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स्वाति शर्मा, विनोद जोशी
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डॉ स्वाति शर्मा1ए डॉ विनोद जोशी2
1सहायक प्राध्यापकए डॉ राधा बाई शांण् नवीन कन्या महाविद्यालयए रायपुर
2प्राध्यापकए डॉ राधा बाई शांण् नवीन कन्या महाविद्यालयए रायपुर
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 5,
Issue - 2,
Year - 2017
ABSTRACT:
प्रतिश्ठित अर्थशास्त्रियों के पूर्व प्रकृतिवादी अर्थशास्त्रियों ने भूमि को ही आर्थिक उत्पादन का स्त्रोत घोषित किया था। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र में चार प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त करने के लिए व्यापक एवं समुचित प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है। समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि लक्षित वृद्धि दर प्राप्त करने के लिए भूखण्डों का मिलान (संयुक्तीकरण), खाद्य भण्डारण का प्रभावी प्रबन्धन और आपूर्ति श्रृंखला सुधारने की आवश्यकता है। समीक्षा के अनुसार ग्रामीण ढंाचे व सिंचाई सुविधाओं के निर्माण व अनुसंधान एवं विकास में निवेश को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिये। कृषि व्यवसाय के लिए समयानुकूल पानी की आवश्यकताहोती है, जिसकी पूर्ति वर्शा तथा सिंचाई के साधनों द्वारा की जाती है। भारत में वर्षा की स्थिति अत्यन्त अनिश्चित एवं अनियमित है तथा वर्ष में केवल कुछ महिनों में ही वर्षा होती है। निरन्तर प्रयासों के बावजूद सिंचाई के साधनों का अभी भी पर्याप्त विस्तार नहीं हो सका है। ऐसी स्थिति में भारतीय कृषि अनिश्चित हो जाती है। नलकूप खनन योजना इस उद््देश्य से राज्य में लागू की गयी जिससे कृषकों के ग्रामीण विकास में ख्ेाती के जरिये उत्पादकता बढ़ाकर वृद्धि की जा सके। इस योजना का मूल्यांकन परिवर्तन की दर और संयुक्त वृद्धि दर के माध्यम से क्रमशः वितरित राशि और लाभान्वित कृषकों हेतु ज्ञात किया गया है।
Cite this article:
स्वाति शर्मा, विनोद जोशी. रायपुर जिले की केंद्र परिवर्तित राष्ट्रिय जल ग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम का तहसील वार विश्लेषण. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2017; 5(2): 135-139 .
Cite(Electronic):
स्वाति शर्मा, विनोद जोशी. रायपुर जिले की केंद्र परिवर्तित राष्ट्रिय जल ग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम का तहसील वार विश्लेषण. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2017; 5(2): 135-139 . Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2017-5-2-12