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निवेदिता ए. लाल
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डाॅ. निवेदिता ए. लाल,
सहायक प्राध्यापक, भूगोल, शासकीय कमला देवी राठी महिला महाविद्यालय, राजनांदगाव (छ.ग.)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 6,
Issue - 4,
Year - 2018
ABSTRACT:
खाद्य सुरक्षा के नाम पर वैश्विक बाजार की ताकतों ने कृषि क्षेत्र को भी एक दुधारू गाय के रूप में ही देखा है। खाद, बीज, दवाईयाॅ बेचने वाले इन राक्षसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की अन्तहीन लाभ लालसा ने खेती को एक ऐसे खतरनाक कार्य के रूप में परिणित कर दिया है, जो कि खेती करने वाले किसान, उसकी भूमि, जलस्त्रोत, आस-पास की वनस्पतियों, पर्यावरण तथा ऐसी खेती से उत्पन्न कृषि उत्पादों का उपभोग करने वाले उपभोक्ता परिवारों के लिये, पशु-पक्षी सभी के लिये गम्भीर रूप से हानिकारक तथा घातक सिद्ध हुई है। जैविक खेती कृषि तकनीकी न केवल पर्यावरण सुरक्षा एवं मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम है, बल्कि रासायन आधारित खेती की तुलना में, कम लागत से अधिक लाभ पहुॅचाने वाली एवं कृषि के लम्बे समय तक के टिकाऊपन के लिये भी उपयोगी है। जैविक खेती में प्रयोग होने वाले जैविक खाद किसान स्वयं बना सकते हैं।तथा जैविक कीटनाशकों के प्रयोग से प्र्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है एवं रासायनिक कीटनाशियों की खपत को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।
Cite this article:
निवेदिता ए. लाल. जैविक कृषि एवं पर्यावरण संतुलन (राजनांदगांव जिला, छत्तीसगढ़ के विषेष संदर्भ में). Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(4): 525-530.
Cite(Electronic):
निवेदिता ए. लाल. जैविक कृषि एवं पर्यावरण संतुलन (राजनांदगांव जिला, छत्तीसगढ़ के विषेष संदर्भ में). Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(4): 525-530. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-4-24