Author(s): सौदामिनी गुप्ता, शशिकांत मणि त्रिपाठी

Email(s): soudamini.saha@gmail.com

DOI: 10.52711/2454-2687.2025.00002   

Address: सौदामिनी गुप्ता1, शशिकांत मणि त्रिपाठी2
1पीएचडी योग स्कॉलर, सैम ग्लोबल यूनिवर्सिटी भोपाल, मध्यप्रदेश, भारत।
2एसोसिएट प्राध्यापक, योग विभाग, सैम ग्लोबल यूनिवर्सिटी भोपाल, मध्यप्रदेश, भारत।
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 13,      Issue - 1,     Year - 2025


ABSTRACT:
मनुष्य की सफलता उसके चिंतन और क्रिया दोनों पर निर्भर करता है। जब उसके चिंतन और क्रिया दोनों एक होते हैं तभी उसे सफलता मिलती है। सफल व्यक्ति अपना आत्मविश्वास कभी भी नहीं खोता। अपना मानसिक संतुलन कभी नहीं खोता। वह शक्ति सम्पन्न व्यक्ति होता है। उसके पास मानसिक शक्ति एवं संकल्प बल होता है। सफल व्यक्ति कभी भी हार नहीं मानता और संघर्ष करने से भी नहीं घबराता है। ऐसा नहीं है कि वह कभी हारता नहीं है पर वह अपनी योग्यता से उस हार को जीत में बदल देता है। उसके अंदर हमेशा सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं। ऐसा मनुष्य ही स्थितप्रज्ञ व्यक्ति की श्रेणी में आता है।


Cite this article:
सौदामिनी गुप्ता, शशिकांत मणि त्रिपाठी. श्रीमद्भगवद्गीता में स्थितप्रज्ञता. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2025; 13(1):6-14. doi: 10.52711/2454-2687.2025.00002

Cite(Electronic):
सौदामिनी गुप्ता, शशिकांत मणि त्रिपाठी. श्रीमद्भगवद्गीता में स्थितप्रज्ञता. International Journal of Reviews and Research in Social Sciences. 2025; 13(1):6-14. doi: 10.52711/2454-2687.2025.00002   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2025-13-1-2


संदर्भ सूची:-
1.     श्रीमद्भागवद्गीता 2.55
2.     आचार्य शंकर, शांकरभाष्य
3.     डॉ० प्रणव पण्डया, युगगीता भाग-1, युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, गायत्री तपोभूमि मथुरा, उत्तरप्रदेश
4.     श्रीमद्भागवद्गीता 2.56
5.     डॉ० प्रणव पण्डया, युगगीता भाग-1, युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, गायत्री तपोभूमि मथुरा, उत्तरप्रदेश
6.     श्रीमद्भागवद्गीता 2.57
7-     भूपेंद्र सान्याल, गीता प्रखंड,
8-     श्रीमद्भागवद्गीता 2.58
9.     डॉ० प्रणव पण्डया, युगगीता भाग-1, युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, गायत्री तपोभूमि मथुरा, उत्तरप्रदेश पृष्ठ-71-72
10.   श्रीमद्भागवद्गीता 2.59
11.   श्रीमद्भागवद्गीता 2.60
12.   श्रीमद्भागवद्गीता 2.61
13.   निरूपण-प्प्.64
14.   श्रीमद्भागवद्गीता 2.63
15.   श्रीमद्भागवद्गीता 2.64
16.   श्रीमद्भागवद्गीता 2.65
17.   श्रीमद्भागवद्गीता 2.67
18.   श्रीमद्भागवद्गीता 2.68
19.   श्रीमद्भागवद्गीता 2.69
20.   डॉ० प्रणव पण्डया, युगगीता भाग-1, युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, गायत्री तपोभूमि मथुरा, उत्तरप्रदेश
21.   श्रीमद्भागवद्गीता 2.70
22.   डॉ० प्रणव पण्डया, युगगीता भाग-1, युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, गायत्री तपोभूमि मथुरा, उत्तरप्रदेश
23.   श्रीमद्भगवद्गीता 2.71
24.   डॉ० प्रणव पण्डया, युगगीता भाग-1, युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, गायत्री तपोभूमि मथुरा, उत्तरप्रदेश, पृष्ठ-91
25.   श्रीमद्भगवद्गीता 2.72
26.   डॉ० प्रणव पण्डया, युगगीता भाग-1, युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, गायत्री तपोभूमि मथुरा, उत्तरप्रदेश
27.   श्रीमद्भागवद्गीता 4.18
28.   न्यायदर्शनम, आचार्य उदयवीर शास्त्री, प्रकाशक विजयकुमार गोविंदराम हासानन्द, दिल्ली, पृष्ठ 251

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