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बी. एन. मेश्राम
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डाॅ. (श्रीमति) बी. एन. मेश्राम
(प्राचार्य) प्राध्यापक, राजनीति शास्त्र, शासकीय डाॅ. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर
स्नातकोत्तर महाविद्यालय डोंगरगांव, जिला - राजनांदगांव (छ.ग.)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 6,
Issue - 4,
Year - 2018
ABSTRACT:
मनु ने मनुस्मृति में कहा था ’’यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते, रमन्ते तत्र देवता’’ अर्थात्देवगण ऐसे स्थान पर वास करते हैं, जहाॅं स्त्रियों का सम्मान होता है, शायद इसी भावना के तहत् प्राचीन भारतीय समाज में महिलाओं को विषेष स्थान प्राप्त था। उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था (ईसापूर्व 300 वर्ष पहले)। महिलाओं की सामाजिक स्थिति बैदिक काल से ही पतन के कगार पर आना प्रारंभ हो गई, मुगल काल में तो महिलाओं की स्थिति और भी दयनीय हो गई थी। सती प्रथा और पर्दाप्रथा अपने चरम सीमा पर थे, महिलाओं की षिक्षा लगभग समाप्त हो चुकी थी, परिवर्तन के इस युग में हर चीज बदल रही है। बात महिला राजनीति की है, आजादी की लड़ाई के दौरान और स्वतंत्रता के दौर में राजनीतिक पटल पर कई महिलााऐं आयी और अपनी छाप छोड़ गई लेकिन सफल महिला राजनीतिज्ञों की संख्या कम है। महिला को राजनीतिक प्रषिक्षण दिया जाना आवष्यक है। राजनीतिक जागरूकता अति आवष्यक है जिससे राजनीति व प्रषासन में महिला अधिक से अधिक अपना योगदान दे सके।
Cite this article:
बी. एन. मेश्राम. भारतीय राजनीति एवं प्रषासन में महिलाओं की भूमिका. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(4): 531-534.
Cite(Electronic):
बी. एन. मेश्राम. भारतीय राजनीति एवं प्रषासन में महिलाओं की भूमिका. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(4): 531-534. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-4-25