ABSTRACT:
मैत्रेयी के कथा साहित्य में नारी जीवन में आने वाली विभिन्न संघर्षों को उकेरा है। जो मुख्यतः समाज में महिलाओं पर लिंग भेदभाव पर हो रहे अत्याचार को प्रकाशित करते हैं। मैत्रेयी के एक-एक स्त्री पात्र संघर्ष करते नजर आते हैं। जैसे चाक के सारंग नैनी, इदन्नमम में मंदाकिनी, अल्मा कबूतरी के अल्मा एवं भूरी भाई तो झूलानट का शीलो, विजन में डाॅ. आभा व डाॅ. नेहा, बेतवा बहती रही के उर्वशी, अगनपाखी के भुवनमोहिनी और कही ईसुरी फाग की रजऊ या ऋतु, सरस्वती, मीरा गंगिया बेड़नी या करिश्मा बेड़नी, तो गुनाह-बेगुनाह उपन्यास की सुरिन्दर कौर, रेशमी, शारदा एवं इला चैधरी जैसे अनेक स्त्री पात्र अनेक संघर्षों से जूझती नजर आती हैं।
उपर्युक्त सभी उपन्यासों के कथानक या कथावस्तु भले ही अलग-अलग हो परन्तु उस कथानक के स्त्री पात्र पितृसत्ता नियमों के खिलाफ लड़ते नजर आते हैं। इसलिए मैत्रेयी जी स्त्री जीवन को लेकर लिखी गयी उत्कृष्ट कोटी के कथाकार हैं। जिनके साहित्य का केन्द्र बिन्दु स्त्री-विमर्श ही है।
मैत्रेयी जी अपने जीवनकाल में अनेक ऐसे घटनाएं देखी हैं या स्वयं उस घटना के शिकार हुए हैं जो उनके कथा-साहित्य में परिलक्षित होती है। अतः मैत्रेयी जी स्त्री विमर्श के यथार्थवादी कथाकार कहलाने के पात्र हैं। इसीलिए मैत्रेयी जी को स्त्री-विमर्श के उत्कृष्ट कोटी की कथाकार कहना अपेक्षित है।
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जीवन लाल. मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यासों मे स्त्री संघर्ष. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(1): Jan. – Mar. 2014; Page 07-09.
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जीवन लाल. मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यासों मे स्त्री संघर्ष. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(1): Jan. – Mar. 2014; Page 07-09. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2014-2-1-2