Author(s): के. एस. गुरूपंच, नागेश्वर प्रसाद साहू

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Address: के. एस. गुरूपंच1, नागेश्वर प्रसाद साहू2 1प्राचार्य, एम. जे. महाविद्यालय भिलाई (छ.ग.) 2छात्राध्यापक, एम. जे. महाविद्यालय भिलाई (छ.ग.)

Published In:   Volume - 2,      Issue - 2,     Year - 2014


ABSTRACT:
छत्तीसगढ़ में जल संसाधन विकास की असीम सम्भावनाएँ हैं। यहाँ की वार्षिक वर्षा का औसत देश की वार्षिक वर्षा से अधिक है, लेकिन पर्याप्त संरक्षरण नहीं होेने से इनके नियोजन एवं प्रबंधन में समस्याएँ आयी है। अतः इनके उचित प्रबंधन, वैकल्पिक एवं लाभकारी उपयोग को ध्यान में रखते हुए जल संसाधन संरक्षरण, नियोजन एवं प्रबंधन की अत्यंत आवश्यकता है। इन्हीं उद्देश्यों को लेकर शोध पत्र प्रस्तुत है। प्रकृति प्राप्त समस्त जैव-अजैव तत्व जिन्हें मानव अपनी बुघ्दि, श्रम व तकनिकी ज्ञान द्वारा अपनी आवश्यकता के अनुरूप परिष्कृत व संशोधित कर उसे अधिक उपयोगी बना लेता है, संसाधन कहलाते हैं। अर्थात् कोई भी वस्तु या उसका गुण जो मानव के लिए उपयोगी हो, संसाधन कहलाता हैं। स्ंासाधनों के घटते भंडार, कुछ संसाधनों की सदा के लिए समाप्ति, कुछ संसाधनों का प्रदुषण और कुछ के प्रति चेतना के अभाव के कारण भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर संसाधन संरक्षण, परिरक्षण और संवर्धन की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी है। सामाजिक वानिकी, वन्य जीव अभ्यारण्य, बाघ परियोजना आदि इसी के परिणाम हैं । जल संसाधन का प्रबंध और पदूषण नियंत्रण, मृदा संरक्षण, जनसंख्या नियंत्रण आदि संसाधन संरक्षण के कार्यक्रम हैं। ऊर्जा के पारम्परिक स्त्रोतों को बचाकर नये स्त्रोतों का विकास भी इसी का अभिन्न प्रयोग हैं। यदि सौर ऊर्जा, बायो गैस और बिजली का प्रचुर विकास हो जाए तो कोयला, तेल और गैस के अवशेष भण्डारों को अगली सदी तक प्रयोग किया जा सकता है। अतः संसाधन उपयोग से अधिक महत्वपूर्ण पक्ष संसाधन संरक्षण हो गया है। सतत् उपयोग वाले ऊर्जा स्त्रोतों से प्रदूषण का खतरा भी कम है। यही कारण है, कि संसाधनों के उपयोग की संहिता बनायी जा रही है। कुुछ देश कानून बनाकर संसाधन उपयोग और संरक्षण का वैधानिक आधार विकसित कर रहे हैं। भारत एवं छत्तीसगढ़ में वन विनाश को रोकने के लिए अनेक कानूनी व्यवस्थाएँ की गयी है। जैविक विविधता के संरक्षण के लिए अनेक स्तरों पर प्रयास जारी है। अभ्यारण्यों की श्रृंखला इसका प्रमाण है।


Cite this article:
के. एस. गुरूपंच, नागेश्वर प्रसाद साहू. छत्तीसगढ़ में जल संसाधन संरक्षण एवं प्रबंधन Water Resource Conservation and Management in the Chhattishgarh. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(2): April-June 2014; Page 138-143.

Cite(Electronic):
के. एस. गुरूपंच, नागेश्वर प्रसाद साहू. छत्तीसगढ़ में जल संसाधन संरक्षण एवं प्रबंधन Water Resource Conservation and Management in the Chhattishgarh. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(2): April-June 2014; Page 138-143.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2014-2-2-10


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