Author(s): नितेष कुमार मिश्र

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Address: डाॅ. नितेष कुमार मिश्र
सहायक प्राध्यापक, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति, एवं पुरातत्व अध्ययनषाला, पं.रविषंकर शुक्ल विष्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 7,      Issue - 2,     Year - 2019


ABSTRACT:
प्राचीन भारत में प्रतिमा तथा मूर्ति निर्माण की परंम्परा अत्यंत प्राचीन है हड़प्पा सभ्यता की कला विष्व प्रसिद्ध है। इसके बाद ऐतिहासिक काल के विभिन्न राजवंषों यथा मौर्य, शुंग, कुषाण, सातवाहन तथा गुप्त आदि ने कला को खूब पुष्पित एवं पल्लवित किया। पूर्व मध्य कालीन मूर्तिकला एवं प्रतिमा निर्माण की दृष्टिकोण से दक्षिण कोसल अति विषिष्ट रहा है यहाॅ पर शासन करने वाले शरभपुरिय, पाण्डुवंषी, सोमवंषी तथा कल्चुरि राजवंषों ने इस क्षेत्र में कला का अभूतपूर्व विकास किया। इस क्षेत्र में यदि प्रतिमा कला की प्राचीनता की बात करे तो मल्हार से प्राप्त द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व की चतुर्भुजी विष्णु की प्रतिमा उल्लेखनीय है अर्थात् हम कह सकते है कि द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व से यहाॅ प्रतिमा निर्माण प्रारंभ हो गया था उसके पष्चात लगातार उसका विस्तार होता गयज्ञं


Cite this article:
नितेष कुमार मिश्र. दक्षिण कोसल क्षेत्र में मूर्तिकला का उद्भव एवं विकास. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2):575-578.

Cite(Electronic):
नितेष कुमार मिश्र. दक्षिण कोसल क्षेत्र में मूर्तिकला का उद्भव एवं विकास. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2):575-578.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2019-7-2-50


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