छत्तीसगढ़ में महिला विकास कार्यक्रमों का ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक विकास पर पड़ने वाले प्रभावों का अनुशीलन-

(बेमेतरा जिला के संदर्भ में

 

डाॅ. आर. प्रसाद1, डाॅ. रजिन्दर कौर2

1निर्देशक (अर्थशास्त्र), कुलपति, सन्त गहिरा गुरू विष्वविद्यालय सरगुजा, अमबिकापुर (..)

2अतिथि व्याख्याता (अर्थशास्त्र), स्व. ठाकुर महाराज सिंह कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, थाना खम्हरिया जिला-बेमेतरा (..)

2शोध छात्रा, पं रविषंकर शुक्ल विष्वविद्यालय, रायपुर (..)

ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्.उंपसरू

 

।ठैज्त्।ब्ज्रू

इस अध्ययन का मुख्य पक्ष है महिला विकास अतः महिला विकास का तात्पर्य जानना अत्यंत आवश्यक है। महिला विकास से यहां तात्पर्य केवल महिलाओं पर किये जाने वाले सरकारी व्ययों की राशि में वृद्धि से ही नहीं है जैसा कि सामान्यतया माना जाता है अपितु उसके माध्यम से महिला वर्ग जीवन पर पड़ने वाले वास्तविक दृश्य तथा अदृश्य प्रभावों से लिया गया है। महिला विकास के प्रमुख मापक है। महिलाओं के प्रति समाज के दृष्टिकोण में परिवर्तन महिलाओं में स्वयं की स्थिति में सुधार विकास हेतु चेतना जागृत होना उनका स्वयं के जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण उनकी साक्षरता स्वास्थ्य पोषण रोजगार विषक्षण प्रतिक्षण विवाह के प्रति दृष्टिकोण उनकी विचारधारा विभिन्न अंधविश्वासों, परम्पराओं रूढ़ियों के प्रति उनकी भावनाओं में परिवर्तन राजनीतिक आर्थिक क्षेत्रों में उनकी रूची का प्रर्दुभाव स्वयं को उबला के स्थान पर सबला समक्ष पानें तथा शोषण के विरूद्ध आवाज उठानें की प्रवृत्ति का बीजारोपण जीवन के हर क्षेत्र हर पहलू के प्रति उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण की उत्पत्ति तथा उनकी जागरूकता के कारण समाज की अनेक विकारपूर्ण स्थितियों का विघटन है

 

ज्ञम्ल्ॅव्त्क्ैरू  छत्तीसगढ, महिला विकास, ग्रामीण महिलाओं, आर्थिक विकास

 

 

प्रस्तावना:-

महिला विकास:-

महिला विकास से तात्पर्य केवल महिलाओं पर किये जाने वाले सरकारी व्यय राशि में वृद्धि से नहीं है अपितु उसके माध्यम से महिला वर्ग के जीवन पर पड़ने वाले वास्तविक प्रभाव से है। महिला विकास की प्रमुख मापक है महिलाओं के प्रति समाज के समाज के दृष्ट्रिकोणों में परिवर्तन, महिलाओं की स्वयं की स्थिति में सुधार विकास हेतु चेतना जागृत होना, एनका स्वयं के प्रति आशावादी दृष्ट्रिकोण, उनकी साक्षरता, स्वास्थ्य, पोषण, रोजगार, अंधविश्वासों, परम्पराओं रूढ़ियों के प्रति उनकी भावनाओं में परिवर्तन, राजनीतिक आर्थिक क्षेत्रों में उनकी रूचि का प्रादुर्भाव, स्वयं को अबला के स्थान पर सबला समझ पाने तथा शोषण के विरूद्ध आवाज उठाने की प्रवृत्ति का बीजारोपण, जीवन के हर क्षेत्र हर पहलू के प्रति उनमें वैज्ञानिक दृष्ट्रिकोण की उत्पत्ति से है।

 

केन्द्र स्तर पर पृथक रूप से महिला विकास मंत्रालय की स्थापन की गई जबकि पूर्व में यह समाज कल्याण मंत्रालय में ही समाहित था।

 

संपूर्ण भारत वर्ष में जिस तरह से पिछले चार-पांच वर्षों में महिलाओं के विकास के लिये जो शासकीय प्रयास किये जा रहे है इससे लगता है कि भारत सरकार ने महिलाओं के सशक्तीकरण के लिये जितने भी योजना लागू की है उससे महिलाओं का विकास काफी तेजी से हो रहा है जो कि भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिये अच्छा संकेत है इसी क्रम में बेमेतरा में भी इसका व्यापक असर हुआ है।

 

उद्देश्य:-

1.      महिला विकास कार्यक्रमों का ग्रामीण महिलाओं के रोजगार स्तर पर प्रभाव को ज्ञात करना।

2.      महिला विकास कार्यक्रमों का ग्रामीण महिलाओं के आयु वृद्धि पर प्रभाव को ज्ञात करना।

3.    महिला विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत उन विशेष योजनाओं का पता लगाना जो ग्रामीण महिलाओं के रोजगार आय को बढ़ाने में सहायक हुई है।

4.      ग्रामीण महिलाओं के रोजगार आय बढ़ाने में आने वाले बाधक तत्वों को चिन्हित करना योजनागत कार्यक्रमों को प्रभावी बनाने के लिये उपाय सुझाना।

 

परिकल्पना का परीक्षण:-

इस तथ्य का परीक्षण करना कि -

1.      महिला विकास कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं के आय - रोजगार स्तर में वृद्धि करने में सहायक होते है।

2.      महिला विकास योजनायें तथा रोजगार - आय के मध्य धनात्मक सीधा सहसंबंध होता है।

3.      शासन की अन्य योजनाओं की तुलना में महिला विकास योजनायें ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक विकास में वृद्धि करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 

शोध प्रविधि:-

प्रस्तुत शोध प्रविधि की विषय वस्तु प्राथमिक एवं द्वितीयक समंकों एवं तथ्यों पर आधारित है। बेमेतरा जिले महिला विकास कार्यक्रमों से संबंधित समंक महिला एवं बालविकास कार्यालय से एवं अन्य कार्यालयों से एकत्रित किये गये है इसलिये ये समंक द्वितीयक समंक है किन्तु ग्रामीण महिलाओं से प्रश्नावाली के माध्यम से एकत्रित किये गये समंक प्राथमिक समंक है।

 

प्राथमिक समंक संकलन करने के लिये निम्न विधि अपनाई गयी है:-

 

न्यादर्श का चयन:-

प्रस्तुत अध्ययन के लिये न्यादशों का चयन सविचार एवं दैव निदर्शन पद्धति के आधार पर किया गया। न्यादर्शों का चयश्न निम्न सोपानों के अंतर्गत किया गया है।

 

()   प्रथम सोपान विकासखण्ड का चयन:-

जिले के न्यादर्श तहसील के बेमेतरा विकासखण्ड का चयन किया गया है क्योंकि यह विकासखण्ड महिला विकास कार्यक्रमों के प्रभाव में आता है।

 

()    द्वितीय सोपान:-

ग्रामों एवं न्यादर्श परिवारों का चयन -जिले के 20 ग्रामों का चयन सर्वेक्षण के लिये किया गया।

 

()    तृतीय सोपान:-

न्यादर्श महिलाओं का चयन:-

इसके अंतर्गत मध्यम एवं निर्धन परिवार की महिलाओं में कुल 300 महिलाओं न्यादर्श के रूप में चयनित की गयी। चयनित महिलाओं में प्रश्नावली के माध्यम से व्यक्तिगत पहुंच के द्वारा समंक एकत्रित किये गये। प्राप्त समंकों में उपयुक्त सांख्यिकी विधियों के द्वारा विश्लेषण किया गया। यथा माध्य, प्रमाप विचलन, सहसंबंध गुणांक, प्रसरण गुणांक, प्रतीपगमन गुणांक तथा टी परीक्षण आदि का प्रयोग किया गया है।

 

न्यादर्श का चयन

 

इस प्रकार कुल न्यादर्श महिलाओं की संख्या 300 है।

 

इस अध्ययन में समाज में इसी आवश्यक अविभाज्य किन्तु पिछड़े हुए अंग को सशक्त विकसित बनाने हेतु सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास की भूमिका पर दृष्ट्रिपात करने का प्रयास किया जा गया है। जिसके लिये छत्तीसगढ़ में महिला विकास हेतु सरकार द्वारा प्रायोजित अनेक कार्यक्रमों की जांच का प्रयास किया गया है।

 

महिलाओं के उत्थान एवं प्रगति के लिये प्रमुख शासकीय योजनाओं की जानकारी इस प्रकार है

1.      बेटी बचाओं बेटी बढ़ाओं अभियान:-

        बेटी बचाओं बेटी बढ़ाओं अभियान ने घटते हुये लिंगानुपात इकी समस्या का सामाधान तो नजर रहा है साथ ही महिला सशक्तीकरण की दिशा में कारगार कदम साबित हो रहा ळें

2.      प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना:-

        गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के देखभाल के लिये महिलाओं को नकदी उपलब्ध कराकर मां-और बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रखने के लिये प्रारंभ की गई यह योजना एक सार्थक प्रयास है।

3.      प्रधानमंत्री महिला शक्ति केन्द्र योजना:-

        इस कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं के सशक्तीकरण के लिये सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना है।

4.      किशोरियों के लिये योजनाः -

        इस योजना के माध्यम से 11-18 वर्ष तक की आयु के लड़कियों को घरेलू कौशल और व्यवसायिक शिक्षा के द्वारा उनकी सामाजिक स्थिति को आगे लाने का प्रयास किया जा रहा है।

5.      राष्ट्रीय महिला कोष योजना:-

        महिलाओं आय को बढ़ाने के लिये उन्हें छोटे स्तर पर ऋण उपलब्ध कराकर उनकी सामाजिक और आर्थिक स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास इस योजना के माध्यम से करने की योजना है।

6.      महिलाओं की तस्करी रोकने के लिये तथा देह व्यापार का शिकारी बनी महिलाओं को फिर से सहारा देने के लिये उज्जवला योजना प्रारंभ की गई है।

7.      स्वाधार गृह योजना के माध्यम से परेशान और बेसहरा महिलाओं को राहत और पुनर्वास उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।

8.      घर से दूर जाकर काम करने वाली महिलाओं के लिये सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कामकाजी महिला छात्रावास की योजना प्रारंभ की गई है।

9.      हिंसा से प्रभावित होने वाली महिलाओं के लिये वन स्टाप सेन्टर और महिला हेल्पलाईन योजना को लागू किया जा रहा है। जिसके माध्यम से महिलाओं को इलाज, पुलिस सहायता, कानूनी सहायता, मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग, आवश्यकता होने पर तत्काल सहयोग मिलने की बात कही गई है।

10.     राष्ट्रीय क्रेच योजना के माध्यम से काम करने वाली महिलाओं के 06 माह से 06 सोल तक के उम्र के बच्चो को डे-केयर अर्थात दिन में देखभाल की सुविधा उपलब्ध कराना है।

11.     लैंगिक नजरिये को केन्द्र और राज्य सरकारों के स्तर पर मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से जेंडर बजटिंग योजना लागू की गई है।

 

1ण्     बेमेतरा जिला के संदर्भ में 01 अप्रैल 2018 से 30 सितम्बर 2018 तक सकुन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत पोस्ट आॅफिस में 881 खाते खोले गये तथा बैंक में 169 खाते खोले गये बेमेतरा जिला में कुल 1050 खाते खोले गये है।

2ण्     नोनी सुरक्षा योजना के अंतर्गत 01 अप्रैल 2018 से 30 सितम्बर 2018 के मध्य 207 लोग लाभान्वित हुये तथा योजना प्रारंभ से विगत वर्ष तक कुल 986 हितग्राही लाभान्वित हुये है।

3ण्     दिशा दर्शन भ्रमण कार्यक्रम के अंतर्गत 01 अप्रैल 2018 से 30 सितम्बर 2018 तक कुल 50 लोग लाभान्वित हुये जिसमें 160000 रू. व्यय हुये है।

 

 

4. महिला जागृति शिविरों का आयोजन (दिनांक 01 अप्रैल 2018 से 30 सितम्बर 2018 तक)

 

 

 

5. नवा बिहान योजना

घरेलू हिंसा (नवाबिहान) डी.आई.आर. की जानकारी

 

01 अप्रैल 2018 से 30 सितम्बर 2018 की स्थिति में

 

उक्त आंकड़े कार्यालय जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बालविकास विभाग जिला बेमेतरा (..) से एकत्रित किये गये है।

 

 

 

 

 

शासकीय योजनायें ही नहीं महिलाओं के विकास और अधिकार के लिये हमारे देश के संविधान और कानून में भी ऐसा प्रावधान है। जिसके कारण महिलाये अपने हक को प्राप्त कर सकती है -

 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 में यह उल्लेख किया गया है कि प्रत्येक व्यस्क लड़की या महिला को अपने कामकाज के प्रतिफल रूवरूप पुरूषों के समान वेतन प्राप्त करने का अधिकार है उन्हें केवल महिला होने के कारण रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता है तथा किसी नौकरी के लिये अयोग्य घोषित करना लैंगिक भेदभाव माना जायेगा।

 

महिलाओं के विकास के लिये केन्द्र सरकार ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ की राज्य सरकार का प्रयास भी अत्याधिक सराहनीय रहा है। केन्द्रिय महिला एवं बालविकास मंत्रालय एवं विश्व बैंक के द्वारा मई 2018 में कुपोषण मुक्ति अभियान में उत्कृष्ट योगदान हेतु छत्तीसगढ़ को पुरस्कृत किया गया। मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने उपलब्धि पर इस्निप परियोजना में शामिल जिलों के आंगनबाड़ी केन्द्रों के कार्यकत्ताओं को बधाई दी।

इस्निप योजना:-

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित यह योजना प्रदेश के 17 जिलों में वर्ष 2014 से संचालित हो रही है। इसे विश्व बैंक की सहायता से एकीकृत बाल विकास सेवाओं को सुदृढ़ बनाने एवं पोषण की स्थिति को सुधारने हेतु चलाया जा रहा है।

 

अतः यह कहा जा सकता है कि केन्द्र सरकार, राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियम महिलाओं के उत्थान के लिये कारगार साबित हो रहे है।

 

निष्कर्ष:-     

निष्कर्ष स्वरूप यह कहा जा सकता है कि वर्तमान समय में महिलाओं के विकास एवं उत्थान के लिये शासकीय प्रयास काफी कारगार साबित हो रही है जिसके कारण महिला के शिक्षा, स्वास्थ्य तथा रोजगार में निरन्तर प्रगति हो रही है। अतः संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि सरकारी येाजनायें विकास की मूलमंत्र है। समय-समय पर इन योजनाओं की समीक्षा तथा पुनरीक्षिण की आवश्यकता है जिसमें महिलाओं को भी सम्मिलित किया जाना चाहिये, इससे योजना में सुधार के साथ-साथ प्रक्षालन भी होगा। जिसका लाभ लेकर महिलायें नये-नये व्यवसाय के माध्यम से रोजगार के नये अवसरों का अन्वेक्षन करेंगी और अपनी आय में आवश्यक वृद्धि कर सकेंगी। इससे एक जहां एक ओर इनका सामाजिक उत्थान होगा वही दूसरी ओर पुरूष-महिला के मध्य पायी जाने वाली आर्थिक विषमता में कमी आयेगी।

 

संदर्भ:-

1ण्     डाॅ. ज्ञान प्रकाश - ‘‘एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम एक (जन. जून 1989) पुनरावलोकन’’ ग्रामीण विकास समीक्षा अंक 3 जनवरी-जून 1989 पेज 28-39-एन.आई.आर.डी.पी. हैदराबाद।

2ण्     जैन, मनोज कुमार ‘‘एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम - जिले के संदर्भ में खादी ग्रामोद्योग, विले-पार्ले-पश्चित बम्बई सित. 1990 पेज 498-502

3ण्     ग्रेवाल आर.एस (जुलाई-सित. 1985) - इम्पैक्ट आॅफ रूलर डेव्हलपमेंट प्रोग्राम आॅन रूलर ओमेन इन भिवानी डिस्ट्रिक्ट आॅफ हरियाणा इण्डियन जनरल आॅफ एग्रीकल्चरर इकानामिक्स वाल्युम 11, नं. 3 जुलाई-सितम्बर 1985

4ण्     ‘‘संचालनालयमहिला एवं बाल विकास विभाग का पत्र क्रमांक/7740/माबावि/सा.वि./18-19 अटल नगर रायपुर दिनांक 08/10/2018

5ण्     डाॅ. राय.सी.एन.(1992) एम्पलामिर्टेशन आॅफ आई.आर.डी.पी.. काम्परेटिव स्टडी आॅफ वेस्ट बंगाल एण्ड गुजरात जनरल आॅफ रूलर डेव्हलपमेंट, वाल्युम 11(1), 1992, पृष्ठ संख्या-68-100

 

 

 

Received on 08.02.2019                Modified on 12.02.2019

Accepted on 24.02.2019            © A&V Publications All right reserved

Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(1):39-43.