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सुधीर कुमार राय
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डॉ0 सुधीर कुमार राय
एसशिएट प्रफेसर, समाजशास्त्र्-विभाग, उदय प्रताप स्वायत्तशासी महाविद्यालय, वाराणसी।
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 4,
Issue - 4,
Year - 2016
ABSTRACT:
आज कल का परिणाम ह¨ता है। वर्तमान का भारत भी अपने अतीत का प्रतिफल है। अ©पनिवेशिक संरक्षण में उपजा भारतीय नवजागरण अपने प्रादुर्भाव के समय से ही अन्तर्विर¨ध¨ं में रहा है। भारत पश्चिमी प्रभाव में जिस प्रकार शक्ति पर आधारित राजनीतिक समाज में बदलता जा रहा है, वह न केवल अभारतीय है, वरन् सभ्यताअ¨ं की विषमता के कारण इसके सामाजिक पर्यावरण में भी अभूतपूर्व विकृतियाँ जन्म ल्¨ रही हैं। क्य¨ंकि यहाँ मनुष्य क¨ यंत्र्ा मानने वाली मशीनी अवधारणा छिपी है, ज¨ अठारहवीं-उन्नीसवीं सदी की ख¨ज¨ं तथा मशीनी यन्त्र्ा¨ं की अति मानवीय शक्तिय¨ं से चमत्कृत ह¨कर मनुष्य क¨ भी एक स्वचालित जैविक यंत्र्ा विश्¨ष ही मान बैठा।
आधुनिकता से तर्कबुद्धि, मानवता अ©र स्वतंत्र्ाता का विचार जुड़ा हुआ है। य¨र¨पीय नवजागरण क्रान्तिकारी मानवतावाद ल्¨कर आया था। फ्रांसीसी राज्यक्रान्ति के आदशर्¨ं व सिद्धान्त¨ं से भी उसका गहरा सम्बन्ध था। फ्रांस की राज्यक्रान्ति के तीन नारे- स्वतंत्र्ाता, समानता अ©र विश्वबन्धुत्व थ्¨। यही अवधारणाएँ आगे चलकर राष्ट्र-राज्य की नवीन संकल्पना का मूलाधार बनीं। एतदर्थ, इनके ऐतिहासिक संदर्भ-विषय क¨ भी समझना ह¨गा। कालान्तर की धर्मनिरपेक्षता, ल¨कतंत्र्ा व समाजवाद की अवधारणा भी उन्हीं पर निर्भर है। यहाँ त¨ प्रश्न था- स्वतंत्र्ाता, समानता, विश्वबन्धुत्व किसके तथा किनके बीच तथा ल¨कतंत्र्ा अ©र धर्मनिरपेक्षता क्य¨ं? स्वतंत्र्ाता धर्म अ©र चर्च की जकड़बन्दी से। समानता कुलीन तथा आम आदमी के बीच। विश्वबन्धुत्व उद्यमिय¨ं अ©र श्रमजीविय¨ं के मध्य। ल¨कतंत्र्ा वंशानुगत सामंती विश्¨षाधिकार¨ं की समाप्ति के लिए। धर्मनिरपेक्षता मध्ययुगीन धर्मानुम¨दित राज्य सभा द्वारा कुलीनतंत्र्ा के जन्मसिद्ध अधिकार¨ं की सुरक्षा तथा संरक्षण के अन्त के लिए। समाजवाद सामाजिक सम्पत्ति के असमान वितरण क¨ खत्म कर समानतामूलक समाज की स्थापना के लिए।
Cite this article:
सुधीर कुमार राय. आधुनिकीकरण अ©र आज का भारत. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 4(4): Oct.- Dec., 2016; Page 206-210.
Cite(Electronic):
सुधीर कुमार राय. आधुनिकीकरण अ©र आज का भारत. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 4(4): Oct.- Dec., 2016; Page 206-210. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2016-4-4-2