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डी.आर.मेश्राम
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डी.आर.मेश्राम
सहायक प्राध्यापक (वाणिज्य) शासकीय शहीद कौशल यादव महाविद्यालय गंडरदेही, जिला दुर्ग (छ.ग.)
Published In:
Volume - 2,
Issue - 4,
Year - 2014
ABSTRACT:
भूमिका- प्रस्तुत शोध पत्र लेखक के पी.एच.डी. उपाधि ‘‘छ.ग. राज्य में ग्रामीण रोजगार की वर्तमान स्थिति तथा भविष्य के लिए रणनीतियां विषय पर आधारित है। 2 फरवरी, 2006 को देश में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का क्रियान्वयन ग्रामीण विकास मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा किया गया है। 31 दिसंबर 2009 में योजना नाम बदलकर ‘‘महात्मा गाॅंधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी ’’ अधिनियम कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि ‘‘महात्मा गाॅंधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी’’ अधिनियम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहला कानून है। इसमें रोजगार मजदूरी गारंटी किसी अनुमानित स्तर पर नही है। महात्मा गाॅंधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का प्रचलित नाम मनरेगा है जो ग्रामीण क्षेत्र में वयस्क परिवार को एक वर्ष में 100 दिनों के अकुशलता कार्य पर रोजगार की गारंटी प्रदान करता है। रोजगार गारंटी अधिनियम का नियम -
1. महिला एवं पुरुषों में मजदूरी में कोई भेदभाव नही किया जावेगा।
2. मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक अथवा अधिकतम पाक्षिक आधार पर किया जावेगा।
Cite this article:
डी.आर.मेश्राम. महात्मा गाॅंधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम मजदूरी के भुगतान की गंभीर समस्या. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(4): Oct. - Dec. 2014; Page 223-225.
Cite(Electronic):
डी.आर.मेश्राम. महात्मा गाॅंधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम मजदूरी के भुगतान की गंभीर समस्या. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(4): Oct. - Dec. 2014; Page 223-225. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2014-2-4-7