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आर. के. तिवारी, रामसहोदर साकेत
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डाॅ. आर. के. तिवारी1, रामसहोदर साकेत2
1प्राध्यापक (अर्थशास्त्र), शास. महाविद्यालय, गुढ़, रीवा (म.प्र.)
2शोधार्थी (अर्थशास्त्र), शा. टी.आर.एस. महाविद्यालय रीवा (म.प्र.)
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 10,
Issue - 4,
Year - 2022
ABSTRACT:
भारत एक कृषि प्रधान देश है भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ एवं मजबूत बनाने में कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि अर्जित है, जो ग्रामीण आजीविका का एकमात्र व्यापक आधार है। भारत की आबादी का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा आज भी अपनी अजीविका के लिए कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों पर निर्भर है और कृषि क्षेत्र ही देश की कुल श्रम शक्ति का लगभग 50 प्रतिशत लोगों के लिए रोजगार का सृजन करता है। इसलिए इसे भारतीय अर्थव्यवस्था का आधारशिला भी कहा जाता है क्योंकि वर्तमान समय में कोविड-19 के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था के औद्योगिक व सेवा क्षेत्र में प्रगति नकारात्मक रही वही कृषि क्षेत्र आर्थिक विकास के उम्मीद की किरण बनी रहीं। भारतीय कृषि को ‘‘मानसून का जुआ’’ भी कहतें है क्योंकि यहाॅ आज भी लगभग 30 प्रतिशत किसानों की फसल प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर है। भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि के समक्ष आज भी कई चुनौतियाॅ मौजूद हैं, जो हमारे किसानों व अर्थव्यवस्था के लिए विकास में बाधक है क्योंकि आज भी हमारे पास विभिन्न प्रकार के आधुनिक संसाधनों की कमी के चलते हमारी कृषि महंगी होती जा रही है और हमारे किसान अशिक्षित व ऋण में डूबे हुए है। कृषि समस्त मानव जाति के जीवन का आधार है, आधारभूत तरीके से अनिवार्य आवष्यकताओं की पूर्ति के लिये कृषि रीवा जिले के सभी क्षेत्रो को आधारित एक रूप के प्रभाव के अध्ययन किया जाना चाहिए। जो भी कृषको एवं श्रमिको का आर्थिक विकास का संबंध कृषि क्षेत्र मे आदिकाल से जुड़ा है। कृषि का आर्थिक विकास मे कृषि का महत्वपूर्ण योगदान होता है। कृषि से संबंािधत आर्थिक क्रियाओ का अध्ययन किया गया है। कृषि के उस शषा से जिसमे कृषि संबंधी विभिन्न समस्याओं का नियमो एवं आदि का अध्ययन किया गया है। आज एक विकसित विज्ञान बन गया है। कृषि मे आर्थिक मानव की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। कृषि प्रदेष का प्राचीन प्रथम आर्थिक विकास किया है। कृषक के सामने हमेषा यह समस्या होती है। भूमि श्रम, पूँजी, का उपयोग किया जाना एवं कृषि के उत्पादन मे श्रमिको का योगदान महत्वपूर्ण होता है।
Cite this article:
आर. के. तिवारी, रामसहोदर साकेत. रीवा जिले के कृषि क्षेत्र की समस्याओं का आर्थिक विश्लेषण. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(4):169-6.
Cite(Electronic):
आर. के. तिवारी, रामसहोदर साकेत. रीवा जिले के कृषि क्षेत्र की समस्याओं का आर्थिक विश्लेषण. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2022; 10(4):169-6. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2022-10-4-5
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