ABSTRACT:
आदिवासी शब्द अपने आप में असीम, अनुपम और अद्भूत इतिहास संजोय हुए है। आदिवासी देष के छिपे हुए खजाने हैं। इनकी अपनी जीवन षैली है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में निवास करने वाली जनजातियों की परम्परागत वैचारिकी में परिवर्तन हो रहा है। जनजातिय समुदाय भारतीय समाज के प्रमुख अंग के रूप में अपनी विशिष्ट संस्कृति समाज व्यवस्था और रीति-रिवाजों के साथ विकसित हो रहा है।
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शीतेन्द्र कुमार साहू. आधुनिकीकरण के संदर्भ में आदिवासी विकास एवं समाज की भौगोलिक गतिशीलता का अध्ययन (छत्तीसगढ़ के बस्तर पठार के विषेष संदर्भ में). International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(4):139-4.
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शीतेन्द्र कुमार साहू. आधुनिकीकरण के संदर्भ में आदिवासी विकास एवं समाज की भौगोलिक गतिशीलता का अध्ययन (छत्तीसगढ़ के बस्तर पठार के विषेष संदर्भ में). International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(4):139-4. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2022-10-4-1
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