Author(s):
Madhulika Agrawal, Noopur Agrawal
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Address:
Dr. Madhulika Agrawal1, Dr. Noopur Agrawal2
1H.O.D Commerce, Govt. Naveen College, Birgaon
2Asst. Prof. Commerce, Agrasen Mahavidyalaya, Purani Basti, Raipur
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 7,
Issue - 2,
Year - 2019
ABSTRACT:
नगरीकरण एक वैष्विक परिर्वतन है। नगरीकरण शहरो का भौतिक परिवर्तन हैं या अन्य शब्दों में जनसंख्या का शहरो में केन्द्रीकरण हैं। शहरी क्षेत्रो कि सीमा और घनत्व में वृद्धि के कारण षहरीकरण होता है। नगरीकरण का प्रमुख कारण जनसंख्या वृद्धि एंव शहरो में रोजगार की संम्भावना के उद्धेष्य से ग्रामिण क्षेत्रो के लोगो का शहरो मे प्रवास हैं। शहरीकरण के कारण शहरो का विकास ग्रमिण क्षेत्रो की तुलना अधिक तेजी के साथ हो रहा है। भारत में अनियंत्रित शहरीकरण के कारण अनेक पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओ का भी जन्म हो रहा है जैसे शहरो में स्थापित उधोगो से होने वाली वायु ध्वनी जल प्रदूषण शहरो में जनसंख्या घनत्व में वृद्धि के कारण वाहनो की संख्या में और औधौगिक इकाईयों में वृद्धि हुई है। इसके कारण वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा हैं। अतः हमें इस अनियंत्रित शहरीकरण पर रोक लगाने की ओर कदम उठाना चाहिए जिससे पर्यावरण पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव को रोका जा सकता है।
Cite this article:
Madhulika Agrawal, Noopur Agrawal नगरीकरण का पर्यावरण पर प्रभाव. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2):392-394.
Cite(Electronic):
Madhulika Agrawal, Noopur Agrawal नगरीकरण का पर्यावरण पर प्रभाव. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2):392-394. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2019-7-2-17