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बी. एल. सोनेकर, रंजना महिलांगे
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बी. एल. सोनेकर1, रंजना महिलांगे2
1सहायक प्राध्यापक, अर्थशास्त्र अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर(छ.ग.)
2शोध-छात्रा, अर्थशास्त्र अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर(छ.ग.)
Published In:
Volume - 1,
Issue - 2,
Year - 2013
ABSTRACT:
अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भारत प्राचीनकाल से ही सूती वस्त्रों एवं रेशमी वस्त्रों के निर्माण में प्रमुख स्थान रहा है। भारतवर्ष के छत्तीसगढ़ राज्य का भी कोसा उत्पादन में प्रमुख स्थान रहा है। जो कि राज्यों में कोसा उत्पादन की दृष्टि से दूसरा स्थान भी प्राप्त है। छत्तीसगढ़ में मुख्यतः कोकून कोसा, टसर कोसा, मलबरी कोसा जैसे सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली कोसा का उत्पादन अधिक मात्रा में होती हैै और कोसा विदेशों में भी निर्यात करते हैं जिससे छत्तीसगढ़ सरकार को आय के स्त्रोत भी प्राप्त होता है। अतः छत्तीसगढ़ राज्य में कोसा के उत्पादन के लिए अनुकूल जलवायु उपयुक्त मिट्टी, तापमान आदि कारक है जिसके कारण हजारों लाखों लोगों को आय प्राप्त होती है। जिससे लोगों के जीवन स्तर, खानपान एवं सामाजिक, आर्थिक स्थिति का विकास हो रहा है। इसलिए सरकार को यह भी चाहिए कि कोसा की उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए विभिन्न विकास योजनाएं बनाए। किसानों एवं श्रमिकों को प्रोत्साहित करे इसके लिए शिक्षा की सुविधा, उत्तम स्वास्थ्य सुविधा, ऋण की उपलब्धता, मजदूरी में वृद्धि इत्यादि सुविधा दे। इससे न कि छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारतवर्ष का विकास होगा, साथ ही देश की प्रति व्यक्ति आय एवं राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि होगी और देश का सर्वांगीण विकास होगा जिससे हम समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे।
Cite this article:
बी. एल. सोनेकर, रंजना महिलांगे. छत्तीसगढ़ राज्य में कोसा उद्योगों की उत्पादन स्थिति
(कोरबा जिले के विशेष संदर्भ में). Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 1(2): Oct. - Dec. 2013; Page 52-56.
Cite(Electronic):
बी. एल. सोनेकर, रंजना महिलांगे. छत्तीसगढ़ राज्य में कोसा उद्योगों की उत्पादन स्थिति
(कोरबा जिले के विशेष संदर्भ में). Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 1(2): Oct. - Dec. 2013; Page 52-56. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2013-1-2-8