Author(s): डी.पी. चन्द्रवंशी

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Address: प्रो. डी.पी. चन्द्रवंशी
सहायक प्राध्यापक हिन्दी विभाग, शास. जे.एम.पी. महाविद्यालय तखतपुर, बिलासपुर (छ.ग.)

Published In:   Volume - 3,      Issue - 2,     Year - 2015


ABSTRACT:
लोक साहित्य किसी क्षेत्र विशेष में बंधा न रहकर संपूर्ण विश्व के लिए कल्याणकारी होता है। यह लोक जीवन की बहुआयामी अभिव्यक्ति का आईना हैं यह किसी भी राष्ट्र की बेशकीमती धरोहर है। जीवन के सुख दुख का वर्णन लोक साहित्य में नजर आता है। लोक साहित्य हमारी अनुभूतियों को उभारने में सक्षम है। जन जीवन के रंग तरंग की सुगंधित लोक अनुभव लोक साहित्य मे संभव है।


Cite this article:
डी.पी. चन्द्रवंशी. समकालीन परिप्रेक्ष्य और कला संदर्भो में लोकसाहित्य की उपादेयता. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 3(2): April- June. 2015; Page 85-88.

Cite(Electronic):
डी.पी. चन्द्रवंशी. समकालीन परिप्रेक्ष्य और कला संदर्भो में लोकसाहित्य की उपादेयता. Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 3(2): April- June. 2015; Page 85-88.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2015-3-2-9


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