भारत- आसियान मुक्त व्यापार समझौता और इसका भारतीय व्यापार की दिशा तथा संरचना पर प्रभाव

 

महेश पाण्डेय1, डॉ प्रदीप कुमार सिंह2

1शोधार्थी, अर्थशास्त्र्ा विभाग, इलाहाबाद विश्वविधालय, प्रयागराज।

2असिस्टेंट प्रोफेसर, अर्थशास्त्र्ा विभाग, इलाहाबाद विश्वविधालय, प्रयागराज।

*Corresponding Author E-mail:

 

ABSTRACT:

भारत ने आर्थिक उदारीकरण की नीति को अपनाने के साथ ही आयात-प्रतिस्थापन और निर्यात प्रोत्साहन की नीति को प्राथमिकता दी, जिससे आर्थिक उदारीकरण के कारण भारत आसियान के व्यापार संबंधो में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिले। 1991 में भारत ने पूर्व की ओर देखो नीति, को अपनाया और वर्ष 2009 में भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता हुआ, जिससे भारतीय व्यापार में भारी उछाल देखा गया। वर्ष 2014 में भारत में सत्ता का परिवर्तन हुआ और हमारे प्रधानमंत्र्ाी श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा पूर्व में देखो नीति’’ के स्थान पर पूर्व में सक्रिय नीति’’ को अपनाया गया जिसका भारतीय व्यापार पर व्यापक प्रभाव पड़ा।

 

KEYWORDS: उदारीकरण, आयात प्रतिस्थापन, निर्यात प्रोत्साहन, आसियान, व्यापार, समझौता, नीति।

 

 


INTRODUCTION:

अर्थशास्त्र्ा समाज में रहने वाले मनुष्य की आर्थिक क्रियाओ का अध्ययन करता है। इन्ही आर्थिक क्रियाओ का एक पहलु वाणिज्य और व्यापार है। व्यापार किसी भी अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास में ईधन की तरह कार्य करता है। विश्व के विभिन्न भागो मेें संसाधनों का असमान वितरण व्यापार को आर्थिक विकास की अनिवार्य शर्त बना देता है। व्यापार में एक देश अपने उपभोग के अतिरिक्त जो भी बचता है, उसे विश्व बाजार मेें बेच देता है और कमी की स्थिति मेें व्यापार के माध्यम से ही सरलता से अन्य राष्ट्रो से अपनी आवश्यकता की वस्तुओ को प्राप्त कर लेता है, जिससे व्यापार में संलग्न दोनो पक्षो को लाभ होता हैै

 

आसियान दक्षिणी-पूर्वी एशिया के 10 राष्ट्रो का एक भु-राजनैतिक (ळमव.च्वसपजपबंस) और आर्थिक संगठन हैै, जिसकी स्थापना 1967 मेें बैंकंाक धोषणा के साथ हुई थी। भारत ने 1991 मेें अपनी पूर्व की ओर देखो नीति’’ के अन्तर्गत आसियान को भारतीय व्यापार के लिए एक विशेष स्थान के रुप में चिन्हित किया। 1991 में  भारत आसियान का क्षेत्र्ाीय संवाद भागीदार, 1995 में पूर्ण संवाद भागीदार और 1996 में आसियान क्षेत्र्ाीय फोरम का सदस्य बन गया और अन्ततः 13 अगस्त 2009 को बैकांक में भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता पर हस्ताक्षर हुआ। भारत में वर्ष 2014 में सत्ता का परिवर्तन हुआ और सत्ता न्च्। के हाथो से छक्। के हाथो मेें आयी और हमारे प्रधानमंत्र्ाी श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी द्वारा, पूर्व की ओर देखो नीति’’ के स्थान पर पूर्व में सक्रिय नीति’’ को लाया गया, ताकि भारत दक्षिणी-पूर्वी एशिया में भी एक मजबूत व्यापरिक भागीदार के रूप में उभर सके।

 

क्षेत्र्ाीय व्यापारिक समझौता की परिभाषा और आर्थिक एकीकरण के विविध रूप:

विश्व व्यापार संगठन के अनुसार, क्षेत्र्ाीय व्यापारिक समझौता दो या दो से अधिक व्यापारिक भागीदारो के मध्य होने वाला व्यापार संबंधी करार है।’’ इस प्रकार क्षेत्र्ाीय व्यापार समझौता एक संधि को संदर्भित करता है, जो दो या दो से अधिक देशों द्वारा अपने सदस्य राष्ट्र की सीमाओं के पार वस्तुओं और सेवाओ की मुक्त आवाजाही को प्रोत्साहित करने के लिए हस्ताक्षरित किया जाता है (ूूूण्जपजनजमण्बवउण्जतंदेसंजमण्हववहसमण्) यह समझौता आंतरिक नियमों के साथ आता है, जिनका सदस्य देश आपस में पालन करते है। गैर सदस्य देशों के साथ व्यवहार करते समय ऐसे बाहरी नियम होते है, जिनका सदस्य पालन करते है। इस प्रकार जहाँ एक ओर कोटा, प्रशुल्क और अन्य प्रकार के व्यापार अवरोध वस्तुओ और सेवाओं के व्यापार को प्रतिबंधित करते है, वही क्षेत्र्ाीय व्यापार समझौते व्यापार की बाधाओं को कम करने या हटाने में मदद करते है। आर्थिक एकीकरण के विविध रूप सदस्य देशो के मध्य प्रतिबद्धता के स्तर और सदस्य देशो के बीच व्यवस्था आधार पर भिन्न-भिन्न रूप केे होते है-

 

a.    अधिमान्य व्यापार समझौता ¼Preferential trade agreement½

इसे आर्थिक एकीकरण का प्रथम स्तर भी कहा जाता है। आर्थिक एकीकरण के इस रूप में सदस्य देश अपने प्रशुल्क नीति में कोई परिवर्तन नहीें करते है, केवल सदस्य देशों को व्यापार में तहजीव दिया जाता है।

 

b.    मुक्त व्यापार क्षेत्र्ा ¼Free trade area½%&

आर्थिक एकीकरण के इस रूप में सदस्य देशों द्वारा आपस में सभी प्रकार के प्रशुल्क बाधाओं को समाप्त कर दिया जाता है, जिससें एक विशेष आर्थिक क्षेत्र्ा में वस्तुओं का प्रशुल्क रहित प्रवाह हो सके, परन्तु आर्थिक एकीकरण के इस रूप में सदस्य देशो द्वारा गैर सदस्य देशों के साथ अलग-अलग प्रशुल्क नीति को अपनाया जाता है। उदाहरण स्वरूप- EFTA, AFTA, NAFTA.

 

c . सीमा शुल्क संघ ¼Customs union½%&

आर्थिक एकीकरण के इस रूप में सदस्य देश द्वारा आपस में सभी प्रकार के प्रशुल्क बाधाओं को समाप्त कर लेते है साथ ही गैर-सदस्य देशों पर एक समान बर्हि प्रशुल्क नीति का पालन करते है। उदाहरण स्वरूप-यूरोपीय आर्थिक समुदाय तुर्की-यूरोपीय संघ.

 

d . साझा बाजार ¼Common market½%& आर्थिक एकीकरण के इस रूप में सदस्य देशों द्वारा आपस में सभी प्रकार के प्रशुल्क बाधाओं को समाप्त कर लेते है और गैर-सदस्य देशों के साथ एक समान प्रशुल्क नीति का पालन करते है। इसके साथ ही आर्थिक एकीकरण के इस रूप में वस्तुओं और सेवाओं के साथ-साथ उत्पादन के विभिन्न साधनों जैसे-श्रम और पूँजी का भी राष्ट्रो के मध्य मुक्त प्रवाह होता हैं उदाहरण स्वरूप यूरोपीय समुदाय] MERCOSUR.

 

e . आर्थिक सधं ¼Economic union½%&

इसे आर्थिक एकीकरण का सबसे उच्च स्तर माना जाता है। आर्थिक एकीकरण के इस रूप में सदस्य देशो द्वारा आपस में सभी प्रकार के प्रशुल्क और गैर-प्रशुल्क बाधाओं को समाप्त कर दिया जाता है, साथ ही गैर सदस्य देशों के साथ एक समान प्रशुल्क नीति का पालन करने के साथ-साथ इन राष्ट्रो के मौद्धिक नीतियों में भी समानता जाती है। आर्थिक एकीकरण के इस रूप में वस्तुओं के मुक्त प्रवाह के साथ-साथ श्रम, पूँजी और आर्थिक संसाधनो के मुक्त आयात और निर्यात की अनुमति होती है। आर्थिक एकीकरण के इस रूप में आर्थिक नीतियों का एक सेट अपनाया जाता है। उदाहरण स्वरूप-यूरोपीय आर्थिक संघ।

 

अध्ययन कार्य का उद्धेश्य ¼Objective of study work½%&

भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व और बाद भारत-आसियान के मध्य होने वाले आयात और निर्यात की दिशा(क्पतमबजपवद) एवं संरचना का परीक्षण करना।

 

परिकल्पना %

H0 % भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व और बाद भारत-आसियान के मध्य होने वाले आयात और निर्यात की मात्र्ाा पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा.

H1 % भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व और बाद भारत-आसियान के मध्य होने वाले आयात और निर्यात की मात्र्ाा पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।

 

अनुसंधान डिजाइन और क्रियाविधिः-

अनुसधान क्रियाविधि अध्ययन में उपयोग किये गये सैद्धातिक ढाँचा की व्याख्या करने मेें सहायता करता है। यह अध्ययन के विभिन्न पक्षो को समझने और अध्ययन उद्धेश्यों की व्याख्या करने के लिए सिद्धांतो का एक सेट प्रदान करता है। मेरे द्वारा किया जाने वाला यह कार्य द्धितीय आँकड़ों पर आधारित है, अतः आँकड़ों का संग्रह और प्रतिदर्श का चुनाव द्धितीय आँकड़ो के आधार पर विभिन्न प्रकाशित स्त्र्ाोतो से किया गया है। इस अनुसंधान कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए इसके आतरिक्त निम्न क्रियाविधि को अपनाया गया है, जिनका विवरण इस प्रकार है-

 

अध्ययन के लिए 2001-02 से 2018-19 तक के आँकड़ों का प्रयोग किया गया है, क्योकि हम जानते है कि भारत-आसियान संबंधो के संदर्भ मेें सारी महत्वपूर्ण नीतियों की घोषणा इसी काल खण्ड़ में हुआ है। भारत और आसियान के मध्य इसी कालखण्ड़ में अगस्त 2009 में मुक्त व्यापार समझौता पर हस्ताक्षर हुआ।

 

अध्ययन में उपयोग किये जाने वाले द्वितीय आँकड़ो को प्रमुख रुप से विभिन्न प्रकाशित लेखों, पुस्तकों, समाचार पत्रो, पत्र-पत्रिकाओं और बेबसाइट से संग्रह किया गया है। इन द्वितीय आँकडो को प्राप्त करने का प्रमुख स्त्र्ाोत वाणिज्य मंत्र्ाालय का आँनलाइन डेटाबेस, भारत सरकार के विभिन्न प्रकाशन, आसियान संारिव्यकीय वार्षिक पत्र्ािका, भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता  चार्टर और भारत-सरकार का आर्थिक सर्वेक्षण रहा है।

 

आँकड़ो के विश्लेषण के लिए विभिन्न प्रकार के संारिव्यकीय तकनीकी जैसे- माध्य, प्रतिशत, चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (बवउचवनदक ंददनंस हतवूजी त्ंजम.ब्।ळत्) आदि कई संारिव्यकीय तकनीकों का उपयोग करके प्रासंगिक उद्धेश्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया गया है ताकि इस अध्ययन कार्य को संारिव्यकीय कसौटी के आधार पर भी संगत ठहराया जा सके। अध्ययन में मूल्यों को मिलियन अमेरिकी डॉलर में व्यक्त किया गया है, जिससें आँकड़ों के विश्लेषण में सुविधा हो। 

                                            

साहित्य की समीक्षाः

प्रकाश नंदा (2003) ने अपने अध्ययन में शीत युद्ध का पूर्व की ओर देखो नीति’’ पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण किया है। इस अध्ययन ने शीत-युद्ध काल में दक्षिणी-पूर्वी एशिया में भारत के लिए उत्पन्न अवसरों का भी विश्लेषण किया है।

 

संत राम सैनी और डॉ0 कमल अग्रवाल (2021) ने अपने लेख में यह बताया कि भारत-आसियान के रणनीतिक और भौगोलिक स्थिति के कारण दोनों पक्षों में समय के साथ व्यापार में वृद्धि हुई है। इन दोनों क्षेत्रों के मध्य व्यापार उदारीकरण, नरम व्यापार-निवेश नीति और आर्थिक सहयोग से इसके और बढ़ने की सम्भावना है। इन दोनों क्षेत्रों में सांस्कृतिक एकता के कई पहलु हैं, जो इनके व्यापार को एक अलग आकार प्रदान करेगा। इनके अनुसार आज आसियान सम्पूर्ण विश्व के कुल जनसंख्या के 8.8 प्रतिशत, विश्व व्यापार का 7.0 प्रतिशत, विश्व सकल घरेलु उत्पाद का 3.6 प्रतिशत और विश्व के कुल क्षेत्रफल का 3.0 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व कर रहा है। भारत-आसियान के मध्य व्यापार जो वर्ष 2004 में 16102 मिलियन अमेरिकी डॉलर था आज वर्ष 2018 में बढ़कर 68352 मिलियन अमेरिकी डॉलर का हो गया है। इससे आर्थिक जगत के विचारकों में इस बात पर आम सहमति बन रही है कि आने वाले समय में आसियान केवल यूरोपीय संघ को कड़ी टक्कर देगा, वरन् भविष्य में यह उससे भी आगे निकल जायेगा।

 

स्नेहलता पाण्डेय (2011) ने अपने लेख में इस बात का अनुभव किया कि पूर्व की ओर देखों नीति’’ ने भारत के आर्थिक और रणनीतिक भागीदारी को आसियान राष्ट्रों के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, जापान, कोरिया, अमेरिका और यूरोप तक बढ़ाया है। पूर्व की ओर देखो नीति का आधारभूत संरचना के विकास और उत्तरी-पूर्वी भारतीय राज्यों के आर्थिक विकास में सकारात्मक योगदान रहा है। लेखिका के अनुसार यद्यपि की भारत-आसियान के आर्थिक एकीकरण में अनेक समस्यायें और चुनौतियाँ है, परन्तु संयुक्त राष्ट्र संघ में एशिया के सक्रिय भागीदारी के लिए इसका एकीकरण अनिवार्य है।

 

एस0डी0 मुनी (1990) ने अपने लेख ष्ैवनजी.ैवनजी ब्व.वचमतंजपवद पद ैवनजीमतद ।ेपंष् में तीसरी दुनिया के विकास और दक्षिण-दक्षिण आर्थिक सहयोग में क्षेत्रीय संगठनों की भूमिका का वर्णन किया। इन्होंने अपने लेख में एशिया के विकास में सार्क और आसियान के एकीकरण के विभिन्न पहलुओं का विस्तार से वर्णन किया।

 

पनगढ़िया (2000) इनका अध्ययन बहुपक्षीय व्यापार उदारीकरण का एक सैद्धान्तिक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। इन्होंने अपने अध्ययन में यह पाया कि मुक्त व्यापार समझौता भागीदार राष्ट्रों के मध्य व्यापार को विचलित करता है और कल्याण को घटाता है। यह लेख मुक्त व्यापार समझौता से होने वाली हानियों को कम करने का तरीका भी सुझाता है। यह लेख ळ।ज्ज् समझौता के अनुच्छेद ग्ग्प्ट में भी परिवर्तन की बात करता।

 

(पाल एवं दासगुप्ता-2009) भारत और आसियान के मध्य हुये मुक्त व्यापार समझौता ने पिछले कुछ वर्षों में सम्पूर्ण विश्व में अनुसंधानकर्ताओं के ध्यान को अपनी ओर आकर्षित किया है पाल एवं दासगुप्ता ने भारत-आसियान के प्रशुल्क कटौती के प्रतिबंधता का अध्ययन किया और पाया की दोनों के मध्य प्रशुल्क की दरों में कटौती से चाय, मसाले, काफी और रबर के व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। समुद्री उत्पादों, वस्त्र एवं परिधान उद्योग में प्रतियोगिता बढ़ी है। इस अध्ययन ने इस बात की ओर भी संकेत किया है कि इस व्यापार समझौता से जो शुद्ध लाभ प्राप्त हुये है, वे इस समझौता से नकारात्मक रूप से प्रभावित होने वाले उद्योगों के क्षतिपूर्ति में व्यय हो जा रहा है।

 

(पाल एवं दासगुप्ता-2008) ने इसी प्रकार के 2008 में किये अपने अध्ययन में यह पाया कि हो सकता है कि भारत-आसियान के मध्य हुये मुक्त व्यापार समझौता से भारत को अल्पकालीन लाभ हो, परन्तु दीर्घकाल में इसकी कम ही सम्भावना है, क्योंकि आसियान भारत का कोई स्थायी व्यापार भागीदार नहीं है साथ ही दक्षिणी-पूर्वी एशिया में चीन की सक्रियता भी भारत के लिए एक चिंता का विषय है। चूँकि चीन भी आसियान क्षेत्र में सेवाओं के निर्यात का एक हब बनना चाहता है, ऐसे में इस बात की बड़ी कम संभावना है कि भारत आसियान क्षेत्र में सेवाओं के आपूर्ति के एक हब के रूप में विकसित हो पाये। साथ ही आसियान क्षेत्र में चीन की सक्रियता के कारण भारतीय वस्तुओं को भी कड़ी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि चीन में उन्नत तकनीक का विकास, सस्ते कच्चे माल की उपलब्धता और चीनी सरकार की नीतियाँ उनके वस्तुओं को विश्व बाजार में सस्ती बना देती है।

 

हरिलाल (2010) ने भी 2010 में कुछ इसी प्रकार का अध्ययन किया और भारत-आसियान के मुक्त व्यापार समझौता का दक्षिण भारत के केरल राज्य की अर्थवयवस्था पर इसके प्रभावों का विश्लेषण किया। वास्तव में केरल और तटीय क्षेत्रों के अनेक भारतीय राज्यों तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया के राष्ट्रों में अनेक समानतायें पायी जाती है, जैसे- इन दोनों क्षेत्रों की जलवायु मानूसनी प्रकार की है, दोनों क्षेत्रों में कृषि कार्य प्राथमिकता से किया जाता है तथा दोनों क्षेत्रों में ही प्रमुख रूप से बागवानी फसलों जैसे-चाय, मसाला, काफी और रबर का उत्पादन किया जाता है। इससे इन दोनों क्षेत्रों में कृषि और उससे सम्बन्धित अन्य क्रियाओं में समानता पायी जाती है। इस प्रकार भारत की प्रशुल्क कटौती की प्रतिबंधता और ‘‘उत्पत्ति के नियम ;त्नसमे िवतपहपद.त्ववद्ध के प्रावधान, जिसका पालन सभी मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने वालों को करना पड़ता है, ने केरल की व्यापार की शर्तों को आसियान के साथ नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। इस प्रकार वस्तुओं के प्रतियोगी प्रवृत्ति के कारण केरल को मुक्त व्यापार समझौता से कोई विशेष लाभ नहीं मिला है।

 

ली और लेवी (2007) ने भी वर्ष 2007 में भारत-आसियान मुक्त व्यापार-समझौता का अध्ययन किया और पाया कि यद्यपि भारत और आसियान वस्तुओं और सेवाओं के संदर्भ में भले ही मुक्त व्यापार समझौता के बाद तुलनात्मक लाभ की स्थिति में है, किन्तु इन दोनों क्षेत्रों में क्रय शक्ति समता ;च्नतबींेपदह च्वूमत च्ंतपजल.च्च्च्द्ध तुलनात्मक रूप से कमजोर है, अतः इन क्षेत्रों के मध्य वित्तीय बाजार के एकीकरण की संभावना कम ही है, जबकि व्यापार उदारीकरण के सबसे अधिक लाभ वित्तीय बाजार के एकीकरण में ही है।

सेन, आशेर और राजन (2004) ने भारत-आसियान आर्थिक सम्बन्धों के भविष्य का अध्ययन किया और इसकी सफलता और असफलता के बिन्दुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला और सुझाव दिया कि इन दोनों क्षेत्रों के मध्य आर्थिक सहयोग, आर्थिक विकास की अपार संभावनाओं को जम्न देगा। यूरोपीय आर्थिक संघ के बाद यह क्षेत्र विश्व का दूसरा सबसे बड़ा आर्थिक संघ होगा और भविष्य में इसके यूरोपीय संघ से भी आगे निकल जाने की संभावना है।

 

परिकल्पना परीक्षणः-

भ्व् रू भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व और बाद भारत-आसियान के मध्य होने वाले आयात और निर्यात की मात्रा पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

भ्1 रू भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व और बाद भारत-आसियान के मध्य होने वाले आयात और निर्यात की मात्रा पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।

 

जैसा कि हम जानते हैं कि भारत और आसियान के मध्य मुक्त व्यापार समझौता 13 अगस्त 2009 को हुआ और 1 जनवरी 2010 से यह अमल में लाया गया, अतः इस भाग में हम अपने सम्पूर्ण अध्ययन को दो भागों में बाँट कर अध्ययन करेंगे। पहले भाग में वर्ष 2001-02 से वर्ष 2009-10 तक के 10 वर्षों के आँकड़ों का अध्ययन किया जायेगा, इसके बाद वित्तीय वर्ष 2009-10 में इस समझौता के हो जाने के बाद भारत से आसियान को किये जाने वाले निर्यात तथा आयातों का अध्ययन किया जायेगा।

भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व और बाद भारत से आसियान को निर्यात और आसियान से आयात

 

Table 1 : India's Export to and Import from ASEAN Countries, Before Indo-ASEAN Free Trade Agreement in US $ Million

Sl.No.

Year

India's Exports to ASEAN

India's Import from ASEAN

1.

2001-02

3457.01

4387.22

2.

2002-03

4618.54

5150.17

3.

2003-04

5821.71

7433.11

4.

2004-05

8425.89

9114.66

5.

2005-06

10411.30

10883.67

6.

2006-07

12607.43

18108.48

7.

2007-08

16413.52

22674.81

8.

2008-09

19140.63

26202.96

9.

2009-10

18113.71

25797.96

Source : Export-Import Data Bank, Ministry of Commerce, Government of India

 

Table 2 : India's Export to and Import from ASEAN Countries, After Indo-ASEAN Free Trade Agreement in US $ Million

Sl.No.

Year

India's Exports to ASEAN

India's Import from ASEAN

1.

2010-11

25627.89

30607.96

2.

2011-12

36744.35

42158.84

3.

2012-13

33008.21

42866.36

4.

2013-14

33133.55

41278.09

5.

2014-15

31812.58

44714.77

6.

2015-16

25133.37

39901.60

7.

2016-17

30961.62

40617.31

8.

2017-18

342033.70

47133.69

9.

2018-2019

37471.14

59315.59

Source : Export-Import data bank, ministry of Commerce, government of India

 

Table 3 : India's Export to and Import from ASEAN Countries, before Indo-ASEAN free trade agreement in US $ Million (CAGR)

2001-02, 2009-10

2001-02, 2009-10

CAGR

India's Export to ASEAN

India's Import from ASEAN

2009-10/2001-02

3457.01-18113.71

 

20.21%

 

4387.22-25797.96

21.76%

Source : Export-Import data bank, ministry of Commerce and author own calculation

 

Table 4 : India's Export to and Import from ASEAN Countries, After Indo-ASEAN Free Trade Agreement in US $ Million (CAGR)

2010-11, 2018-19

2010-11, 2018-19

CAGR

India's Export to ASEAN

India's Import from ASEAN

2018-19/2010-11

25627.89-37471.14

 

4.31%

 

30607.96-59315.59

7.63%

Source : Export-Import Data Bank, Ministry of Commerce and author own calculation

 

जैसा कि हमें इस बात का ज्ञान है कि भारत और आसियान के मध्य मुक्त व्यापार समझौता 13 अगस्त 2009 को हुआ और यह 1 जनवरी 2010 से प्रभाव में आया। इसलिए हमने अपने इस सम्पूर्ण अध्ययन को दो भागों में बाँट दिया है, जिसके पहले भाग में वर्ष 2009 में भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व के 9 वर्षों के आँकड़ों और दूसरे भाग में वर्ष 2009 में समझौता होने के बाद 9 वर्षों के आँकड़ों के आधार पर यह जानने का प्रयास किया गया है कि समझौता का दोनों पक्षों के व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ा है।

 

इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु ष्जष् परीक्षण का उपयोग हम करेंगे ताकि यह जाना जा सके कि वर्ष 2009 में मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व और बाद व्यापार की दिशा में किसी प्रकार का परिवर्तन हुआ।

 

दो प्रतिदर्श-माध्यों के अन्तर का सार्थकता-परीक्षण (Significance test of the difference between two Sample mean)

दो छोटे आकार के प्रतिदर्शों के माध्यों के बीच पाये जाने वाले अन्तर की सार्थकता की जाँच करने का हमारा उद्देश्य केवल यह मालूम करना होता है कि क्या इन दोनों प्रतिदर्श माध्यों में अन्तर सार्थक है अथवा अर्थहीन अर्थात क्या दोनों प्रतिदर्श एक ही मूल-समग्र में से चुने गये हैं या अलग-अलग समग्रों में से। इस परीक्षण के लिए प्रमाप विचलन ;ैद्ध एवं टी ;जद्ध के परिकलन का सूत्र निम्न दिया जा रहा है-

जहाँ,

पहले प्रतिदर्श के लिए समान्तर माध्य

दूसरे प्रतिदर्श के लिए समान्तर माध्य

पहले प्रतिदर्श के लिए समान्तर माध्य से लिए गए विचलनों के वर्गों का योग।

दूसरे प्रतिदर्श के लिए समान्तर माध्य से लिए गए विचलनों के वर्गों का योग।

पहले प्रतिदर्श में इकाइयों की संख्या

दूसरे प्रतिदर्श में इकाइयों की संख्या

 

 

Table 5 : Hkkjr dk vkfl;ku dks fu;kZr (Group Statistics)

VAR 00001

N

Mean

Std Deviation

Std. error mean

Before IAFTA India's Export

9

11001.0822

5917.89419

1972.63140

After IAFTA India's Export

9

66214.0456

103518.77748

34506.25916

Source : Author's own Calculation by SPSS

 

Table 5 : Independent Sample "t" Test

 

Levene's Test for Equality of Variance

"t" test for equlity of means

Equal Variances Assumed

4.398

0.52

-1.597

16

0.130

-55212.963

34562.598

12848.2

18056.4

Equal Variances not Assumed

 

 

-1.597

8.05

0.149

-55212.963

34562.598

134824.4

24398.5

Source : Author's own Calculation by SPSS

 

जैसा कि हम देख सकते हैं कि भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व 9 वर्षों के भारत के आसियान को निर्यात के आँकड़े तथा भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के बाद 9 वर्षों के भारत के आसियान को निर्यात के आँकड़े अध्ययन के लिए उपयोग किये गये हैं। भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व के 9 वर्षों के निर्यातों का माध्य 11001.08 है और इसका प्रमाप विचलन 5917.89 है साथ ही इसका मानक त्रुटि ;ैजंदकंतक म्ततवतद्ध 1972.63 है। इस प्रकार उपरोक्त सारणी के विश्लेषण से स्पष्ट है कि भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व तथा बाद के निर्यातों का माध्य अलग-अलग है। भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के बाद निर्यातों के 9 वर्षों का माध्य 66214.04 है जो भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व निर्यातों के 9 वर्षों के माध्य 11001.08 से अधिक है।

 

चूँकि 5 सार्थकता स्तर पर कण् िके 16 मान के लिए ष्जष् का सारणी मूल्य 2.119 दिया हुआ है, जबकि ष्जष् का संगणित मूल्य -1.59 है जो कि सारणी मूल्य से बहुत कम है। इससे हम कह सकते हैं कि इन दोनों माध्यों का अन्तर अर्थहीन है और हमारी भ्व् परिकल्पना सत्य है जबकि भ्1 परिकल्पना असत्य है अर्थात भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के बाद भारत और आसियान के मध्य होने वाले निर्यात के संदर्भ में भारत के पक्ष में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है परन्तु इससे स्पष्ट होता है कि इस नीति के लागू होने के बाद इससे भारत को उतना लाभ नहीं हुआ जितना की आशा व्यक्त किया गया था। जैसा कि ब्।ळत् सारणी में स्पष्ट है कि इस समझौता के होने के पूर्व निर्यातों में 20ण्21 और आयातों में 21ण्76 की वृद्धि साल दर साल हुई जबकि इस समझौता के बाद निर्यातों में मात्र 4ण्31 और आयातों में 7ण्63 की ही वृद्धि साल दर साल हुई।

 

Table 6 : Hkkjr dk vkfl;ku ls vk;kr (Group Statistics)

 

N

Mean

Std Deviation

Std. error mean

Before IAFTA India's Import

9

14417.004

8846.596

2948.865

After IAFTA India's Import

9

43177.134

7570.289

2523.429

Source : Author's own Calculation by SPSS

 

Table 7 : Independent Sample Test

 

Levene's Test for Equality of Variance

"t" test for equality of means

 

F

Sig

t

df

Sig (2 tailed)

Mean Difference

Std Error Difference

95% Confidence Interval of the Difference

Equal Variances Assumed

1.968

0.180

-7.410

16

0.00

28760.13

3881.17

36987.84

20532.41

Equal Variances & not assumed

 

 

-7.410

15.62

0.00

28760.13

3881.17

37003.85

20516.40

Source : Author's own Calculation by SPSS

 

जैसा कि हम देख सकते हैं कि भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व 9 वर्षों के भारत के आसियान से आयात के आँकड़े तथा भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के बाद 9 वर्षों के भारत से आसियान के आयात के आकँड़े विश्लेषण के लिए गये हैं। भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व के 9 वर्षों के आयातों का माध्य 14417.00 है और इसका प्रमाप विचलन 8846.59 है साथ ही इसका मानक त्रुटि ;ैजंदकंतक मततवतद्ध 2948.86 है। इस प्रकार उपरोक्त सारणी के विश्लेषण से स्पष्ट है कि भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व तथा बाद के आयातों का माध्य अलग-अलग है। भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के बाद आयातों के 9 वर्षों का माध्य 43177.13 है जो भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व आयातों के 9 वर्षों के माध्य 14417.00 से अधिक हैं। इसके साथ ही हम यह भी देख सकते हैं कि 5 सार्थकता-स्तर पर कण् िके 16 मान के लिए ष्जष् का सारणी मूल्य 2.119 दिया हुआ है, जबकि ष्जष् का संगणित मूल्य .7ण्410 है, जो कि सारणी मूल्य से बहुत कम है। इससे हम कह सकते हैं कि इन दोनों माध्यों का अन्तर अर्थहीन है और हमारी भ्व् परिकल्पना सत्य है, जबकि भ्1 परिकल्पना असत्य है अर्थात भारत-आसियान के मध्य होने वाले मुक्त व्यापार समझौता के लागू होने के पूर्व और बाद भारत और आसियान के मध्य होने वाले आयात के संदर्भ में भारत के पक्ष में कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। मुक्त व्यापार समझौता के बाद भारत के आसियान से होने वाले आयातों में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। जैसा कि ब्।ळत् सारणी से स्पष्ट है कि इस समझौता के बाद निर्यातों में जहाँ साल दर साल मात्र 4ण्31 की वृद्धि हुई वहीं आयातों में साल दर साल 7ण्63 की वृद्धि देखने को मिलती है।

 

अध्ययन के नतीजेः-

  भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व 9 वर्षो के निर्यातो का माध्य 11001.08 है, जबकि समझौता होने के बाद 9 वर्षो का माध्य 66214.04 है, जो भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व निर्यातों के 9 वर्षो के माध्य से 55212.96 अधिक है, अर्थात भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के बाद भारत से आसियान को किये जाने वाले निर्यातो में 5 गुना से ज्यादा वृद्धि हुई है परन्तु इस समझौता से भारत को उतना लाभ नहीं हुआ जितना आशा व्यक्त किया गया था। ब्।ळत् के सारणी से स्पष्ट है कि इस समझौता के होने के पुर्व निर्यातो में साल दर साल 20.21 की वृद्धि और आयातो में 21.76 की वृद्धि साल दर साल हुई जबकि इस समझौता के बाद निर्यातो में मात्र्ा 4.31 वृद्धि जबकि आयातो में 7.63 की वृद्धि साल दर साल देखने को मिली है।

  भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पुर्व के 9 वर्षो के आयातो का मध्य 14417.00 है, जबकि भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के बाद आयातो के 9 वर्षो का माध्य 43177.13 है जो भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पुर्व आयातो के 9 वर्षो के माध्य से 28760.13 अधिक है, जो भारत आसियान मुक्त व्यापार समझौता होने के पूर्व के 9 वर्षो के आयातो के माध्य से लगभग तीन गुना अधिक है अर्थात भारत और आसियान के मध्य होने वाले मुक्त व्यापार समझौता के लागु होने के बाद भारत में आसियान से होने वाले आयात के संदर्भ में भारत के पक्ष में कोई विशेष सकारात्मक प्रभाव नही पड़ा है। ब्।ळत् सारणी से स्पष्ट है कि इस समझौता के बाद निर्यातो में जहाँ साल दर साल मात्र्ा 4.31 की वृद्धि हुई वही आयातों में साल दर साल 7.63 की वृद्धि हुई जो निर्यातो से बहुत अधिक है।

 

सुझावः-

  भारत और आसियान के मध्य वर्ष 2009 में मुक्त व्यापार समझौता होने के बाद दोनो पक्षो के व्यापार में महत्वपूर्ण वृद्धि देखने को मिली है। यदि आसियान के सदस्य राष्ट्र इस संदर्भ में भारत के साथ अपने प्रशुल्क कटौती के नीतियो को और अधिक उदार बनाते है तो इससे केवल भारतीय निर्यात में वृद्धि होगी बल्कि आयातो में वृद्धि  के साथ आसियान के राष्ट्र भी और अधिक लाभान्वित होगे। ऐसी आशा व्यक्त किया गया है कि दोनो पक्षो के मध्य व्यापार उदारीकरण के बाद वर्ष 2025 तक इन दोनो पक्षो के मध्य व्यापार बढ़कर 300 अरब डॉलर के पार हो जायेगा।

शोघ कार्य के भविष्य का आयामः-

  परम्परागत और गैर-परम्परागत व्यापारिक भागीदारों के साथ व्यापार की संरचना और दिशा तथा व्यापार संतुलन की स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन अन्य शोधकर्ताओं के अध्ययन के रुचि का विषय हो सकते हैं।

  परम्परागत और गैर-परम्परागत व्यापारिक भागीदारों के साथ कृषि से संबंधित वस्तुओं के व्यापार की दिशा, संरचना, समस्याओं एवं चुनौतियों का अन्य शोधकर्ताओं द्वारा विश्लेषण किया जा सकता है।

‘‘पूर्व की ओर सक्रिय नीति ;।बज म्ंेज च्वसपबलद्ध’’ का सामान्य वर्षों में भारतीय व्यापार पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया जा सकता है, ताकि कोविड-19 और लॉकडाउन के प्रभावों को व्यापार से निकाल कर ष्।बज म्ंेज च्वसपबलष् का अध्ययन किया जा सके।

 

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Received on 13.07.2023         Modified on 25.07.2023

Accepted on 04.08.2023         © A&V Publication all right reserved

Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2023; 11(3):184-193.

DOI: 10.52711/2454-2687.2023.00031