Author(s): एन.पी. पाठक, सुरेश कुमार मिश्रा

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Address: डाॅ. एन.पी. पाठक1, सुरेश कुमार मिश्रा2
1प्राध्यापक (व्यवसायिक अर्थशास्त्र), अ.प्र.सिंह विश्वविद्यालय, रीवा (म.प्र.)
2शोधार्थी (व्यवसायिक अर्थशास्त्र), अ.प्र.सिंह विश्वविद्यालय, रीवा (म.प्र.)
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 10,      Issue - 4,     Year - 2022


ABSTRACT:
आधुनिक समय में किसी भी वस्तु का उत्पादन केवल उपभोग के लिए ही नहीं वरन् विक्रय के लिए भी किया जाता है। बडे़ पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन किए जाने से विपणन का क्षेत्र राष्ट्रीय से अन्तर्राष्ट्रीय हो गया है। वर्तमान उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के युग में भी आर्थिक व्यवस्था का एक पहलू उत्पादन है तो दूसरा उसका विपणन है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में कृषि उपज के विपणन का भी उतना ही महत्व है जितना कृषि उपज के उत्पादन का, क्योंिक भारतीय कृषि का स्वरूप आर्थिक विकास के साथ-साथ बदलता जा रहा है। अतः वर्तमान में समस्या वस्तुओं के उत्पादन की न रहकर उसके विपणन की है। भारत में कृषि विपणन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि देश की श्रम शक्ति का 64ः भाग कृषि क्षेत्र से आजीविका प्राप्त करता है तथा सकल घरेलू उत्पादन में कृषि का क्षत्रे का हिस्सा 20ः के लगभग है। आज बाज़ार तथा बाज़ार संबंधी क्रिया दोनों ही आर्थिक ढाँचे की महत्वपूर्ण क्रिया बन गई है। वर्तमान समय में कृषि का व्यावसायीकरण हो जाने से इसके विपणन की समस्या उत्पन्न हो गई है। यह कहना अनावश्यक नहीं होगा कि कृषि विपणनषका विकास कृषि के आधुनिकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है। सुविकसित ग्रामीण बाज़ार से ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास संभव है।


Cite this article:
एन.पी. पाठक, सुरेश कुमार मिश्रा. रीवा जिले में कृषि उपज की विपणन व्यवस्था-एक अध्ययन. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(4):192-8.

Cite(Electronic):
एन.पी. पाठक, सुरेश कुमार मिश्रा. रीवा जिले में कृषि उपज की विपणन व्यवस्था-एक अध्ययन. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(4):192-8.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2022-10-4-8


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