Author(s): चंदा देवी, निर्मला सिंह

Email(s): patelchanda019@gmail.com

DOI: 10.52711/2454-2687.2025.00031   

Address: चंदा देवी1, निर्मला सिंह2
1गृह विज्ञान विभाग, ज्वाला देवी विद्या मंदिर, पी0जी0 कॉलेज, कानपुर (उ0प्र0), भारत।
2प्रोफेसर, ज्वाला देवी विद्या मंदिर, पी0जी0 कॉलेज, कानपुर (उ0प्र0), भारत।
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 13,      Issue - 4,     Year - 2025


ABSTRACT:
भारत के स्वास्थ्य जनसांख्यिकीय में ग्रामीण जन स्वास्थ्य का महत्त्वपूर्ण प्रतिभाग है। सरकारी व गैर सरकारी समुचित प्रयासों के बाद भी इन क्षेत्रों में बीमारी दर में लगातार वृद्धि के सभावित कारणों में ग्रामीण महिलाओं के द्वारा रसोईघर में प्रयोग होने वाले परम्परागत ईंधन (लकड़ी, कोयला, गोबर के कंडे, कैरोसीन, बायो-ईंधन आदि) से होने वाले वायु प्रदूषण भी शामिल हैं। उददेश्यः ग्रामीण अंचलों के घरों में कुकिंग के लिये प्रचलित ईंधन का महिलाओं के कार्यों, आरोग्य तथा स्वास्थ में प्रभाव का अध्ययन करना। शोध विधिः जौनपुर (उत्तर प्रदेश) के चयनित ब्लॉकों से 470 महिलाओं का यादृच्छिक प्रक्रिया द्वारा चयन किया गया। सर्वेक्षण विधि में प्रमाणित प्रश्नावली का प्रयोग किया गया। परिणामः जनसांख्यिकीय अध्ययन में 32.76 प्रतिशत के परिवारों कि संरचना वृहत् पायी गई और 43.61 प्रतिशत महिलाएं इंटरमीडिएट तक शिक्षित पायी गयी। 44.02 प्रतिशत घरों में लिक्विड पेट्रोलियम गैस (एल.पी.जी.) का कनेक्शन तो लिया गया था, परन्तु केवल 12.55 प्रतिशत महिलाओं द्वारा भोजन बनाने में इसका नियमित उपयोग देखा गया। इसमें अधिकांश महिलाओं ने गैस रिफिलिंग न होने के कारण आर्थिक कठिनाई का होना बताया गया। सबसे अधिक प्रचलित ईंधन में (35.74 प्रतिशत) मिट्टी के चूल्हे में लकड़ी का प्रयोग बताया गया। 26.92 प्रतिशत महिलायें श्वास कि समस्या से एवं 13.84 प्रतिशत महिलायें फेफड़े कि बीमारी से ग्रसित पायी गयी। निष्कर्षः प्रदूषण मुक्त ग्रामीण परिवेश में अभी भी घरेलू ईंधन का प्रतिभाग देखा जा रहा है, जिसके कारण महिलाओं के स्वास्थ्य एवं जीवन स्तर पर विपरीत प्रभाव सामने आया है, अतः एल.पी.जी. चूल्हे के प्रयोग से स्वास्थ्य लाभ से सबंधित जागरूकता के साथ उनको इसमें गैस मितव्ययिता कि ट्रेनिंग देना भी आवश्यक है।


Cite this article:
चंदा देवी, निर्मला सिंह. ग्रामीण परिवेश में महिलाओं द्वारा भोजन बनाने के लिये प्रचलित ईंधन एवं इसका उनके जीवन स्तर पर प्रभाव का अध्ययन. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2025; 13(4):215-8. doi: 10.52711/2454-2687.2025.00031

Cite(Electronic):
चंदा देवी, निर्मला सिंह. ग्रामीण परिवेश में महिलाओं द्वारा भोजन बनाने के लिये प्रचलित ईंधन एवं इसका उनके जीवन स्तर पर प्रभाव का अध्ययन. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2025; 13(4):215-8. doi: 10.52711/2454-2687.2025.00031   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2025-13-4-4


5. संदर्भ सूची:
1.    एन अहमद, शर्मा शैलेश एवं सिंह अंजनी, (2018), प्रधानमंत्री उज्जवला योजना (पी.एम.यू.वाई.) सटेप्स टुवर्ड्स शोशल इनक्लूशन इन इंडिया, इंटरनेशनल जरनल ऑफ ट्रेंड्स इन रिसर्च एंड डेवलपमेंट, 2018, वाल्यूम 5 (1)।
2.    भारतीय राष्ट्रीय योजना (2001), प्रदूषण फैलाने वाले घरेलू ईंधन का स्वास्थ्य पर प्रभाव।
3.    डब्ल्यू एच.ओ. (2006), असेसिंग हाउस होल्ड सालिड फ्यूल यूज इन एनवायरमेंट हेल्थ प्रासपेकटिव।
4.    डब्ल्यू.एच.ओ. (2009), पब्लिक हैल्थ एंड एनवायरमेंट, विश्व स्वास्थय संगठन, जिनेवा सम्मिट।
5.    डब्ल्यू एच ओ (2018), फैक्ट शीट 8 मई 2018.
6.    जनसत्ता (जनवरी 19), 2019, उज्जवला योजना का सफलता परलगा सवालिया निशान।
7.    दैनिक भास्कर सर्वे रिपोर्टर (2018), गैर कनेक्शन वाली महिलाओं पर सर्वे रिपोर्ट।

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