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सुबोध कुमार शुक्ला
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डाॅ0 सुबोध कुमार शुक्ला
अतिथि विद्वान (वाणिज्य), शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अमरपाटन, जिला-सतना (म0प्र0).
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 8,
Issue - 3,
Year - 2020
ABSTRACT:
कोई भी देश जहाॅ की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान हो तथा कृषि ही उस देश की जनसंख्या के अधिकांश भाग के भरण-पोषण का एक मात्र आधार हो उस देश की सरकार का यह उत्तरदायित्व होता है कि इसकी उन्नति पर विशेष ध्यान दे। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् अपनी सरकार ने कृषि विकास के महत्व को स्वीकारते हुए योजनाओं मे इसको मुख्य स्थान दिया। कई स्थानों में किसान इस प्रकार की दयनीय स्थिति में है कि उनको दो वक्त की रोटी नसीब नही हो पा रही है और किसानो की सबसे बडी समस्या है उनके द्वारा लिया गया कर्ज जिसके मकड़जाल में किसान इस तरह फंसता है कि वह दूसरा उतर नही पात शायद इसी वजह से कई स्थानों से किसानों की खुदखुशी की खबरे आती है ये घटनायें हमारे राष्ट्र के लिए दुखपूर्ण है। इन किसानों को रिस्क से सुरक्षा प्रदान करने हेतु बीमा की जरूरत है, इस प्रयोजन को रिस्क से सुरक्षा करने हेतु बीमा की जरूरत है, इस प्रयोजन को पूर्ण करने हेतु इस कृषि बीमा योजना को प्रारंभ किया गया है। फलस्वरूप हरित क्रान्ति का सृजन और चलन हुआ, आधुनिक तकनीकी युक्त कृषियन्त्रों, कृषि उपकरणों, उन्नत बीजो का प्रचलन तथा रासायनिक उर्वरको के उपयोग में वृद्धि ने उत्पादन तथा उत्पादकता के स्तर को समुनन्त किया। कृषि के उन्नत के साथ कृषि विपणन व्यवस्था का उन्नत होना आवश्यक है, क्योंकि यह अनुभव किया जाने लगा है कि कृषि उत्पादों के विपणन का उतना ही महत्व है जितना स्वतः उत्पादन का वस्तुतः विपणन की क्रिया का अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि इसके द्वारा उपभोग और उत्पादन में सन्तुलन ही नही वरन् अधिक विकास का स्वरूप भी निर्धारित होता है।
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सुबोध कुमार शुक्ला. राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना का प्रबंध एवं क्रियान्वयन का मूल्यांकन (रीवा जिले के विशेष सन्दर्भ में). Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2020; 8(3):173-180.
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सुबोध कुमार शुक्ला. राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना का प्रबंध एवं क्रियान्वयन का मूल्यांकन (रीवा जिले के विशेष सन्दर्भ में). Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2020; 8(3):173-180. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2020-8-3-5
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