सार्क देशों के मध्य महिला सशक्तिकरण पर वैश्वीकरण का प्रभाव: एक तुलनात्मक अध्ययन
ममता वर्मा1, नीलम अग्रवाल2
1शोधार्थी, अर्थशास्त्र अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.).
2विभागाध्यक्ष, अर्थशास्त्र शासकीय महाप्रभु वल्लभाचार्य स्नात्कोत्तर महाविद्यालय, महासमुंद (छ.ग.
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शोध सारांशरू
शोध पत्र में सार्क देशों के मध्य महिला सशक्तिकरण पर वैश्वीकरण के प्रभाव का अध्ययन किया गया है। जिसके अंतर्गत सार्क देशों में महिला सशक्तिकरण एवं जी.डी.पी. की वृद्धि दर का विश्लेषण किया गया है। सर्वप्रथम जी.डी.पी. (साधन लागत पर) वृद्धि दर जिसमें सार्क देशों को सम्मिलित किया गया है एवं आंकड़े 2012 से 2016 तक दर्शायी गयी है, द्वितीय भाग में महिला एवं सशक्तिकरण की सार्क देशों में महिला प्रमुख परिवार एवं देश की संसद में महिलाओं का प्रतिशत से संबंधित 2012 से 2016 तक की आंकड़ों को लिपिबद्ध किया गया है। सार्क संगठन का उद्देश्य दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए जीवन की उनकी गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए इस क्षेेत्र में आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास में तेजी लाने और सभी व्यक्तियों को स्वाभिमान के साथ रहने और अपनी पूरी क्षमता का एहसास कराने का अवसर प्रदान करने के लिए, आर्थिक, सांस्कृतिक, तकनीकी, सामाजिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग और आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है।
कुँजी शब्दरू महिला सशक्तिकरण, जी.डी.पी. वृद्धि दर, सार्क।
1. प्रस्तावनाः-
वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपान्तरण की प्रक्रिया है। इससे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया आर्थिक, तकनीकि सामाजिक और राजनीतिक ताकतों का समायोजन है। वैश्वीकरण की अवधारणा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद व्यापक रूप से सामने आई।
सार्क देशों का गठन 1981 में हुआ। दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की स्थापना 8 दिसम्बर 1985 को बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालद्वीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के प्रमुखों द्वारा की गई। इस संगठन का उद्देश्य दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए इस क्षेेत्र में आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास में तेजी लाने और सभी व्यक्तियों को स्वाभिमान के साथ रहने और अपनी पूरी क्षमता का एहसास कराने का अवसर प्रदान करने के लिए, आर्थिक, सांस्कृतिक, तकनीकी, सामाजिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग और आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है। अपै्रल 2007 को भारत के प्रयास से इस क्षेत्रीय समूह में अफगानिस्तान को शामिल किया गया और आंठवा सदस्य बन गया। सार्क देशों का समूह विकासशील देशों का समूह है। वैश्वीकरण के दौर में गठित इस संगठन में आर्थिक, सामाजिक अर्थात् शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला उत्थान के क्षेत्र में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। फिर भी यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ है।
वैश्वीकरण के इस दौर में इस क्षेत्र की महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है या नहीं? यह हमें देखना होगा कि क्या समय के साथ इस क्षेत्र में महिलाओं को लक्षित कर, नीति निर्माताओं ने नीतियां एवं योजनाएं बनायी हैं? इन नीतियों एवं योजनाओं का क्या प्रभाव पड़ा है? इसके बारे में विश्लेषण जरूरी है। इन देशों के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर का सीधा सम्बन्ध आर्थिक एवं सामाजिक विकास से है।
2. अध्ययन के उद्देश्यः-
(अ) सार्क देशों में महिला सशक्तिकरण का अध्ययन करना।
(ब) जी.डी.पी. की वृद्धि दर का अध्ययन करना।
3. जी.डी.पी. का वास्तविक विकास दरः-
यहां वैश्विक समूह के अंतर्गत सार्क समूह वाले देश का अध्ययन किया गया है। जिसमें 2012 से 2016 तक की आंकड़ों को प्रस्तुत किया गया है। सर्वप्रथम 2012 में सर्वाधिक विकास दर अफगानिस्तान जो की 17.30 प्रतिशत की दर से जी.डी.पी. में योगदान रहा। अफगानिस्तान के पश्चात द्वितीय स्थान में भूटान, जिसका विकास दर 11.77 प्रतिशत रहा, ठीक उसी तरह क्रमशः भारत, श्रीलंका, बांगलादेश मालद्वीव, नेपाल एवं अंतिम स्थान में पाकिस्तान जिनका विकास दर क्रमशः 9.6, 8.00, 5.80, 5.50, 4.60 तथा 3.00 प्रतिशत विकास दर रहा। इस तरह से अफगानिस्तान का 2013 एवं 2014 में विकास दर स्थिर रही परन्तु यह 2016 में ऋणात्मक वृद्धि आयी जो -2.4 प्रतिशत की विकास दर पर जा कर सिमित रही। बांग्लादेश की जी.डी.पी. 2013 में यथा स्थिर रही एवं 2014 में 6.03 तथा 2016 में यह बढ़ कर 6.55 प्रतिशत विकास की दर जी.डी.पी. में योगदान रहा। भूटान की जी.डी.पी. 2013 में 11.77 जो यथा स्थिर रही एवं जो 2012 की तुलना में घटकर 4.62 तथा यह 2016 में कुछ प्रतिशत बढ़कर 5.46 प्रतिशत विकास दर रहा। भारत के संदर्भ में भी 2013 में यथा स्थिर रही परन्तु 2013 के सापेक्ष 2014 में यह घटकर 4.5 तथा 2016 में भी 4.5 प्रतिशत तक सीमित रही, जो भारत के लिए चुनौती है।
तालिका-1 जी.डी.पी. का वास्तविक विकास दर
देश/वर्ष 2012 2013 2014 2016
अफगानिस्तान 17.30 17.30 17.30 -2.4
बांग्लादेश 5.80 5.80 6.03 6.55
भूटान 11.77 11.77 4.62 5.46
भारत 9.60 9.6 4.5 4.5
मालद्वीव 5.50 5.5 0.9 0.9
नेपाल 4.60 4.6 3.65 4.58
पाकिस्तान 3.00 3.00 3.59 4.24
श्रीलंका 8.00 6.4 7.3 4.8
स्रोतः-केन्द्रिय सांख्यिकी अन्वेषण, काठमाण्डु नेपाल 2016.
मालद्वीव के संदर्भ में 2013 में पिछले वर्ष की अपेक्षा को परिवर्तन नहीं हुआ, 2014 में विकास दर में गिरावट आई जिससे 0.9 प्रतिशत विकास दर तक ही सीमित रही एवं 2016 तक भी कोई परिवर्तन नहीं आया। नेपाल में 2013 में 4.6 तक विकास दर रहा एवं 2014 में यह घटकर 3.65 तथा 2016 में इसमें वृद्धि रही जो 4.58 तक सीमित रही। 2013 मंे पाकिस्तान की विकास दर 3.00 तथा 2014 में बढ़कर 3.59 एवं 2014 में यह बढ़कर 4.24 ही रहा। अंतिम रूप से सार्क समूह की श्रीलंका की जी.डी.पी. की वास्तविक वृद्धि दर 2013 में घटकर 4.6 जो 2014 मंे बढ़ी 7.3 तथा यह 2016 में घटकर 4.8 तक ही सीमित रही।
4. महिला एवं सशक्तिकरणः
आज देश एवं समाज के निर्माण एवं विकास में महिलाएं बहुत महत्वपूर्ण भमिका निभा रही है, साथ ही देश के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में भी कदम बढ़ा रही है, अतः उनकी सामाजिक, आर्थिक, स्थिति मजबुत बनाने के लिए संरचनात्मक बाधाओं को कम कर उन्हे साक्षरता, स्वास्थ्य, आवास, ऋण एवं वित की उपलब्धता, रोजगार के अवसर आदि प्रदान करने होंगे ताकि वे आत्मनिर्भर होकर सशक्त हो सके।
5. शोध प्रविधिः-
यह अध्ययन द्वितीयक समंकों पर आधारित है। सर्वप्रथम आंकड़ों का संग्रहण सार्क देश के केन्द्रिय अन्वेषण से प्राप्त किया। जिसमें 2012 सें 2016 तक के आंकड़े लिपीबद्ध की गई है तथा महिला एवं सशक्तिकरण के संदर्भ में भी 2012 से 2016 तक के आंकड़े सार्क देशों के समूहों को दर्शाया गया है। इन सारणीयों का विश्लेषण माध्य, एवं संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर के द्वारा किया जाएगा।
6. सुझावः-
ऽ सार्क देशों के बीच आपसी संबंध बनाये रखना जिससे राजनैतिक, भौगोलिक क्षेत्र की सीमा अपने स्तर तक बन रहेगी।
ऽ दो देशों के बीच अष्पृश्यता समाप्त करने के लिए अन्य सार्क देशों द्वारा उस अध्ययन को समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
ऽ महिला सशक्तिकरण को सुदृढ़ एवं अत्यधिक प्रभावशाली बनाये रखें।
ऽ जी.डी.पी. की विकास दर में कमी होने पर उसके कारणों का पता लगाकर समाधान किया जाना चाहिए।
7. परिणामः-
तालिका-3 जी.डी.पी. का वास्तविक विकास दर
देश
वर्ष अफगानिस्तान बांगलादेश भूटान भारत मालद्वीव नेपाल पाकिस्तान श्रीलंका
2012 17.30 5.80 11.77 9.60 5.50 4.60 3.00 8.00
2013 17.30 5.80 11.77 9.6 5.5 4.6 3.00 6.4
2014 17.30 6.03 4.62 4.5 0.9 3.65 3.59 7.3
2016 -2.4 6.55 5.46 4.5 0.9 4.58 4.24 4.8
डमंद 12.98 6.05 8.01 7.05 3.20 4.35 13.83 6.25
ब्।ळत् -38.9 1.00 -9.1 -7.4 -12.6 -1.3 -45.3 -5.9
स्त्रोतः-केन्द्रिय सांख्यिकी अन्वेषण, काठमाण्डु नेपाल 2016.
उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि अफगानिस्तान की जी.डी.पी. का वास्तविक विकास दर का माध्य 12.98 तथा संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर (ब्।ळत्)-38.9 प्रतिषत की वृद्धि हुई है। बांग्लादेष की जी.डी.पी. का वास्तविक विकास दर का माध्य 6.05 तथा संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर (ब्।ळत्) 1.00 की वृद्धि दर रही। ठीक उसी तरह भूटान का माध्य 8.01 तथा संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर (ब्।ळत्)-9.1 ऋणात्मक वृद्धि रहा। इसी तरह भारत की जी.डी.पी. की वास्तविक विकास दर का माध्य 7.50 तथा संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर (ब्।ळत्)-7.4 प्रतिषत रहा, क्रमषः नेपाल का माध्य 4.35 तथा संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर (ब्।ळत्)-1.3, पाकिस्तान का माध्य 13.83 तथा संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर (ब्।ळत्)-45.3 यह सबसे अधिक वृद्धि दर को दर्षाती है। ठीक उसी तरह श्रीलंका का माध्य 6.25 एवं संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर (ब्।ळत्)-5.9 रहा।
8. निष्कर्षः-
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के पश्चात वैष्वीकरण की अवधारणा समुचे विश्व में प्रभावशील रहा जिसके परिणाम स्वरूप देश एवं पड़ोसी देशों के मध्य संबंध को लेकर चर्चा में रही जिससे सार्क देशों का संगठन इसी का परिणाम है। दक्षेस दक्षिण एशियाई देशों की संगठन भारत एवं अन्य पड़ोसी देशों के मध्य घनिष्ठ संबंध को एक सार्थक रूप प्रदान करने में सहायक है। सार्क देशों की सहायता में अहम भूमिका महिला सशक्तिकरण का है। महिला सशक्तिकरण द्वारा सार्क को विकास दर में 5 प्रतिशत से भी ज्यादा अपनी वित्तीय सहायता देने में सहायक है। जी.डी.पी. की विकास दर सबसे अधिक सार्क देषों में अफगानिस्तान द्वारा सहायता प्राप्त होती है परन्तु यह वर्तमान में ऋणात्मक वृद्धिदर को प्रदर्षित-2.4 प्रतिशत के रूप में दिखाया गया है। भारत की बात की जाये तो यह सार्क देशों में अपनी जी.डी.पी. महिला सशक्तिकरण में तृतीय स्थान पर स्थित है।
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन एवं महिला शक्तिकरण दोनों की विकास की दर देष में योगदान एक अहम भूमिका प्रदान करती है। इसे सुचारू रूप से सकल बनाने हेतु देष एवं पड़ोसी देषों के बीच अपनी आपसी सहयोग की भावना को एक सुदृढ़ रूप से बनाये रखना आवष्यक है।
9. संदर्भ ग्रंथ सूची
1. केन्द्रीय संख्यिकी अन्वेषण 2016 काठमाण्डु, नेपाल, रिपोर्ट 2016.
2. जोसयी, मथाई (1996) ‘‘मध्यप्रदेश में महिला उद्ययमिता विकास कार्यक्रमों का मुल्यांकन’’ कुरूक्षेत्र, पेज 17.
3. नाथ, कमल (1968) ‘‘महिलाओं की भारत में कार्यक्षमता’’ आर्थिक समीक्षा, अगस्त 1968.
4. परासर, रामदेव (1988) ‘‘बदलते परिवेश में महिला ग्रामीण विकास कार्यक्रम योजना’’, 31 मई 1988.
5. सुभाष सेतिया (2009) ‘‘ग्रामिण महिलाओं गौरव स्व-सहायता समूह’’, अक्टूबर 2006, पृष्ठ 43.
6. शर्मा, रजनी (2009) ‘‘ग्रामीण महिला सशक्तिकरण में मीडिया की भूमिका एक विश्लेषण’’ शोध प्रकल्प, अंक 46, 2009.
Received on 07.05.2018 Modified on 15.06.2018
Accepted on 26.06.2018 © A&V Publications all right reserved
Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(2): 165-168 .