Author(s):
अर्चना सेठी
Email(s):
Email ID Not Available
DOI:
Not Available
Address:
डाॅ अर्चना सेठी
सहायक प्राध्यापकए अर्थशास्त्र अघ्ययनशाला, प्ंा रविशंकरशुक्ल विश्वविद्यालयए रायपुर
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 7,
Issue - 1,
Year - 2019
ABSTRACT:
उदारीकरण और औद्योगीकरण के बाद कृषि की उपेक्षा का दुष्परिणाम महंगे खाद्यान्न के रुप में सामने आया । कृषि की उपेक्षा एवं द्धितीयक तृतीयक क्षेत्रों का विकास के कारण कृषि का सकल घरेलू राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान जहां 1950 में 55 प्रतिशत था वह 2014. 15 में 13 प्रतिशत हो गया।;तालिका 2 एवं रेखाचित्र 2द्ध।कृषि में निवेश समय की मांग थी जिसे अनदेखा किया गया इसका असर न केवल खाद्यान्न उत्पादन पर पडा वरन शहरों की ओर पलायन भी बढ गया जिससे शहरों में मकान पानी टांसपोर्ट की समस्या उत्पन्न हुई।आज भी देश की आबादी का बडा हिस्सा कृषि पर आश्रित है और उसे न केवल सहारा बल्कि गति देना भी जरुरी है।जी डी पी में विकास की दर सेवाक्षेत्र पर आधरित है इससे धन तो आता है लेकिन अधिक रोजगार देने में यह असमर्थ है बडे उद्योग चंद उद्योगपतियों के हांथ में है इनसे भी रोजगार सृजन ज्यादा नहीं होता आवश्यकता है कि कृषि का विकास किया जाय कृषि आधरित उद्योगों का विकास किया जाय साथ ही कुटीर लघु एवं मघ्यम उद्योगों का विकास किया जाय।कृषि में चुनौतियां अभी बहुत है तथा शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन पर सब कुछ निर्भर करेगा।योजनाओं का क्रियान्वयन भी अपने आप में बहुत बडी चुनौती है।
Cite this article:
अर्चना सेठी. भारतीय कृषि का विकास एवं शासकीय नीतियां. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(1):227-230.
Cite(Electronic):
अर्चना सेठी. भारतीय कृषि का विकास एवं शासकीय नीतियां. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(1):227-230. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2019-7-1-42