Author(s): गिरजा शंकर गौतम

Email(s): dr.girjashankar@gmail.com

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Address: गिरजा शंकर गौतम केसरिया कुंज, कोटा, रायपुर (छ.ग.) *Corresponding Author

Published In:   Volume - 1,      Issue - 2,     Year - 2013


ABSTRACT:
‘छत्तीसगढ़ी’ छत्तीसगढ़ की राजभाषा है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह अर्ध मागधी से उत्पन्न दक्षिण कोसल की पश्चिमी बोली है। भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से यह एक सम्पन्न भाषा है तथा सामाजिक दृष्टि से यह एक संस्कृति हैं। छत्तीसगढ़ के सताईस जिलों के अतिरिक्त इसका प्रयोग सीमावर्ती राज्य उड़ीसा, महाराष्ट्र तथा झारखण्ड (छोटा नागपुर) तथा असम के चाय बागानों तथा मध्य प्रदेश के सीमावर्ती कुछ जिलों में बोली जाती है। दूरदर्शन, राष्ट्रीय-प्रसारण तथा आकाशवाणी इसका प्रयोग होता है वर्तमान में लगभग दो करोड़ जनसंख्या बोलचाल हेतु, व्यावहारिक जीवन में करती है। 11 जुलाई 2008 में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्ज़ा दिया जा चुका है तथा 14 अगस्त 2008 को ‘छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग’ का गठन किया गया। 3 सितम्बर 2010 को राजभाषा विधेयक को विधानसभा में मंजूरी मिली जिसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि हिन्दी के बाद छत्तीसगढ़ी को राजभाषा के रूप में अंगीकृत किया जा सकेगा।


Cite this article:
गिरजा शंकर गौतम. छत्तीसगढ़ीः रस भी, रंग भी, रूप भी. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 1(2): Oct. - Dec. 2013; Page 60-62.

Cite(Electronic):
गिरजा शंकर गौतम. छत्तीसगढ़ीः रस भी, रंग भी, रूप भी. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 1(2): Oct. - Dec. 2013; Page 60-62.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2013-1-2-10


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