Author(s):
सुमन गर्ग, कमला वशिष्ठ, नरेन्द्र कुमार गर्ग
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gnarendra15@yahoo.in / sumang.garg@gmail.com
DOI:
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Address:
श्रीमती सुमन गर्ग, श्रीमती कमला वशिष्ठ, डाॅ. नरेन्द्र कुमार गर्ग
1व्याख्याता, डी.सी.एस. शिक्षक प्रशिक्षण महिला महाविद्यालय, जयपुर (राजस्थान),
2निर्देशिका, स्कूल आफ एज्यूकेशन, जयपुर (राजस्थान)
3रीडर, शिरडी साईं बाबा आयुर्वेदिक मेडिकल काॅलेज, रेनवाल (जयपुर राजस्थान)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 1,
Issue - 1,
Year - 2013
ABSTRACT:
अनुसंधान की प्रक्रिया में संबंधित साहित्य का अध्ययन करना इस उपक्रम का वैज्ञानिक तथा महत्वपूर्ण चरण है क्योंकि व्यक्ति अपने अतीत से संचित एवं आलेखित ज्ञान के आधार पर नवीन ज्ञान का सृजन करता है। केवल मानव ही ऐसा प्राणी है जो सदियों से एकत्र ज्ञान का लाभ उठा सकता है। मानव ज्ञान के तीन पथ होते हैं-
ज्ञान को एकत्रित करना।
दूसरी पीढी को ज्ञान का स्थानान्तरण।
ज्ञान में वृद्धि करना।
Cite this article:
सुमन गर्ग, कमला वशिष्ठ, नरेन्द्र कुमार गर्ग. अनुसंधान की प्रक्रिया में संबंधित साहित्य के अध्ययन की प्रासंगिकता. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 1(1): July –Sept. 2013; Page 18-20.
Cite(Electronic):
सुमन गर्ग, कमला वशिष्ठ, नरेन्द्र कुमार गर्ग. अनुसंधान की प्रक्रिया में संबंधित साहित्य के अध्ययन की प्रासंगिकता. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 1(1): July –Sept. 2013; Page 18-20. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2013-1-1-5
संदर्भ ग्रंथ
1. गेरेट, हेनरी ई. स्टेटिक्स आॅफ साइकोलोजी एण्ड एज्यूकेशन, न्यूयार्क
2. बेस्ट जान डब्ल्यू - रिसर्च इन एज्यूकेशन यू.एस.ए. पेक्टिस हाॅल (इंक)
3. वशिष्ठ, कमला - पर्यावरण शिक्षण, मैसर्स यूनिवर्सिटी बुक हाउस, प्रथम संस्करण, 2006
4. शिविरा पत्रिका विशेषांक - मई, जून 2008
5. नई शिक्षा: राष्ट्रीय शैक्षिक मासिक पत्रिका - 30 सितम्बर, 2009
6. The Educational Review - "Jan 2001 - Vol. 107
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