Author(s): प्रज्ञा त्रिवेदी, आभा तिवारी

Email(s): Email ID Not Available

DOI: Not Available

Address: प्रज्ञा त्रिवेदी1] आभा तिवारी2 1शोधार्थी, दूधाधारी बजरंग महिला स्नात. महाविद्यालय, रायपुर 2प्राध्यापक, दूधाधारी बजरंग महिला स्नात. महाविद्यालय, रायपुर

Published In:   Volume - 2,      Issue - 2,     Year - 2014


ABSTRACT:
समकालीन कविता में एक विशिश्ट प्रकार की कलात्मकता पाई जाती है। रुप, शिल्प का यह प्रवेश कविता के सुखद अनुभव हैं और अपने अनुभवों को सुखद कलात्मकता के साथ चित्रित करने के कारण उसकी शक्ति और सामथ्र्य में अभूतपूर्व वृद्धि भी हुई है। मानव-जीवन का यथार्थ प्रभाव सम्पन्नता के साथ हमारे सम्मुख हो रहा है । समकालीन कविता में जीवन का यथार्थ- अनुभव ही अभिव्यक्ति नहीं होता वरन् प्रतीकात्मक रुप से भी वह सामने आता है। कविता अपनी एक खास तकनीक और शिल्प के कारण समकालीन कविता में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बनाती है । केदार जी अत्यधिक संवेदनशील कवि हैं उनकी कविताओं से उनका दर्शन परिलक्षित होता है। कवि इतना अधिक संवेदनशील है कि ढे़ले के अंदर की सूक्ष्म आवाज, कीड़े-मकोड़ों की हल्की सी सरसराहट से उसे प्रतीत होता है कि कीड़े-मकोड़े किसी गुप्त प्रिंटर से रात भर खबरें छापते हैं मगर उन खबरों का कोई अखबार नहीं छपता -


Cite this article:
प्रज्ञा त्रिवेदी, आभा तिवारी. केदारनाथ सिंह के काव्य में सामाजिक-संवेदना. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(2): April. – June. 2014; Page 121-123.

Cite(Electronic):
प्रज्ञा त्रिवेदी, आभा तिवारी. केदारनाथ सिंह के काव्य में सामाजिक-संवेदना. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(2): April. – June. 2014; Page 121-123.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2014-2-2-6


Recomonded Articles:

Author(s): प्रज्ञा त्रिवेदी, आभा तिवारी

DOI:         Access: Open Access Read More

International Journal of Reviews and Research in Social Sciences (IJRRSS) is an international, peer-reviewed journal, correspondence in....... Read more >>>

RNI:                      
DOI:  

Popular Articles


Recent Articles




Tags