Author(s): मदन गोपाल पाटले, ए.के. पांडेय

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Address: मदन गोपाल पाटले1, डाॅ. ए.के. पांडेय 2
1शोधार्थी, अर्थशास्त्र अघ्ययनशाला, प्ंा रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालयए रायपुर
2प्राध्यापक, अर्थशास्त्र अघ्ययनशाला, प्ंा रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालयए रायपुर
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 7,      Issue - 1,     Year - 2019


ABSTRACT:
भारत एक कृशि प्रधान एवं गांवो का देष है गांवो के अधिकांष आबादी निम्न आय वर्ग की है जिसमें भूमिहीन मजदूर, सीमांत एवं लघु कृशक एवं समाज के आय कमजोर वर्ग के व्यक्ति सम्मिलित है देष में 79 प्रतिषत कृशक परिवार का जीवन स्तर केवल कृशि कार्य पर निर्भर है जिसमें कृशक परिवारों को छिपी हुई बेरोजगारी का सामना करना पडता है इसलिए ग्रामीण कृशक यथासंभव एवं यथाषक्ति अन्य विविध आर्थिक क्रियाकलापों से अपने जीवन स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास करते है जैसे पषुपालन, मुर्गी पालन, मतस्य पालन, तथा वानिकी आदि इसे ही रोजगार विविधीकरण कहते है इस प्रकार विविधीकरण के द्वारा कृशि क्षेत्र की बढती अनुत्पादकता, अदृष्य, बेरोजगारी निर्धनता जैसे गंभीर समस्या को दूर किया जा सकता है।


Cite this article:
मदन गोपाल पाटले, ए.के. पांडेय . छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के ग्रामीण कृशक परिवारों में रोजगार विविधीकरण-एक आर्थिक अध्ययन . Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(1):260-262.

Cite(Electronic):
मदन गोपाल पाटले, ए.के. पांडेय . छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के ग्रामीण कृशक परिवारों में रोजगार विविधीकरण-एक आर्थिक अध्ययन . Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(1):260-262.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2019-7-1-46


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