ABSTRACT:
साम्राज्यवादी ताकते षक्ति ही अधिकार हैं‘‘ कि नियति से कार्य करती है और नेताजी भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के लंबे याचनायुक्त नरमपंथी आंदोलनों के परिणामों से समझ चुके थे की ऐसी ताकत का सामना करने के लिए सैन्य षक्ति का प्रयोग भारतीय आजादी के लिए नितान्त आवष्यक है, और यह जरूरी भी था, क्योंकि विरोधी वह षक्ति थी जिसका सूरज कभी डूबता नहीं था। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा इस नारे को देष की आजादी हेतु एक ब्रम्ह वाक्य रूप देने वाले सुभाष चंद्र बोस नेें भारतीय राष्ट्रवाद को देष की सीमाओं के बाहर तक नया मोड़ दिया। आजाद हिन्द फौज ने भारत की स्वतंत्रता के प्रष्न को ब्रिटिष साम्राज्य के संकुचित दायरे से निकालकर विस्तृत अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर ला खड़ा किया।
Cite this article:
प्रियांकी गजभिये. विश्व समुदाय को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ने की मुहिम और नेताजी सुभाष चंद्र बोस. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(2):129-2. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00019
Cite(Electronic):
प्रियांकी गजभिये. विश्व समुदाय को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ने की मुहिम और नेताजी सुभाष चंद्र बोस. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(2):129-2. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00019 Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2023-11-2-10
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची-
1- नेताजी सुभाष चंद्र बोस- श्री हरदान हर्ष, ष्याम प्रकाषन, जयपुर।
2- भारत के राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास-डॉ. ए.के. मित्तल, साहित्य भवन पब्लिकेषन, आगरा उ.प्र.।
3- संपूर्ण इतिहास- आधुनिक भारत-2 - एन.एन. ओझा, क्रॉनिकल बुक्स पब्लिकेषन, नई दिल्ली।