Author(s): के.एल. मौर्य, चाँदनी कुशवाहा

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DOI: 10.52711/2454-2687.2023.00001   

Address: डॉ. के.एल. मौर्य1, चाँदनी कुशवाहा2
1प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष (अर्थशास्त्र), शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय सतना (म.प्र.)
2शोधार्थी (अर्थशास्त्र), शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय सतना (म.प्र.)
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 11,      Issue - 1,     Year - 2023


ABSTRACT:
जैविक खेती कृषि की वह विधा है, जिसमें मृदा को स्वस्थ व जीवन्त रखते हुए केवल जैव अवषिष्ट, जैविक या जीवाणु खाद के प्रयोग से प्रकृति के साथ समन्वय रखकर टिकाऊ फसल का उत्पादन किया जाता है। जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है, तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाये रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है। सन् 1990 के बाद से विश्व में जैविक उत्पादों का बाजार आज काफी बढ़ा है। जैविक खेती वह सदाबहार पारंपरिक कृषि पद्धति है, जो भूमि का प्राकृतिक स्वरूप बनाने वाली क्षमता को बढ़ाती है। जैविक खेती किसानों के स्वावलम्बन की अभिनव योजना है। इसका मुख्य उदेश्य किसानों की आय को दोगुना कर जैविक खेती का प्रशिक्षण, प्रोत्साहन, तथा देश में किसानों को स्वावलम्बी बनाना है। जैविक खेती पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान है। संपूर्ण विश्व में बढ़ती हुई जनसंख्या एक गंभीर समस्या है, बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ भोजन की आपूर्ति के लिए मानव द्वारा खाद्य उत्पादन की होड़ में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग, प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थो के बीच आदान-प्रदान के चक्र को (इकोलॉजी सिस्टम) प्रभावित करता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो जाती है, साथ ही वातावरण प्रदूषित होता है तथा मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आती है।


Cite this article:
के.एल. मौर्य, चाँदनी कुशवाहा. जैविक कृषि का कृषकों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव का अध्ययन (सतना जिले के विशेष संदर्भ में). International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(1):1-0. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00001

Cite(Electronic):
के.एल. मौर्य, चाँदनी कुशवाहा. जैविक कृषि का कृषकों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव का अध्ययन (सतना जिले के विशेष संदर्भ में). International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(1):1-0. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00001   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2023-11-1-1


संदर्भ ग्रन्थ सूची:
1.      बीरेन्द्र बहादुर सिंह जैविक खेती पद्धति प्रबंधन एवं प्रमाणीकरण।
2.       राहुल कुमार तिवारी जैविक खेती के नए आयाम एवं प्रमाणीकरण।
3.       उधानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग जैविक खेती उप संचालक उद्यान जिला सतना (म.प्र.)
4.        जैविक खेती खुशहाल किसान परियोजना संचालक (आत्मा) किसान कल्याण तथा कृषि विकास जिला रीवा मध्य प्रदेश।
5.       हैड बुक ऑफ एग्रीकल्चर आई. सी. ए. आर. नई दिल्ली ।
6.       घरेलु कीटनाशक एवं मार्ग दर्शिका डेनिडा परियोजना रतलाम।
7.       आर्गेनिक फार्मिंग सिलेक्टेड लेक्चर्स कृषि महाविद्यालय, इंदौर।
8.        जैविक खेती समृद्ध कृषक संचालनालय, कृषि (म.प्र.) ।
9.        कुमार, प्रमिला एवं श्रीकमल शर्मा 1985 कृषि भूगोल मध्य प्रदेश ग्रन्थ अकादमी भोपाल।
10.       निदेशक जनगणना कार्यालय म. प्र. श्रंखला 23 जनगणना के अन्तिम आंकड़े ।
11.       एस एन लाल भारतीय अर्थव्यवस्था में सर्वेक्षण ।
12.       दत्त एवं सुन्दरम् व पी. के. गुप्ता कृषि अर्थशास्त्र एवं भारतीय अर्थव्यवस्था ।
13.        भारतीय कृषि की आर्थिक समस्याएं महेशचन्द्र।
14.        जिला संख्यिकीय पुस्तिका सतना।
15.        सतना जिला गजेटियर।
16.        आर्थिक सर्वेक्षण भारत सरकार।

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