मैहर सीमेन्ट प्लान्ट सरला नगर में सामाजिक आर्थिक विकास एवं निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व
डाॅ. खुशबू केशरी
अतिथि विद्वान (वाणिज्य), शास. महाविद्यालय मैहर (म.प्र.)
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कार्पोरेट सामाजिक दायित्व वह पद्धति हैं जिसमें फर्म सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक सरोकार को अपने मूल्यों, संस्कृति, निर्णय प्रक्रिया, रणनीति एवं परिचालन में पारदर्शिता व जिम्मेदारी पूर्ण तरीके से शामिल ;ब्ैत्द्ध करती है और इस प्रकार फर्म के भीतर बेहतर पद्धतियां स्थापित करती हैं सम्पत्ति निर्मित करती है और समाज को सुधारती है। सामाजिक दायित्व कम्पनी द्वारा अपने शेयर धारकों के हितों को ध्यान में रखते हुये प्राचलन करने के लिये एक प्रतिबद्धता है। यह वचनबद्धता सांविधिक आवश्यकता के अलावा है, इसलिये कार्पोरेट सामाजिक दायित्व का स्थाई विकास की पद्वाति से काफी नजदीकी रिश्ता है। निगमित सामाजिक दायित्व परोपकारी कार्यकलापों के अलावा सामाजिक और व्यवसायिक लक्ष्यो के एकीकरण से जुड़ा है। इन कार्यकलापों को इस परिपेक्ष्य में देखा जाना चाहिये कि इससे दीर्घा वधि स्थाई प्रतिस्पर्धा लाभप्राप्त करने में मदद मिल सकें।
ज्ञम्ल्ॅव्त्क्ैरू निगमीय सामाजिक दायित्व, आर्थिक विकास, औद्योगिक विकास।
परिचय:-
कम्पनी व्यावसायिक संगठन का सबसे महत्वपूर्ण प्रारूप है। कम्पनी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को पूरी तरह से अधिकतम स्थान के प्रति करती है। औद्योगिक क्रांति के बाद सम्पूर्ण विश्व में इसका प्रचलन बहुत अधिक बढ़ गया है। मनुष्य के प्रत्येक कार्य के पीछे कोई न कोई उद्देश्य अवश्य रहता है। जो कम्पनी व्यवसाय के रूप में करती है। कम्पनी का उद्गम 12वीं शताब्दी में इटली में हुआ था। इंग्लैण्ड में इसका उद्गम 16वीं शताब्दी में हुआ।
फ्रांस में इन्हीं एसोसियेट एनीम, अमेरिका मेें कारपोरेशन तथा इंग्लैण्ड में स्टाॅक कम्पनी कहा जाता है। भारत में कम्पनी की स्थापना भारतीय कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत की गई। इस सम्बन्ध में सर्वप्रथम सन् 1850 में भारतीय कम्पनी अधिनियम पारित हुआ भारत में कम्पनियों का प्रबन्ध एवं नियंत्रण भारतीय कम्पनी अधिनियम 1956 में अन्तर्गत किया जा 16वीं शताब्दी का उत्तरार्द्र्ध ही संयुक्त पूंजी वाली कम्पनी के विकास का युग रहा है।
सामाजिक जिम्मेदारी -
व्यवसाय में कार्यरत कर्मचारियों के वित्तीय हितों के रक्षक के लिए भी लाभ कमाना आवश्यक है। इसी प्रकार व्यवसाय भी एक निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है। सामान्य शब्दों में प्रत्येक व्यावसायिक क्रिया का उद्देश्य लाभ कमाना होता है।
लेकिन अब इस विचारधारा में परिवर्तन आ गया है। व्यवसाय के सामाजिक दायित्वों में वृद्धि के कारण व्यवसाय का उद्देश्य लाभ कमाने के साथ सेवा प्रदाय करना भी हो गया है। व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य लाभ के साथ सेवा दोनों है।
व्यवसाय के प्रमुख उद्देश्य -
1ण् अधिक उद्देश्य या लाभ उद्देश्य
2ण् सामाजिक उद्देश्य या सेवा उद्देश्य
3ण् मानवीय उद्देश्य।
4ण् राष्ट्रीय उद्देश्य।
निगमित सामाजिक दायित्व की परिभाषा -
निगमित सामाजिक दायित्व को बड़े पैमाने पर स्थानीय समुदाय और समाज के रूप में अच्छी तरह से कर्मचारियों और उनके परिवारों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हुए नैतिकता की दृष्टि से व्यवहार करते है और आर्थिक विकास मेें योगदान करने के लिए व्यापार से जारी रखने की प्रतिबद्धता है।
अतः कम्पनी हमारे समाज के लिए सी.एस.आर. के रूप में अलग-अलग किया जाता है। जो सी.एस.आर. के माध्यम से कर्मचारियों के कौशल, धाक से समुदाय और सरकार के निर्माण में व्यापार के अवसरों को दुंढता है। परम्परागत रूप से संयुक्त राज अमेरिका में सी.एस.आर. एक च्ीपसंदजीतवचपब माॅडल के संदर्भ में बहुत अधिक परिभाषित किया गया है। कंपनियों करों का भुगतान करने के लिए अपने कर्तव्य को पूरा करने के अलावा किसी को लाभ निबोध लाने के लिए किया जाता है।
कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी और प्रतिक्रियायें -
सामाजिक कार्य एक उपभोक्ता, श्रमिक, शासन तथा समाज के सभी वर्ग व्यावसायियों के आलोचक बन जाते है। समाजवादी व्यवस्था एक विकल्प के रूप में उभरकर हमारे सामाने आती है समाजवादी अर्थव्यवस्था ने व्यावसायिक जगत को एक नवीन धारणा से प्रभावित किया है, जो कि सी.एस.आर. व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्वों के नाम से जाना जाता है। व्यवसाय स्वयं में एक साधन है। साध्य नहीं साध्य तो स्वयं मनुष्य है।
कम्पनी का सामाजिक दायित्व -
1. उपभोक्ताओं के प्रति
2. कर्मचारियों के प्रति
3. अंशधारियों के प्रति
4. विनियोगकर्ताओं के लिए
5. सरकार एवं समाज के लिए
अतः कम्पनी जो एक समुदाय के रूप में सी.एस.आर. करती है वह समाज में अन्य वर्गो के प्रति उत्तरदायित्व को शामिल किया जाता है।
शोध प्रविधि:-
किसी भी क्षेत्र में संबंधित ज्ञात तभी पूर्ण माना जा सकता है जबकि उसे शोध के माध्यम से प्रमाणित व सत्यापित किया गया हो। शोध वह विज्ञान है जो व्यापारिक वातावरण का अध्ययन करता है। अतः शोध ज्ञात का आधार बन गया है। शोध प्रविधि में हम प्रक्रिया, गतिविधि तथा कारकों का अध्ययन करते है। जो व्यापार को नियंत्रित व शासित करती है।
ज्ञान के क्षेत्र में शोध कार्य अपरिहार्य है। शोध कार्यो द्वारा उन प्रश्नों का उत्तर जानने का प्रयास किया जाता है जिनका उत्तर उपलब्ध नहीं है तथा उन समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया जाता है जिसका समाधान उपलब्ध नहीं है। वर्तमान युग में शोध या अनुसंधान का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि किसी भी क्षेत्र से संबंधित तथ्यों का प्रमाणीकरण, नवीनीकरण एवं सत्यापन अनुसंधान के द्वारा ही किया जा सकता है।
इस शोध के माध्यम से मेरे द्वारा मैहर जिले के सरला नगर में सी.एस.आर. मैहर सीमेन्ट उद्योग का निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व का विकास एवं सम्भावनाएॅ अधोसंरचना और लागत-लाभ व्यवहार का अध्ययन किया गया है।
शोध औचित्य:-
आर्थिक विकास के इस युग में उद्योगों का अत्यधिक महत्व है। उद्योगों का विकास के बिना कोई भी राष्ट्र उन्नति नहीं कर सकता है। इसलिए आज के इस समाज में आर्थिक परिवर्तन के इस दौर में उद्योगों को एक रूप दिया गया है। जो कम्पनी सी.एस.आर. के रूप में संचालित करने के लिए कुछ व्यय किया जाात है। जिनसें सामाजिक उत्तरदायित्वों के द्वारा उद्योगों का समुचित विकास हो सके और साथ में ही समाज का भी विकास सुनिश्चित हो सके। उद्योगों का विकास न केवल राष्ट्र के लिए वरन् समुदाय/समाज के लिए भी महत्पवूर्ण है।
शोध का उद्देश्य -
मानव कोई भी कार्य करता है तो उसके पीछे कुछ न कुछ उद्देश्य अवश्य ही होता है, चाहे वह कार्य ऐच्छिक हो अथवा अनैच्छिक इसी प्रकार शोध भी मानव का महत्वपूर्ण ऐच्छिक कार्य है। अपने अनुसंधान कार्य में संलग्न होते समय मेरा उद्देश्य कम्पनी के कार्य भी आधारित है जो निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व की संभावनाओं, अधासंरचना, लागत, लाभ, व्यवहार का अध्ययन करना है।
प्रस्तुत अध्ययन में मैहर जिले में संचालित पूर्व में मैहर सीमेन्ट कंपनी का निगमीय सामाजिक उत्तरदायित्व के कार्यो की समीक्षा के संबंध में जानने का प्रयास किया गया है। अतः कम्पनी को संचालित करने की लागत व लाभ की स्थिति क्या है? इसका जिले में एवं राष्ट्र के विकास में अंशदान किस रूप में है और कितना योगदान है इस सभी बातों का अध्ययन करना है।
इसके उद्देश्य को निम्न प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है -
1. शोध का सर्वप्रथम उद्देश्य कम्पनी का सी.एस.आर. का अध्ययन करना।
2. संचालित कम्पनी की शुद्धता का अध्ययन करना।
3. कम्पनी में लगे कर्मचारियों (मजदूरों) के वेतन सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करना।
4. कम्पनी के संचालन के बाद आय-व्यय सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करना।
5. मैहर जिले में सीमेन्ट कम्पनी के सामाजिक उत्तरदायित्व की संभावनाओं का अध्ययन करना।
शोध का क्षेत्र:-
प्रस्तुत शोध का क्षेत्र सीमित है। यह सी.एस.आर. पर आधारित है। इसका शोध प्रबंध मैहर जिले के अन्तर्गत संचालित है, जो मैहर सीमेन्ट सरला नगर भारत की सबसे बड़ी सीमेन्ट उत्पादन करने वाली कम्पनियेां में से एक है, जो मैहर जिले में अपने कार्य को आसानी से कर रही है। इसका क्षेत्र काफी बड़ा है, जो वहाॅ के लोगों को उनके जरूरतों की सभी सुविधाएॅ प्रदान करती है।
उपर्युक्त तालिका में व्यवसाय कस स्वयं के प्रति कम्पनी द्वारा निष्पादित समाजिक व आर्थिक दायित्वों का वर्तमान स्थिति का वर्णन किया गया है। उत्तरदाताओं की संख्या 0-2 के वर्ग आधार पर 20 प्रश्न पूछे गये जिसमें से 9 व्यक्तिों ने हाॅ पर उत्तर दिया और 11 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया और फिर 2-4 के वर्ग आधार पर 20 प्रश्न पूछे गये जिसमें 12 व्यक्तियों ने हाॅ में उत्तर दिया है और 8 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया। इसी प्रकार 4-6 वर्ग वाले उत्तरदाताओं से भी 20 प्रश्न पूछे गये जिसमें से 7 व्यक्तियों ने हाॅ में उत्तर दिया और 13 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया है। फिर इसी प्रकार 6-8 वर्ग वाले व्यक्तियों से 20 प्रश्न पूछे गये जिसमें से 17 ने हाॅ में उत्तर दिया और 3 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया है। उसके बाद 8-10 वर्ग वाले उत्तरदाताओं से 20 प्रश्न पूछे गये जिनमें से 13 ने हाॅ में उत्तर दिया और 7 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया है। इसके आधार पर ही हम व्यवसाय का स्वयम के प्रति वर्तमान स्थिति ज्ञात करते है तथा इसे जानने के लिए पूछे गये प्रश्नो की संख्या का वर्णन हाॅ और नहीं किया गया है।
उपर्युक्त तालिका में व्यवसाय का ग्राहकों के प्रति कम्पनी द्वारा निष्पादित समाजार्थिक दायित्वों की वर्तमान स्थिति का वर्णन किया गया है। उत्तरदाताओं की संख्या 0-2 के वर्ग आधार पर 20 प्रश्न पूछे गये जिसमें से 16 व्यक्तियों ने हाॅ में उत्तर दिया और 4 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया और फिर 2-4 के वर्ग आधार पर 20 प्रश्न पूछे गये जिसमें 15 व्यक्तियों ने हाॅ में उत्तर दिया और 5 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया। इसी प्रकार 4-6 वर्ग वाले उत्तरदाताओं से भी 20 प्रश्न पूछे गये जिसमें से 17 व्यक्तियों ने हाॅ में उत्तर दिया और 3 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया है। फिर इसी प्रकार 6-8 वर्ग वाले व्यक्तियों से 20 प्रश्न पूछे गये जिसमें से 3 ने हाॅ में उत्तर दिया और 17 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया है। उसके बाद 8-10 वर्ग वाले उत्तरदाताओं से 20 प्रश्न पूछे गये जिनमें से 7 ने हाॅ में उत्तर दिया और 13 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया है। इसके आधार पर ही हम व्यवसाय का ग्राहकों के प्रति वर्तमान स्थिति करते है तथा इसे जानने के लिए पूछे गये प्रश्नों की संख्या का वर्णन हाॅ और नहीं में किया गया है।
उपर्युक्त तालिका क्रमांक -3 में व्यवसाय का समुदाय के प्रति कम्पनी द्वारा निष्पादित समाजार्थिक दायित्वों की वर्तमान स्थिति का वर्णन किया गया है। उत्तरदाताओं की संख्या 0-2 के वर्ग आधार पर 20 प्रश्न पूछे गये जिसमें से 16 व्यक्तियों ने हाॅ में उत्तर दिया और 4 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया और फिर 2-4 के वर्ग आधार पर 20 प्रश्न पूछे गये जिसमें 18 व्यक्तियों ने हाॅ में उत्तर दिया है और 2 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया। इसी प्रकार 4-6 वर्ग वाले उत्तरदाताओं से भी 20 प्रश्न पूछे गये जिसमें से 15 व्यक्तियों ने हाॅ में उत्तर दिया और 5 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया है। फिर इसी प्रकार 6-8 वर्ग वाले व्यक्तियों से 20 प्रश्न पूछे गये जिसमें से 9 ने हाॅ में उत्तर दिया और 11 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया है। उसके बाद 8-10 वर्ग वाले उत्तरदाताओं से 20 प्रश्न पूछे गये जिसमें से 17 से हाॅ में उत्तर दिया और 3 व्यक्तियों ने नहीं में उत्तर दिया है। इसके आधार पर ही हम व्यवसायका समुदायिक के प्रति वर्तमान स्थिति ज्ञात करते है तथा इसे जानने के लिए पूछे गये प्रश्नों की संख्या का वर्णन हाॅ और नहीं में किया गया है।
निष्कर्ष:-
किसी भी समस्या के अध्ययन के पश्चात् निष्कर्ष देना शोधार्थी के लिए अत्यन्त दुष्कर कार्य होता है क्योंकि शोधार्थी एक सामाजिक प्राणी होता है। अतः स्वाभाविक है कि शोधकर्ता का झुकाव समस्या के उन तथ्यों और पहलुओं की ओर हो जाएॅ जिनसे कि वह सम्बन्धित हो! जिसमें मैहर सीमेन्ट सरला नगर का सी.एस.आर. इकाईयों के विकास का सामाजिक उत्तरदायित्व पर जो प्रभाव है। उसका अध्ययन करने पर जो निष्कर्ष प्राप्त हुए है उन्हें निम्न बिन्दुओं से समझा जा सकता है -
1. अध्ययन क्षेत्र में सामाजिक समुदाय की संरचना व आर्थिक विकास प्रारूप अत्यधिक परिवर्तनशील अवस्था में है। यहाॅ पर अधिकांश रूप में ग्रामीण अधिवास पाए जाते है। जिसे वो शिक्षित करे तथा बरोजगारों को रोजगार तथा मुख्य कारण कार्य को करने वाले लोगों की संख्या का अधिक होना है।
2. अध्ययन क्षेत्र में जनसंख्या सुविधाओं का भी धीरे-धीेरे विकास हो रहा है, जो कम्पनी सी.एस.आर. इकाई के विकास से प्रभावित रहीं है। जिसमें विद्युत, शिक्षा चिकित्सा एवं जन स्वास्थ, पेयजल, वित्तीय व रोजगार आदि आधारभूत सुविधा प्रमुख है।
3. कम्पनी सी.एस.आर. के निरन्तर विकास के कारण यहाॅ के लोगों के आर्थिक स्तर में सुधार तो हुआ है। लेकिन कम्पनी से निकला धुआॅ गंदा पानी जिलें में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या धीरे-धीरे बढ़ रहीं है।
4. अध्ययन क्षेत्र में बिजली का उत्पादन तो है पर कम्पनी के द्वारा बिजली की समस्या ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा है जिसे कम्पनी द्वारा कम भी किया जा सकता है।
5. व्यक्तिगत साक्षात्कार (प्राथमिक आंकड़ो) के माध्यम में यह ज्ञात हुआ है कि कम्पनी द्वारा सी.एस.आर. इकाईयों की स्थापना के पश्चात् अध्ययन क्षेत्र में शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है तथा एक नई जागरूकता आयी है जो जिले के लिए सराहनीय कदम है।
सुझाव -
उपरोक्त निष्कर्ष से यह स्पष्ट है कि अध्ययन क्षेत्र में औद्योगिक विकास एवं सामाजिक दायित्व में मध्य संबंध स्थापित कर समाज व औद्योगिक इकाईयों की भूमिका निश्चित की जाए जिससे कि अध्ययन क्षेत्र में सन्तुलित औद्योगिक विकास तथा निगमिय सामाजिक उत्पत्ति के साथ कर्मचारियों और समुदाय का विकास की भूमिका अधिक किया जा सके इसके लिए निम्न सुझाव दिये जा सकते है -
1. औद्योगिक इकाईयों द्वारा ग्रामों में सी.एम.आर. संरक्षण सम्बन्धित गतिविधियों को तेज किया जाये व उत्पाद का कुछ हिस्सा क्षेत्र के प्राकृतिक भू-दृश्यों के विकास पर लगाया जाये।
2. अध्ययन क्षेत्र के निवासियों को चाहिए कि वे अपनी निर्भरता प्राकृतिक संसाधनों पर कम करें वे उन संसाधनों का अधिक उपयोग करें जो पुनः उपयोग में लाया जा सके।
3. स्थानीय निवासियों को सी.एस.आर. से सम्बन्धित तथा पर्यावरण को देखते हुए जागरूकता लाने की आवश्यकता है जिससे औद्योगिक व सामाजिक इकाई व स्वयं द्वारा किये गये निगमिय सामाजिक दायित्व की जानकारी ज्ञात हो सके।
4. अध्ययन क्षेत्र में जंगल में पेड़ों को काटे जाने के बाद एक पेड़ काटने पर 9 पेड़ लगाने चाहिए।
5. अध्ययन क्षेत्र में वृक्षारोण व नवीन क्षेत्र में वृद्धि के लिए एक परिवार को पाॅच वृक्षों का रोपण व उन्हें बड़ा करने का उत्तरदायित्व लेना चाहिए।
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Received on 23.01.2019 Modified on 16.02.2019
Accepted on 28.02.2019 © A&V Publications All right reserved
Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(1):183-187.