ABSTRACT:
छŸाीसगढ में मत्स्य पालन प्राचीन काल से परंपरागत रूप से किया जाता रहा है प्रदेश में मत्स्य पालन व्यवसाय सामान्यतः तालबों, नदियों के सामान्यतः प्रचलित है। भोज्य पदार्थ के रूप में यह जनजातियों के बीच लोकप्रिय रहा है, मत्स्य पालन व्यवसाय का प्रोटीन युक्त उत्तम गुणवत्ता के खाद्य होने के साथ ही आर्थिक महत्व को देखता हुए इस व्यवसाय को प्रोत्साहन देने के लिए वर्ष 1955 में मत्स्य पालन हेतु पृथक विभाग की स्थापना की गयी थी राज्य निर्माण के पूर्व यह विभाग मध्यप्रदेश शासन कृषि विभाग से सम्बद्ध रहा। छŸाीसगढ़ राज्य निर्माण के पश्चात् मत्स्य पालन विभाग का संचालन सहकारिता पशुपालन एवं मत्स्य पालन विभाग मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। जिला स्तर पर जिले में उपलब्ध जल क्षेत्र के आधार पर एवं प्रशासनिक ढाँचे की उपलब्धता के अनुसार विभाग द्वारा मत्स्य पालन का प्रबंधन किया जाता है।
मत्स्य पालन पोषाहार का स्तर बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार उपलब्ध कराने का महत्वपूर्ण साधन है, समाज के कमजोर वर्गो विशेषकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा ग्रामीणों को सस्ता जैविक प्रोटीन उपलब्ध कराने एवं ग्रामीण रोजगार की व्यापक सम्भावनाओं को देखते हुए राज्य में मत्स्य विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिसमें से 1.454 लाख हेक्टेयर जल क्षेत्र मछली पालन के अन्तर्गत विकसित किया जा चुका है जो कुल जल क्षेत्र का 91.73 प्रतिशत है।
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आशीष दूबे. छŸाीसगढ़ राज्य के विकास में मत्स्य पालन व्यवसाय की भूमिका. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(1): Jan. – Mar. 2014; Page 12-14.
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आशीष दूबे. छŸाीसगढ़ राज्य के विकास में मत्स्य पालन व्यवसाय की भूमिका. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(1): Jan. – Mar. 2014; Page 12-14. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2014-2-1-4
संदर्भ - ग्रंथ
1. छŸाीसगढ़ अनुसंधान केन्द्र वार्षिक प्रतिवेदन 2012-13, 2013-14
2. छŸाीसगढ़ मत्स्य कृशक विकास अभिकरण वार्षिक प्रतिवेदन
3. देशबन्धु संदर्भ छŸाीसगढ़ 2012-13, 2013-14
4. छŸाीसगढ़ वृद्ध संदर्भ
5. छŸाीसगढ़ जनमग-सितम्बर 2013
6. दैनिक समाचार पत्र