पर्यटन की दृष्टि से पुट्टपर्ती में होटल व्यवसाय की सम्भावनाएं एंव विकास

 

डाॅ. पुनीता मिश्रा

अतिथि विद्वान (वाणिज्य), शा. कन्या महाविद्यालय, सतना (0प्र0)

ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्.उंपसरू

 

सारांश:-

जब व्यक्ति अपने निवास स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर जाकर वहां कुछ समय तक रूकता है तो व्यक्ति की यही क्रिया पर्यटन कहलाती है। पुट्टपर्ती वह स्थान है जहां पूरे विश्व के लोग भारी संख्या में प्रतिदिन आते है। यह स्थान पर्यटन स्थलों की दृष्टि से धनी है। यहां पर होटल का समुचित विकास है। होटल व्यवसाय द्वारा विभिन्न लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। इससे क्षेत्रिय लोगांे को रोजगार प्राप्त होता है। उनकी प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है। सरकार को भी कर के रूप में होटलों से राजस्व प्राप्त होता है। पुट्टपर्ती में होटल सेवा क्षेत्र के विस्तार की अनंत संभावनाये है। पुट्टपर्ती के पर्यटन स्थलों में होटल व्यवसाय, आर्थिक विकास का अच्छा साधन बन गया है। होटल सेवा क्षेत्र के विकास से विदेशी पूँजी निवेश की अपार संभावनाये और बढ़ गई हैं। इसलिये पर्यटन की दृष्टि से पुट्टपर्ती में होटल व्यवसाय की सम्भावनाए एंव विकास क्षेत्र का चयन किया गया है।

 

मुख्य शब्दः-पर्यटन स्थल, होटल व्यवसाय, सेवा क्षेत्र।

 

 

प्रस्तावनाः-

पुट्टपर्ती आन्ध्र प्रदेश का एक छोटा सा गाँव है। जहाँ श्री सत्य बाबा ने जन्म लिया। भारत गाँवों का देश है इसकी लगभग दो तिहाई आबादी गाँवों में निवास करती है। ग्रामीण क्षेत्रों का जीवन स्तर ऊँचा उठाए बिना राष्ट्र का विकास होना असंभव है आज भारत विश्व में मजबूत आर्थिक शक्ति के रुप में उभर रहा है। विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की चैथी बड़ी अर्थव्यवस्था हो गई है। भारत में औद्योगिक उत्पादन दर तथा आर्थिक विकास दर औसतन बढ़ी है।

 

पर्यटन स्थलों की दृष्टि से पुट्टपर्ती केवल भारत के लागों की अपितु विदेशी सैलानियों को भी अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम है। भारत में सबसे ज्यादा विदेशी सैलानी इसी स्थान पर आते है। लगभग 200 से अधिक देशों के लोग अपने मन की शान्ति और सही मार्ग दर्शन एंव आर्शिवाद पाने के लिए यहाँ आते है। पुट्टपर्ती अनन्तपुर से 80 कि0 मी0 की दूरी पर स्थित है। पुट्टपर्ती के मन्दिर एंव आश्रम सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु अंतराष्ट्रीय मानचित्रों में भी पर्यटन की दृष्टि से विशिष्ट स्थान बनाये हुये है। यहाँ के मन्दिरों की कला अद्वितीय है।

 

सौन्दर्य और भक्ति की ऐसी मिशाल दुर्लभ है इसलिए प्रतिदिन लगभग 2,000 लोग आते है। त्यौहारों और जी सत्य साई बाबा  के जन्मदिन में तो यह संख्या बढ़कर लगभग 1,00,000 से भी अधिक हो जाती है। जहां पर्यटन स्थल होते हैं वहा होटल व्यवसाय निश्चित रूप से फल फूल रहता है क्योंकि जो पर्यटक घुमने आएंगे वे निश्चित रूप से वही रूकेंगे इसलिए पुट्टपर्ती के पर्यटन स्थलों में होटल व्यवसाय का विकसित होना स्वाभाविक है। इन होटलों में जहां एक ओर पर्यटको को ठहरने रूकने भोजन एंव मनोरंजन की सुविधाएं मिलती है वहीं दूसरी ओर अनेक व्यक्तियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार मिलते है। होटल व्यवसाय की दृष्टि से यह राज्य काफी समृद्ध है। यहाँ फाइव स्टार से लेकर साधारण श्रेणी तक के अनेक होटल आने है। यहाँ पर अनेक निजी होटल संचालित है। पुट्टपर्ती एक अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल है। यहां पर सभी श्रेणियों के होटल उपलब्ध है। इसलिए इनका अघ्ययन हो सकेगा। यहां का मौसम पूरे साल भर गर्म और सूखा हुआ रहता है। हल्की बारिश जून, अगस्त, अक्टूबर, और दिसम्बर में होती है। देखने योग्य जगह यहां पर प्रार्थना हाॅल हैं। जो आश्रम के अंदर है। गणेश मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, गायत्री मंदिर ध्यान वृक्ष, म्यूजियम, सर्वधर्म स्तूप जनरल अस्पताल, सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल, प्लैनिटोरियम, म्यूजिकल स्कूल, यूनिर्वसिटी जन्मस्थान, हनुमान मंदिर, कृष्ण मंदिर, कल्पवृक्ष, हनुमान टाॅप, चित्रावटी नदी, आदि अनेक स्थान है। बाबा के चमत्कार ओर कीर्ति विदेशियों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र हैं। साक्षात सत्य साईं बाबा के दर्शन करने भारी संख्या में विदेशी यहां आते है। साई बाबा में अपने कुल देवता के दर्शन पाने के लिये लोग आतुरता से यहां आते हैं, यहां का माहौल भक्ति से ओत - प्रोत है। विदेशियों के इतनी संख्या में आने से भारत की विदेशी मुद्रा में बहुत बढ़ोत्तरी हुई है। और भारतीय संस्कृति का बोलबाला पूरे विश्व में हो गया है।

 

प्रस्तुत शोध प्रबंध के उद्देश्य की प्राप्ति हेतु आन्ध्र प्रदेश के अनन्तपुर के पुट्टपर्ती क्षेत्र का चयन सोद्देश्य पद्धति से किया गया है।

 

यह शोध निम्न कारणों की वजह से किया गया हैः-

 

 

इस शोध के निम्नलिखित उद्देश्य निर्धारित किये गये हैः-

   शासन द्वारा पर्यटन क्षेत्र की स्थापना में निहित उद्देश्यों एंव उपयोगिता के क्षेत्र में पर्यटन स्थलों की उपलब्धियों का मूल्यांकन करना।

   पुट्टपर्ती में पर्यटन स्थलों एंव होटल सेवा क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरुप पर्यटन विभाग की योजनाओं गतिविधियों एंव सुविधाओं की पर्याप्तता, अपर्याप्तता का विश्लेषण करना।

   पर्यटन की नई संभावनाओं का पता लगाना।

   विदेशी पूँजी निवेश की प्राप्ति।

   पर्यटन की नई संभावनाओं का पता लगाना।

   पर्यटकांे की प्रतिवर्ष आवक बाजार की संभावनाये आदि को प्रस्तुत करना।

   पर्यटन स्थलों पर यातायात के विकास का मूल्यांकन करना।

   पर्यटन स्थल एंव होटल सेवा क्षेत्र मंे निर्धारित लक्ष्यों एंव सुविधाओं की तुलनात्मक कर उनकी विवेचना करना।

   पर्यटन स्थलों एंव होटल सेवा क्षेत्र की समस्याओं की चिन्हित करना।

   पर्यटन स्थलों एंव होटल व्यवसाय के विकास हेतु उपयोगी सुझाव प्रस्तुत करना।

   ग्रामीण हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ावा।

   निर्यात उद्योग को बढ़ावा।

   उपरोक्त उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु पुट्टपर्ती श्री सत्य सांई प्रशान्ति निलयम का विशिष्ट अध्ययन किया जायेगा।

 

शोध प्रविधि:-

शोध प्रविधि या अध्ययन प्रविधि का तात्पर्य किसी भी कार्य को सम्पादित करने के उपयुक्त तरीके से है। ज्ञान के क्षेत्र में शोध कार्य अपरिहार्य है। वर्तमान युग में शोध या अनुसंधान का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि किसी भी क्षेत्र से संबंधित तथ्यों का प्रमाणीकरण, नवीनीकरण, एवं सत्यापन अनुसंधान के द्वारा ही किया जा सकता है। प्रस्तुत अध्ययन प्राथमिक एवं द्वितीयक समंको पर आधारित है। प्राथमिक आंकड़ों के संकलन के लिये विचार पूर्वक निदर्शन प्रविधि का उपयोग किया गया है। चयनित सूचनादाताओं से साक्षात्कार अनुसूची द्वारा सूचनायें संकलित की गयी है तथा सहभागी अवलोकन का भी यथा स्थान उपयोग किया गया है। द्वितीयक आंकड़ो के लिये समाचार पत्र, पत्रिका, सरकारी सांख्यिकी आंकड़े, पुस्तके इन्टरनेट का प्रयोग किया गया है।

न्यादर्शो का चयन:-

प्रस्तुत शोध पत्र में निर्देशन के लिये ग्राम पुट्टपर्ती़ की 3500 जनसंख्या के समग्र में से जनजातीय समाज की 50 उत्तरदाताओं को सहविचार निदर्शन विधि से चुना गय है।

 

अध्ययन का क्षेत्र:-

पुट्टपर्ती आन्ध्र प्रदेश राज्य के अनन्तपुर जिले में स्थित है। इस स्थान को शायद कुछ लोग ठीक से जानते भी नही है। परन्तु यह स्थान विश्व पर्यटन का एक मुख्य केन्द्र बन गया है। यहाँ पर 200 से अधिक देशों के लोग घूमने और श्री सत्य साई बाबा के दर्शन करने के लिए आते है। यह क्षेत्र सुंदर पहाड़ियों से घिरा हुआ है पुट्टपर्ती जहा एक ओर प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है। वहीं दूसरी ओर चित्रावटी नदी और नारियल के पेड़ इसकी छटा को द्विगुणित है। यहाँ के दर्शनीय स्थल सहज ही दर्शनार्थियों का मन मोह लेते है। बाबा का आश्रम श्री सत्य साई प्रशान्ति निलयम पर्यटकों के लिये आकर्षक का केन्द्र बिन्दु है। यहाँ के मंदिर भी पुरातात्विक दृष्टि से अपना विशिष्ट महत्व रखते है।

 

परिकल्पनाः-

सांख्यकीय शोध अध्ययन में परिकल्पना की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शोधकर्ता शोध अध्ययन से पूर्व शोध समस्या के सम्बन्ध में एक अनुमान का निर्माण करता है जिसकी परख अवलोकन सांख्यिकी रीतियों के आधार पर करता है। इस दृश्टिकोण से परिकल्पना किसी भी अध्ययन को एक निश्चित दिशा देने में सहायक होती है। गुडे तथा हाॅट के अनुसार परिकल्पना सिद्धांत और शोध की बीच की एक आवश्यक कड़ी है जो अतिरिक्त ज्ञान की खोज में उपयोगी होती है। इन्होंने परिकल्पना को तीन प्रकार से वर्णन किया है।

 

   अनुभव सिद्ध समरूपताओं से सम्बन्धित परिकल्पनाएं इस प्रकार की कल्पनाएं व्यक्ति की जीवन विशेश में प्रचलित विचारों, कहावतों, मुहावरों, मान्यताओं विश्वासों पर आधारित होती है।

   आदर्श प्रारूप से सम्बन्धित परिकल्पनाएं इनमें वे परिकल्पनाएं आती है जिनका उद्देश्य तर्क पूर्ण ढंग से विभिन्न कारकों के बीच पाये जाने वाले सह सम्बन्ध को व्यक्त करना होता है।

   विश्लेषणात्मक चरों के सम्बन्धित परिकल्पनायें इस प्रकार की परिकल्पनाओं का उद्देश्य चरों के मध्य तार्किक अध्ययन के साथ-साथ विभिन्न चरों के मध्य पाये जाने वाले सह सम्बन्ध को भी व्यक्त करना होता है। 

   पुट्टपर्ती में होटल व्यवसाय पर्याप्त नहीं है। पर्यटकों को पर्याप्त सुविधायें होटलों में उपलब्ध नहीं है।

   पर्यटकों को सुविधा के अभाव के कारण पर्यटन उद्योग विकास नहीं कर रहा है।

   शासन द्वारा पर्यटन उद्योग पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

   पर्यटकों का उद्देश्य केवल धार्मिक स्थलों का दर्शन करना है कि अन्य विकासशील गतिविधियों का।

 

पुट्टपर्ती के पर्यटन स्थल:-

शोध छात्रा द्वारा शोध कार्य के लिये एकत्रित आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पुट्टपर्ती के पर्यटन स्थलों पर्यटकों की पसंद के हिसाब से श्रेणी दी गई, जो निम्न प्रकार से है।आन्ध्र प्रदेश के मुख्य 41 पर्यटन स्थलों की श्रेणी में पुट्टपर्ती को 16वें श्रेणी में रखा गया है।

क्रं0 पर्यटन स्थल  श्रेणी

1.  सांई कुलवन्त हाल     1

2.  गोकुलम       2

3.  श्री सत्य साईं इन्स्टीट्यूट आफ हायर मेडिकल साइन्स       3

4.  श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी      4

5.  गोपुरम 5

6.  श्री सत्य साईं आश्रम  6

7.  सर्वधर्म एक्य स्तम्भ  7

8.  चैतन्य ज्योति म्यूजियम      8

9.  श्री सत्य सांई हिल व्यू स्टेडियम      9

10. चित्रावती नदी  10

11. शिरडी साईं बाबा मूर्ति 11

12. श्री सत्य सांई स्पेस सेंटर      12

13. पूर्णचन्द्र आडोटोरियम 13

14. श्री सत्य सांई मीरपुरी म्यूजिक कालेज        14

15. कल्पवृक्ष       15

16. आनन्जय (हनुमान) स्वामी मंदिर    16

17. प्रशान्ति मंदिर 17

18. ध्यान वृक्ष     18

19. गांव की मस्जिद      19

20. शिवालयम (शिव का मंदिर)   20

21. सत्यभामा मंदिर       21

22. गोपाल स्वामी मंदिर   22

23. सनातन संस्कृति म्यूजियम   23

24. श्री राजू कल्याण मण्डपम्     14

25. श्री गायत्री मंदिर       25

26. सुब्रहमण्यम् मंदिर     26

27. समाधि 27

28. गणेश मंदिर   28

29. महालक्ष्मी मंदिर       29

30. नवग्रह 30

31. सांई गीता      31

32. सत्य सांई नगर       32

 

होटलों की स्थिति:-

पुट्टपर्ती में अनुमोदित एवं गैर अनुमोदित दोनों प्रकार के होटल मिलते हैं। वे होटल जिन्हें सरकारी मान्यता दी जाती है और वे कुछ निश्चित मानदण्ड रखते हैं, वो अनुमोदित होटल कहलाते हैं। अनुमोदित होटलों को सितारा ;ैपजंतंद्ध पद्धति में पुनः पांच सितारा डीलक्स, पांच सितारा, चार सितारा, तीन सितारा, दो सितारा तथा एक सितारा श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।

 

पुट्टपर्ती में रहने के लिये आश्रम के अंदर देशी एवं विदेशी पर्यटकों के लिये उत्तम व्यवस्थायें हैं। साथ ही साथ आश्रम के बाहर विभिन्न प्रकार के आधुनिक सुविधाओं से युक्त होटल है। पुट्टपर्ती में बहुत से होटल एवं गेस्ट हाउस हैं। जिनकी जानकारी सबको है। कुछ धर्मशालाएं भी है तथा कुछ जगह ऐसी भी है जिनकी जानकारी सबको नहीं है। शोध छात्रा द्वारा पुट्टपर्ती के होटलों की स्थिति का विश्लेषण करके पर्यटकों की पसंद के अनुसार रैंक दी गई है। जो निम्न प्रकार से है।

 

 

क्रमांक     होटल का नाम स्थिति (रैंक)

1.  रेनाइसेंस होटल        1

2.  सांई टाॅवर    2

3.  चेतन्य इंटरनेशनल होटल     3

4.  सांई वृंदावन   4

5.  श्री सांई सदन  5

6.  सांई मां होटल एण्ड रेसीडेन्सी 6

7.  श्री सांई प्लाजा होटल  7

8.  सत्यम् रिसोर्ट  8

9.  सांई रंजीत होटल      9

10. धर्मावरम् गेस्ट हाउस  10

11. होटल सांई पैराडाइस   11

12. सांई सुदर्शन लाॅज    12

13. सनशाइन लाॅज      13

14. मदुराई सांई लाॅज    14

15. होटल कोटा सत्यम्    15

16. सांई गणेश लाॅज     16

17. होटल सांई रेनीसेंस    17

18. ओम् कुमार लाॅज    18

19. सांई रंगा रेसीडेन्सी    19

20. ओम होटल    20

21. होटल सांई हैरिटेज     21

22. सांई गागा पुत्र होटल   22

23. जे0 वी0 आर0 गेस्ट हाऊस     23

24. होटल सांई गोकुल     24

 

शोध छात्रा ने 50 लोगों का साक्षात्कार लिया है जिससे यह निष्कर्ष निकला है कि 5/7 प्रतिशत लोग पुट्टपर्ती के होटलों से संतुष्ट है। यहां होटलों का किराया 500-4500 रूपये तक का है।

 

 

 

 

पर्यटक स्थलों का समग्रता से अध्ययन करने पर हम पाते हैं, कि सितारा श्रेणी के आवास इकाई का प्रतिशत 27.5, बजट श्रेणी के आवास इकाई का प्रतिशत 43.5 अतिथि गृह श्रेणी वाले आवास इकाई का प्रतिशत 10.1 तथा धर्मशाला श्रेणी वाले आवास इकाई का प्रतिशत 18.9 है। अतः उपरोक्त आधार पर व्याख्या की जा सकी है, कि प्रदेश के चयनित पर्यटन स्थलों में उपलब्ध आवास इकाई में बजट श्रेणी सर्वाधिक पसंद की जाती है।

 

पर्यटन स्थलों में आवास इकाई की स्वामित्व के आधार पर वर्गीकरण प्रतिशत वितरण -

 

 

   

उपरोक्त में आवास इकाई की स्वामित्व के आधार पर क्रमशः शासकीय, लिमिटेड, निजी एक एवं धर्मार्थ के रूप में चार स्तर में वर्गीकृत किया गया है।

 

पर्यटक स्थल का समग्रता से अध्ययन करने पर हम पाते हैं, कि शासकीय स्वामित्व की आवास इकाई का प्रतिशत 17.3, लिमिटेड कंपनी का प्रतिशत 33.3 निजी एकल स्वामित्व का प्रतिशत 29.0 तथा धर्मार्थ स्वामित्व वाले आवास इकाई का प्रतिशत 59.4 रहा है।

 

पर्यटन स्थलों में आवास इकाई में कक्षों का वर्गीकरण प्रतिशत वितरण -

 

 

 

उपरोक्त तालिका में आवास इकाई कक्षों के आधार पर क्रमशः सितारा श्रेणी, बजट श्रेणी, अतिथि गृह, धर्मशाला के कक्षों के रूप में चार स्तर में वर्गीकृत किया गया है।

 

पर्यटक स्थलों का समग्रता से अध्ययन करने पर हम पाते हैं, कि सितारा श्रेणी के आवास इकाई के कक्षों का प्रतिशत 30.6, बजट श्रेणी के आवास इकाई में कक्षों का प्रतिशत 40.2 अतिथि गृह श्रेणी वाले आवास इकाई में कक्षों का प्रतिशत 4.2 तथा धर्मशाला श्रेणी वाले आवास इकाई के कक्षों का प्रतिशत 25.0 है। 

 

पर्यटन एवं होटल व्यवसाय के विकास:-

आन्ध प्रदेश सरकार ने पर्यटन एवं होटल व्यवसाय के विकास के लिये निम्नलिखित कदम उठाये हैं -

   आन्ध्र प्रदेश में औसत दस प्रतिशत की दर से पर्यटन में वार्षिक वृद्धि को बढ़ावा देने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

   प्रतिवर्ष आठ प्रतिशत विदेशी एवं दस प्रतिशत घरेलू पर्यटकों में वृद्धि का लक्ष्य निर्धारित किया है।

   प्रतिवर्ष प्रदेश में आठ हजार रोजगार के नये अवसर उपलब्ध किये जाने का लक्ष्य किया गया है।

   प्रतिवर्ष सितारा होटल में वृद्धि को लक्षित किया गया है।

   प्रतिवर्ष दो विरासत होटल विकसित कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

   प्रत्येक वर्ष नये पर्यटक स्थलों को प्रोत्साहित किया जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

 

निश्कर्ष:-

पुट्टपर्ती के अन्तर्गत आने वाले पर्यटन स्थल अत्यधिक संभावनाओं से भरे हुये हैं। किन्तु इनका व्यावसायिक उपयोग अभी भी ठीक प्रकार से नहीं हो रहा है। अतः अध्ययन में यह जानना आवश्यक है कि वह कौन से मुद्दे हैं, जिनके कारण इनकी उपयोगिता में कमी रही है। पर्यटकों का विश्लेषण करने के पश्चात कुछ मुद्दे अवश्य रूप से उभर के सामने आये हैं। किन्तु वह तात्कालिक रूप से पर्यटकों पर पड़ने वाले प्रभाव की प्रतिक्रिया हो सकती है। अतः इस विषय को और अधिक समझने के लिये उन व्यक्तियों का प्रदेश स्तर पर सशर्त साक्षात्कार किया गया जो कई वर्षों इस विषय पर कार्य कर रहे हैं। इनमें प्रबुद्ध एवं प्रभावी नागरिक, अधिकारी, समाजसेवी, संबंधित व्यवसायी एवं मीडियाकर्मी को सम्मिलित किया गया है। इस साक्षात्कार से जो प्रमुख मुद्दे निकलकर सामने आये हैं। वे निम्न है -

   अधोसंरचनात्मक विकास नियोजन में किये गये कार्य दोयम दर्जे के होते हैं।

   पर्यटन स्थल के प्रोत्साहन के लिये उपयोग की गई सामग्री का सूचना समृद्ध होना।

   प्रोत्साहन सामग्री में आवास, परिवहन एवं मनोरंजन साधनों की सूचना का होना।

   मुख्य पर्यटन स्थलों के समीप विकासशील पर्यटन स्थलों का विकास किया जाना।

   मनोरंजन करों में अत्यधिक वृद्धि होना।

   रात्रिकालीन मनोरंजन का अभाव।

   पर्यटन स्थलों में वहन क्षमता के आधार पर पर्यटन नियोजन का अभाव।

   विक्रय केन्द्रों में हस्तकला के प्रोत्साहन की सरासर अनदेखी किया जाना।

 

 

 

संदर्भ ग्रंथ सूची:-

1   अख्तर जावेद, टूरिज्म मैनेजमेन्ट इन इण्डिया, आशीष पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, 1990, पृ. 122

2   एनथीया रोजरज, होटल एवं खानपान उद्योग, जेनकिब्ज, लंदन, 1975, पृ. 68

3   धुलसई, बी., इन्वायरमेण्ट चैलेन्जेस टूवर्डस टूरिज्म, कनिष्क पब्लिकेशन, नई दिल्ली, 2003, पृ. 43

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5   गुल्हाटी, आई., पर्यटक व्यय के आर्थिक प्रभाव, आर्थिक एवं सामाजिक अध्ययन, 1970, पृ. 156

6   हाॅल, एस., इथिक्स इन हास्पिटालिटी मैनेजमेण्ट, ईस्ट लान्सिंग, लंदन, 1993, पृ. 196

7   कटगरा, .जे., भारत में पर्यटन की आशा, काॅमर्श परिशिष्ट, 1981, पृ. 200

8   मैकन्तोश, आर. डब्ल्यू., पर्यटन के सिद्धान्त, व्यवहारिकता एवं दार्शनिकता, ग्रिड, ओहायो, 1977, पृ. 34

9   मिच्चल्ल, एफ., राष्ट्रीय आय पर पर्यटन का प्रभाव, विकास अध्ययन संस्थान, नैरोबी, 1969 पृ. 178

10  मिल, रोबर्ट किस्टीस, टूरिज्मः इण्टरनेशनल बिजनेश, प्रिन्टिस हाॅल, न्यूजर्सी, 1990 पृ. 219

11  मोरिर्सन, जे. डब्ल्यू., पर्यटन एवं यात्रा अभिकर्ता, यात्रा अभिकर्ता संचालन पुस्तिका, एम.आर.सी.. पब्लिशिंग कंपनी, न्यूयार्क, 1978 पृ. 141

12  ओजिलिभ, एफ. डब्ल्यू., पर्यटकों का भ्रमण-एक आर्थिक अध्ययन, स्टेप्लज प्रेस, लंदन, 1997 पृ. 64

13  पेट्रिक, जे.टी., पर्यटन प्रबंध के सिद्धांत एवं पद्धति, सी.वा..के., मास्सा-च्यूसेत्तज, 1978 पृ. 11

14  नेगी जगमोहन, पर्यटन एवं यात्रा के सिद्धांत, तक्षशिला प्रकाशन, नई दिल्ली, 1992 पृ. 36

15  कैशम्बी दमोदर धर्मानन्द, प्राचीन भारत की संस्कृति और सभ्यता, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 1997 पृ. 38

 

 

Received on 27.08.2018                Modified on 10.09.2018

Accepted on 21.09.2018            © A&V Publications All right reserved

Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(3):360-365.