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भवानी प्रधान
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डाॅ भवानी प्रधान
अतिथि व्याख्याए षासण् दिग्विजय महाविद्यालयए राजनांदगाँव
छण्गण्द्ध
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 6,
Issue - 4,
Year - 2018
ABSTRACT:
यषपाल हिंदी साहित्य के सषक्त हस्ताक्षर माने जाते हैं। साहित्य.साधना के क्षेत्र में कथा.सृजन की दृश्टि से यषपाल का विरल.विराट व्यक्तित्व है। समाज की वास्तविकताओं के प्रति प्रबुद्ध पाठकों को जागृत करना उनका मुख्य ध्येय रहा है। समाज की विडंबनाओं से आक्रोषपूर्ण अभिव्यंजना उनकी रचना प्रक्रिया रही है। सामान्य जन.जीवन की सुख.दुःखए हर्श.पीड़ाए त्रासदीए विभाजन का दंषए राजनीतिज्ञ कुटिलता आदि से भली.भाँति परिचित यषपाल का लेखन.कार्य यथार्थ की ठोस ज़मीन पर खड़ा है। कथ्य की दृश्टि.पथ पर रखकर ही उन्होंने अपनी कहानियों का संयोजन किया है।
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भवानी प्रधान. यषपाल की कहानियों का समीक्षात्मक मूल्यांकन. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(4):543-546.
Cite(Electronic):
भवानी प्रधान. यषपाल की कहानियों का समीक्षात्मक मूल्यांकन. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(4):543-546. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-4-28
संदर्भ-ग्रंथः
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3 यषपाल. धर्मयुद्ध. इलाहाबाद: लोकभारती प्रकाषन, संस्करण 1976, पृ. 115.
4 यषपाल. तर्क का तूफान. लखनऊ: विप्लव कार्यालय, संस्करण 1956, पृ. 40.
5 यषपाल. खच्चर और आदमी. लखनऊ: विप्लव कार्यालय, संस्करण 1975, पृ. 10.
6 यषपाल. ओ भैरवी. इलाहाबाद: लोकभारती प्रकाषनत्र 1976, पृ. 120-21.
7 गुप्त, सरोज यषपाल का व्यक्तित्व कृतित्व. अजमेर: अनुराग प्रकाषन, 1970, पृ. 191.
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