Author(s): आराधना शुक्ला, अशेाक शर्मा

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Address: डाॅ. आराधना शुक्ला1, डाॅ. अशेाक शर्मा2
1सहाप्राध्यापक वाणिज्य, आर.आई.टी.ई.ई. काॅलेज, रायपुर (छ.ग.)
2सहाप्राध्यापक वाणिज्य, जे.योगानंदम् छत्तीसगढ़ महाविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)

Published In:   Volume - 6,      Issue - 2,     Year - 2018


ABSTRACT:
एक कंपनी अपने व्यापार के संचालन हेतु आवश्यक पूंजी लगाती है जैसे की कच्चे माॅल क्रय , निर्मित माॅल को उधार पर देना जिसके कारण उसकी देनदारी में पूंजी कुछ समय के लिए फंस जाती है, कार्यशील पूँजी दिवस की गणना से हमे ज्ञात होता है कि कितने दिनों में ये पूंजी कंपनी को वापस मिल सकती है। यदि कार्यशील पूंजी कंपनी को शीघ्र वापस मिल जाती है तो इसका अर्थ है कि कंपनी के वित्तीय हालत बेहतर है । और उसे रोजमर्रा के काम काज चलाने मे कोई दिक्कत नहीं आएगी ।


Cite this article:
आराधना शुक्ला, अशेाक शर्मा. कार्यशील पूँजी दिवस की अवधारणा. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(2):123-124.

Cite(Electronic):
आराधना शुक्ला, अशेाक शर्मा. कार्यशील पूँजी दिवस की अवधारणा. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(2):123-124.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-2-6


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