 3(1): Jan. – Mar. 2015; Page 24-26

 

 

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