Author(s):
शीबा खान
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डाॅ शीबा खान
सहायक प्राध्यापक (वाणिज्य), शास. इंदिरा कन्या महाविद्यालय, सतना (म.प्र.)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 6,
Issue - 3,
Year - 2018
ABSTRACT:
भारत एक विकासशील एवं कृषि प्रधान देश है जहां की अधिकांश आबादी आज भी गाँवों में निवास करती है। यह गलत नहीं होगा कि प्रथम भारत गाँवों में बसता है। खेती और किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। कृषि देश का सबसे बड़ा उद्योग तो है ही साथ ही हमारी आबादी का लगभग 70 फीसदी हिस्सा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि क्षेत्र से ही रोजगार पाता है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के अनुसार विश्व के 225 सबसे अधिक धनी व्यक्तियों की आय, 2.5 फीसदी गरीबों की आय के बराबर है। सन् 1973 से 2000 के दौरान पाया गया कि विश्व के धनी व्यक्तियों की आय 66 प्रतिशत बढ़ गयी थी। जबकि मध्यम वर्ग की आय 10 प्रतिशत ही बढ़ी। यदि देखा जाय तो ग्रामीण अर्थिक विकास की सम्भावना भारतीय कृषि में ही है। रीवा जिला मध्यप्रदेश का मूलतः कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाला जिला है। इस जिले में लोग सदियों से कृषि कार्य करते आ रहे है। किन्तु परम्परागत कृषि कार्य होने के कारण कृषि उत्पादकता में कमी पाई जाती है। भूमि सुधार एवं सिंचाई के साधनों के अभाव के कारण कृषि की दशा में आवश्यक सुधार संभव नहीं हुए है। बाणसागर परियोजना ने शहरी एवं ग्रामीणअर्थव्यवस्था के विकास में अमूल्य परिवर्तन कर उसे गतिशील एवं विकासवान बनाया है। जिसके कारण व्यक्तियों का जीवन पुनरू आत्म निर्भरता की ओर अग्रसर हुआ हैं। इस प्रकार बाणसागर परियोजना का उद्भव व विकास जिले में युगंतकारी घटना है।
Cite this article:
शीबा खान. कृषि विकास में बाणसागर बहुउद्देशीय परियोजना का योगदान रीवा संभाग के विशेष संदर्भ में. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(3):355-359.
Cite(Electronic):
शीबा खान. कृषि विकास में बाणसागर बहुउद्देशीय परियोजना का योगदान रीवा संभाग के विशेष संदर्भ में. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(3):355-359. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-3-26