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हरिश कुमार साह, वेदवती मण्डावी
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हरिश कुमार साह1ू, डॉ0 (श्रीमती) वेदवती मण्डावी2
1शोधार्थी, पंडित रविशंकर शुक्ल महाविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ़
2सहायक प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष (राजनीति विज्ञान विभाग),
शास. वि. या. ता. स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग छत्तीसगढ
Published In:
Volume - 6,
Issue - 4,
Year - 2018
ABSTRACT:
जनजाति बहुल राज्य छत्तीसगढ़ की 30.6 जनसंख्या जनजातियों की है । राज्य में निवासरत 42 जनजातियों में से 5 जनजातियों को च्टज्ळ या विशेष पिछड़ी जनजातियों की सूची में शामिल किया गया है । बैगा जनजाति भी उन 5 विशेष पिछड़ी जनजातियों में से एक है । छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमा पर मैकल पर्वतों के घने वन में बैगा निवास करते हैं । ये वही बैगा जनजाति है जिनके अध्ययन के लिए वैरियर एल्विन महोदय प्रसिद्ध हैं । एल्विन ने सहभागी अवलोकन करके बैगा जनजाति पर गहन शोध कार्य किया और दि बैगा नामक पुस्तक की रचना की ।
जैसा कि विदित है कि प्रत्येक जनजाति की उत्पत्ति संबंधी अनेक कहानियां होती है जिसे वे आनन्द के साथ सुनाते हैं । ये कहानियां स्वयं की सत्यता तो सिद्ध नहीं कर सकती किन्तु इनके माध्यम से उस जनजाति के विषय में अनेक जानकारी प्राप्त होती है । इन कहानियों में बताए गये सिद्धांतों और बातों को जनजातियाँ गम्भीरता से सुनते हैं और जीवन में उतारते हैं ।
इसी प्रकार बैगा जनजाति की उत्पत्ति की भी अनेंक कहानियां हैं जिनसे उनके इतिहास और वर्तमान में उनके जीवन पद्धति के विषय में जानकारी प्राप्त होती ळे । छत्तीसगढ़ में विभिन्न स्थानों में इनकी उत्पात्ति की अलग अलग कहानियां हैं जो एक दूसरे से भिन्न हैं । किसी एक सर्वमान्य कहानी पर एकमत नहीं है । प्रस्तुत शोध पत्र में बैगाओं से साक्षात्कार के माध्यम से उनकी उत्पत्ति की कुछ कहानियों का उल्लेख किया गया है ।
Cite this article:
हरिश कुमार साह, वेदवती मण्डावी. बैगा जनजाति की उत्पत्ति सबंधी किवदंतियां. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(4):557-561.
Cite(Electronic):
हरिश कुमार साह, वेदवती मण्डावी. बैगा जनजाति की उत्पत्ति सबंधी किवदंतियां. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(4):557-561. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-4-32