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हितेष कुमार1, हर्षित शर्मा
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हितेष कुमार1, हर्षित शर्मा2
1शोध छात्र, भाषाविज्ञान, साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला,
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ)
2छत्तीसगढ राज भाषा आयोग, शहीद स्मारक भवन, रायपुर (छत्तीसगढ)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 6,
Issue - 3,
Year - 2018
ABSTRACT:
हलबी और छत्तीसगढ़ी लोकभाषा दोनांे की भाषावैज्ञानिक यात्रा ष्इण्डो युरोपियनष् भाषा परिवार की सदस्यता से शुरु होकर उसके इण्डो-इरानियन शाखा से गुजरते हुए उसके उपशाखा इण्डो-आर्यन भाषा परिवार तक साथ चली, फिर भारत के पूर्वी व केन्द्रीय क्षेत्र में जाकर ये दोनों अलग हो गये। ष्छत्तीसगढ़ी ष् छत्तीसगढ़ राज्य में पूर्वी हिन्दी भाषा परिवार की एक सशक्त सदस्य बन कर उभरी, वहीं ष्हलबीष् भारत के पश्चिमी भाग में हल्बिक भाषा परिवार की सदस्यता तक सीमित न रह कर एक जीवन्त ष्लिन्गुआफ्रें्रकाष् बन गई, जो अपने ऐतिहासिक विकास क्रम में छत्तीसगढ के बस्तर इलाके में लोकभाषाओं के अनोखे पुर्नमिलन को रेखांकित करती है। आज समूचे भारत में 7 लाख लोगों द्वारा हलबी और 2 करोड़ लोगों के द्वारा छत्तीसगढ़ी बोली जाती है। इस शोध पत्र में स्वन-प्रकृति को आधार बना कर इन दोनों भाषाओं की एक नवीनतम घ्वनात्मक भाषा वैज्ञानिक तुलना प्रस्तुत की गई है जो उनके अनुवंाशिकता व ष्आद्य भाषाष् की पुर्नरचना को रेखांकित करती है ।
Cite this article:
हितेष कुमार1, हर्षित शर्मा. लोक भाषा ‘‘छत्तीसगढ़ी और हलबी‘‘ का एक घ्वनात्मक अध्ययन. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(3):325-332.
Cite(Electronic):
हितेष कुमार1, हर्षित शर्मा. लोक भाषा ‘‘छत्तीसगढ़ी और हलबी‘‘ का एक घ्वनात्मक अध्ययन. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2018; 6(3):325-332. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2018-6-3-21