ABSTRACT:
प्रस्तुत शोध पत्र का उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य में कृषि विकास के स्तर को ज्ञात करना एवं उसको प्रभावित करने वाले जनाकिकीय, आर्थिक एवं समाजिक कारकांे की व्याख्या है। यह अध्ययन कृषि सांख्यिकी 2011-12 एवं कृषि संगणना 2011-12 पर आधारित है। प्रस्तुत अध्ययन का आधार राज्य के 27 जिले हंै। कृषि विकास का स्तर ज्ञात करने हेतु कृषि से सम्बंधित 9 घटकांे का चयन किया गया है। 1. निरा फसली क्षेत्र का प्रतिशत 2. सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत 3. द्विफसली क्षेत्र का प्रतिशत 4. रबी फसल का प्रतिशत 5. रासायनिक खाद का उपयोग 6. प्रमाणिक बीजो का उपयोग 7. पौध संरक्षण यंत्रो की संख्या 8. टेªक्टर की संख्या एवं 9 प्रति हे. फसलों का उत्पादन। इन 9 घटकांे को उस घटक के माध्यिका से प्रतिशत ज्ञात किया गया है। प्रत्येक जिले में सभी 9 घटकों के इस प्रतिशत का औसत ज्ञात किया गया है। तत्पश्चात इस औसत से सभी नौ घटकांे का सहसंबंध ज्ञात किया गया है। 9 घटकांे के इस प्रतिशत को घटक विशेष के सहसंबंध से भार प्रदान किया गया है। इस भार का औसत ज्ञात कर संयुक्त सूचकांक ज्ञात किया गया है जो संबंधित जिले में कृषि के विकास के स्तर को व्यक्त करता है। छत्तीसगढ़ में कृषि विकास के स्तर का संयुक्त सूचकांक सबसे अधिक धमतरी जिले मे 647.7 और सबसे कम दन्तेवाडा जिले में 21.4 है। छत्तीसगढ़ को कृषि विकास के इस संयुक्त सूचकांक के आधार पर चार वर्गो में उच्च, मध्यम, निम्न एवं अति निम्न कृषि विकास के स्तर में बाँटा गया हैं। उच्च कृषि विकास के क्षेत्र मंे 9 जिले धमतरी, गरियाबंद, रायपुर, महासमुंद, बलौदाबाजार, बेमेतरा, बालोद एवं कबीरधाम शामिल हंै जहां संयुक्त सूचकांक 200 से अधिक है। इन क्षेत्रों में सम धरातल, उपजाऊ मिट्टी, सिचाई सुविधा एवं यातायात के साधन उपलब्ध है। इसके विपरीत अति निम्न कृषि विकास के क्षेत्र मंे 7 जिले बस्तर, कोन्डागांव, नारायणपुर, दन्तेवाडा, सुकमा, बीजापुर, एवं जशपुर शामिल हंै जहाँ संयुक्त सूचकांक 50 से भी कम है। ये क्षेत्र विषम धरातल , घने वन एवं अपक्षालित मिट्टी के क्षेत्र है जहांँ यातायात के साधनों की कमी है।
Cite this article:
अनुसुइया बघेल, गिरधर साहू. छत्तीसगढ़ में कृषि विकास के निर्धारक. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(3):201-213. doi: 10.5958/2454-2687.2018.00016.3
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अनुसुइया बघेल, गिरधर साहू. छत्तीसगढ़ में कृषि विकास के निर्धारक. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(3):201-213. doi: 10.5958/2454-2687.2018.00016.3 Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-3-1