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हीना शुक्ला, रमेश अनुपम
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हीना शुक्ला1, डाॅ. रमेश अनुपम
1शोध छात्रा, शासकीय दू.ब. महिला स्नाताकोत्तर, महाविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
2शोध निर्देशक, सहायक प्राध्यापक, शासकीय दू.ब. महिला स्नाताकोत्तर महाविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
Published In:
Volume - 5,
Issue - 3,
Year - 2017
ABSTRACT:
आधुनिक साहित्य की समस्त विधाओं में कहानी अपनी कलात्मक कामनीयता सहजाकर्षण शक्ति, मनोरंजकता एवं प्रभाविष्णुता से संपन्न एक श्रेष्ठ सर्वाधिक लोकप्रिय एवं अन्यतम् स्थान की अधिकारणी विधा है। कहानी दशक-दशक पर नई उॅंचाई को छूते हुए विकास, परिर्वतन और स्वरूप को आज वर्तमान समय में प्रस्तुत किया है। कहानी की इसी काल क्रम में आठवें दशक में उदयप्रकाश की कहानी जैसे शाश्वत रचनाकार का नाम सामने आता है जो अपनी कहानियों में समकालीन यथार्थ और समकालीन नवयथार्थ का चित्रण बखूबी रूप से कहानियों में प्रस्तुत किया है।
Cite this article:
हीना शुक्ला, रमेश अनुपम. पीली छतरी वाली लड़की और भूमण्डलीकरण. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2017; 5(3): 181-184.
Cite(Electronic):
हीना शुक्ला, रमेश अनुपम. पीली छतरी वाली लड़की और भूमण्डलीकरण. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2017; 5(3): 181-184. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2017-5-3-7
संदर्भ ग्रंथ सूचीः
1. वर्मा निलिमा, स्वातंन्त्रयोत्तर हिन्दी कहानी में नारी चरित्र का आधार, युनिर्वसिटी बुक हाऊस, जयपुर सन् 2004, पृष्ठ क्रं. सं. 01
2. उदयप्रकाश पीली छतरी वाली लड़की, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, सन् 2001, पृष्ठ सं. 20
3. उदयप्रकाश पीली छतरी वाली लड़की, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, सन् 2001, पृष्ठ सं. 21
4. उदयप्रकाश पीली छतरी वाली लड़की, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, सन् 2001, पृष्ठ सं. 07
5. उदयप्रकाश पीली छतरी वाली लड़की, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, सन् 2001, पृष्ठ सं. 22
6. उदयप्रकाश पीली छतरी वाली लड़की, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, सन् 2001, पृष्ठ सं. 13
7. देसाई पारूकांत, साठोत्तरी उपन्यास, प्रकाशक चिंतन प्रकाशन कानपुर, प्रथम संस्करण 2002 पृ. सं. 372