Author(s): सुशीलकुमार सिंह

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Address: सुशीलकुमार सिंह सहायक प्राध्यापाक (संविदा), प्रा. भा. इति. सं. एवं पुरा. अध्ययन शाला, पं. रविशंकर शुक्ल वि. वि. रायपुर (छ.ग.)

Published In:   Volume - 2,      Issue - 1,     Year - 2014


ABSTRACT:
मघ लगभग द्वितीय सदी ई. से लेकर गुप्तों के अभ्युदय तक मध्य भारत की एक महत्वपूर्ण शक्ति थे, जिनकी मुद्राएं तथा अभिलेख, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ से समय-समय पर प्राप्त होते रहे हैं।मघांे के बारे में प्रथम ऐतिहासिक सूचना हमें वायुपुराण से प्राप्त होती है, जहां उन्हें कोसल का शासक बताया गया है।1 यहां कोसल का संबंध दक्षिण कोसल से है, जिसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ एवं उड़ीसा का भाग आता है।जी. आर. शर्मा द्वारा कौशाम्बी में किये गये उत्खनन से मघ मुद्राएं कुषाण मुद्राओं के ऊपरी स्तर से प्राप्त हुई हैं।2 अतः इस पुरातात्विक प्रमाण ने मघों के कालक्रम को वैज्ञानिक आधार प्रदान किया है, जिससे इतना अवश्य स्पष्ट हो जाता है कि कौशाम्बी एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों में कुषाणों के पश्चात् मघों ने अपनी सत्ता स्थापित की।इसके सम्भावित कालक्रम के निर्धारण हेतु इनके द्वारा जारी किये गये अभिलेखों में प्रयुक्त तिथि, उनकी लिपिगत विशेषता तथा मुद्रा लिपि के तुलनात्मक अध्ययन को भी आधार बनाया जा सकता है, जो लिपिशास्त्र का विषय है।


Cite this article:
सुशीलकुमार सिंह. ‘‘श्रीमघ‘‘ मघ वंश का संस्थापक. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(1): Jan. – Mar. 2014; Page 95-96.

Cite(Electronic):
सुशीलकुमार सिंह. ‘‘श्रीमघ‘‘ मघ वंश का संस्थापक. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(1): Jan. – Mar. 2014; Page 95-96.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2014-2-1-24


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