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Vrinda Sengupta, Satish Ahrawal
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Dr. (Mrs.) Vrinda Sengupta1, Dr. Satish Ahrawal2
1Asstt. Prof. (Sociology), Govt. T.C.L. P.G. College, Janjgir (C.G.)
2Asstt. Prof. (Commerce), Govt. T.C.L. P.G. College, Janjgir (C.G.)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 5,
Issue - 4,
Year - 2017
ABSTRACT:
भारत निर्माण के लिए नारे को अमलीजामा पहनाने के लिए ईमानदारी से जो काम करने की जरूरत है, वह ग्रामीण ढाँचागत सुविधाओं के लिए देश भर में समान गुणवŸाा मानकांे को लागू करने की है। शहरी स्तर पर विश्व स्तर की सुविधाएँ विकसित करने लक्ष्य तय किए जा रहे हैं। उसी तरह ग्रामीण ढाँचागत सुविधाएँ भी उच्च स्तर की हों, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। ग्रामीण भारत की स्थिति में भारी बदलाव लाने की जरूरत है और उसके लिए बड़े पैमाने पर सार्वजनिक निवेश करना होगा। इसके साथ ही कई तरह के प्रशासनिक सुधार भी लागू करने होंगे ताकि लक्ष्यों को हासिल करने में तेजी लाई जा सके। जब तक ग्रामीण क्षेत्र में ढाँचागत सुविधाएँ विकसित नहीं होंगी तब तक इसकी विकास की गति को तेज नहीं किया जा सकेगा और इसे अर्थ व्यवस्था की मुख्य धारा में लाने के लिए ग्रामीण अर्थ व्यवस्था में मजबूती से देश की अर्थ व्यवस्था मजबूत हो सकेगी। आार्थिक विकास किसी भी देश के लोगों के आर्थिक व सामाजिक कल्याण का एक सशक्त माध्यम है। आर्थिक विकास से अभिप्राय राष्ट्रीय आय में वृद्धि करके निर्धनता को दूर करना तथा सामान्य जीवन स्तर में सुधार करना है। फलस्वरूप देश में उत्पादन तथा निवेश बढ़ता है। विकास के अंतर्गत जहाँ एक ओैर राष्ट्रीय आय, उत्पादकता रोजगार, आत्मनिर्भरता, पूँजी निर्माण व सामाजिक कल्याण में वृद्धि होती है। दूसरी ओर निर्धनता, विषमताओं, सामाजिक लागतों, असंतुलित विकास, बीमारी, शोषण, उत्पीड़न, एकाधिकारी प्रवृŸिायों में कमी आती है। यह एक सर्वमान्य सत्य है कि आर्थिक विकास का संबंध नगरीकरण के विकास के साथ होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या का नगरीय क्षेत्रों में परिवर्तन आर्थिक विकास की दृढ़ कसौटी है। भारत में नगर जनसंख्या जो 1909 में कुल जनसंख्या का 11 प्रतिशत् थी, धीरे-धीरे बढ़ते हुए सन् 2001 में कुल जनसंख्या 27.8 प्रतिशत् हो गई है। अतः सर्वविदित है कि देश के आर्थिक विकास के साथ-साथ नगरीकरण की प्रवृŸिा में वृद्धि हो रही है। बढ़ते हुए नगरीकरण का विकास प्रभाव व विकास का नगरीकरण पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के पूर्व नगरीकरण को जानना आवश्यक है।
Cite this article:
Vrinda Sengupta, Satish Ahrawal. छ.ग. के ग्रामीण विकास में कृषि श्रमिकों एवं रोजगार की भूमिका आर्थिक विकास के विषेष संदर्भ में. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2017; 5(4): 223-228 .
Cite(Electronic):
Vrinda Sengupta, Satish Ahrawal. छ.ग. के ग्रामीण विकास में कृषि श्रमिकों एवं रोजगार की भूमिका आर्थिक विकास के विषेष संदर्भ में. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2017; 5(4): 223-228 . Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2017-5-4-9