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ममता सिंह
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ममता सिंह
हिन्दी विभागाध्यक्ष, स्वामी विवेकानंद वि.वि., सिरौंजा, सागर (म0प्र0) पिन 470228
Published In:
Volume - 3,
Issue - 1,
Year - 2015
ABSTRACT:
साकते की कथा का मूलाधार परम्परागत राम-कथा ही है, किन्तु गुप्त जी ने उसमें पर्याप्त परिवर्तन कर दिये हैं । अपने युग की विचारधाराओं की उन पर काफी प्रभाव पड़ा है और इनके आधार पर ही उन्होंने अपने काव्य का रूप संवारा है । इस कारण उनके काव्य में पर्याप्त आधुनिकता निहित है । श्री त्रिलोचन पाण्डेय ने ‘‘साकेत’’ की आधुनिकता के तत्वों का विभाजन इस प्रकार किया है:-
1. बुद्धिवाद का प्रभाव,
2. पात्रों का नवीन रूप,
3. मनोवैज्ञानिकता,
4. पीठिका देना,
5. सामाजिक प्रभाव,
6. राष्ट्रीयता,
7. नारी-संबंधी दृष्टिकोण,
8. मर्यादित श्रृंगार वर्णन,
10. शैलीगत नवीनता एवं अन्य प्रसंग।
Cite this article:
ममता सिंह. रामकथा का आधुनिकतम काव्य है - साकेत. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 3(1): Jan. – Mar. 2015; Page 27-30.
Cite(Electronic):
ममता सिंह. रामकथा का आधुनिकतम काव्य है - साकेत. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 3(1): Jan. – Mar. 2015; Page 27-30. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2015-3-1-7