ABSTRACT:
मानव अधिकार वे सभी अधिकारो से है जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुडे़ हुए हैं। भारतीय संविधान के भाग- 3 में मूलभूत अधिकारों के नाम से वर्णित किये गये हैं और माननीय न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं। इसके अलावा अन्तर्राष्ट्रीय समझौते के फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा स्वीकार किये गये है और देष के न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय है, को मानव अधिकार माना जाता है। इसमें अधिकारों को प्रदूषण मुक्त वातावरण में जीने का अधिकार, अभिरक्षा में और अपमानजनक व्यवहार न होने संबंधी अधिकार षामिल है। मानव अधिकार प्रत्येक मनुष्य के मूलभूत अधिकार होते है, जो जीवन के लिए आवष्यक है। मानव जीवन की वे परिस्थितियां है जिनके बिना व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास नही कर पाता और न ही समाज के लिए उपयोगी कार्य कर सकता है। मानव अधिकारों के बिना मानव जीवन के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती है। भारत में सन् 1993 से पूरे राज्यों में फैली हुई है। संविधान की 7वी अनुसूची में अल्लिखित जैसा कि राज्यों पर लागू होता है। यह सितंबर 1993 के 28 वें दिन लागू होने के लिए समझा जाएगा। छत्तीसगढ़ में सीजी मानवाधिकार आयोग की स्थापना 16 अप्रैल 2001 को हुई थी। सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायधीष श्री जस्टिस के. एम. अग्रवाल को अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। पत्र संख्या 4139 जीएडी/2001 जिस तारीख से उन्होंने कार्यालय का प्रभार संभाला था। जिसमें छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले मंे मानवाधिकार की समस्या का अध्ययन है।
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सियालाल नाग. बस्तर जिले में मानवाधिकारों का अध्ययन. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(4):233-0. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00040
Cite(Electronic):
सियालाल नाग. बस्तर जिले में मानवाधिकारों का अध्ययन. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2023; 11(4):233-0. doi: 10.52711/2454-2687.2023.00040 Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2023-11-4-6
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