Author(s):
अरूणा कुजूर’, एन के. बघमार
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arunakujur007@gmail.com
DOI:
Not Available
Address:
श्रीमती अरूणा कुजूर1’ , डाॅ. एन के. बघमार2
1शोध छात्रा, भूगोल अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
2प्रोफेसर, भूगोल अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 5,
Issue - 4,
Year - 2017
ABSTRACT:
हमारे देश में जनांकिकी संबंधी गंभीर और वैज्ञानिक अध्ययन किये जा रहे हैं जिनके आधार पर राष्ट्रीय जनसंख्या नीति का निर्धारण होता है और जनसंख्या नियंत्रण के लिये योजनाबद्ध कार्यक्रम बनाया जा सकता है।
जनसंख्या ही समाज का आधार है क्योंकि व्यक्तियों के बीच सम्बन्धों की व्यवस्था ही समाज का निर्माण करती है। समाज की निरन्तरता भी जनसंख्या की निरन्तरता के द्वारा ही बनी रहती है। किसी क्षेत्र की जनसंख्या के अध्ययन से हमें उस क्षेत्र की जनांकिकीय विशेषताओं की स्पष्ट जानकारी प्राप्त होती है। इसके अंतर्गत आयु, लिंग, जाति, धर्म, निवास आदि का अध्ययन किया जाता है। जनसंख्या में व्याप्त विशेषताओं व विभिन्नताओं का पता कर सकतेे है।
एक समाज किन कारणों से अपना पृथक अस्तित्व बनाये हुए है, इसका पता लगाया जा सकता है। जनांकिकी के अन्तर्गत जनसंख्या की विभिन्न विशेषताओं के आधार पर जनसंख्या का वर्गीकरण किया जाता है- (1) आयु संरचना (2) लिंग संरचना (3) कार्यशील जनसंख्या (4) वैवाहिक स्तर (5) शैक्षणिक स्तर (6) धार्मिक संरचना आदि।
Cite this article:
अरूणा कुजूर’ , एन के. बघमार. सरगुजा जिले में आयु संरचना: ओड़गी एवं लखनपुर विकासखण्ड के विशेष संदर्भ में. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2017; 5(3): 219-222 .
Cite(Electronic):
अरूणा कुजूर’ , एन के. बघमार. सरगुजा जिले में आयु संरचना: ओड़गी एवं लखनपुर विकासखण्ड के विशेष संदर्भ में. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2017; 5(3): 219-222 . Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2017-5-4-8