ABSTRACT:
गीतकार के गीतों में सर्वप्रथम प्रत्यक्ष प्रभाव उसके अपने जीवन का होता है, तत्पश्चात् व्यक्ति विशेष से सम्पर्क व संबंधों का प्रभाव परिलक्षित होता है। गीत की इसी आत्मपरकता व व्यक्तिपरकता को हम इस तरह आत्मसात् कर अभिव्यक्त कर सकते हैं कि साहित्य मूलतः सर्जन है - निर्माण नहीं।
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आभा श्रीवास्तव. छत्तीसगढ़ के गीतकार.आत्मपरक गीत. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 4(2): April - June, 2016; Page 48-55.
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आभा श्रीवास्तव. छत्तीसगढ़ के गीतकार.आत्मपरक गीत. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 4(2): April - June, 2016; Page 48-55. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2016-4-2-3