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आर. प्रसाद, प्रीति वैष्णव
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प्रो. आर. प्रसाद1, प्रीति वैष्णव2
1प्रोफेसर, अर्थशास्त्र अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर छ.्रग.।
2मनसेवी सहा. प्राध्यापक, अर्थशास्त्र विभाग, भानुप्रताप देव शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कांकेर, छ.ग.।
Published In:
Volume - 4,
Issue - 2,
Year - 2016
ABSTRACT:
बैंक क्रियाओं के अभाव में आर्थिक विकास का मार्ग रूक जाता है। इसलिए बैंकिंग व्यवस्था को आर्थिक जगत का प्राण कहा जाता है।
अध्ययन क्षेत्र कांकेर जिला है जो कि जनजातिय बाहुल्य जिला है, अतः अध्ययन से यह ज्ञात करने का प्रयास किया गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक जनजातियों के विकास में कितना योगदान रखता है, इससे उनके व्यवसाय, रोजगार, आय तथा जीवन स्तर में क्या प्रभाव पड़ा है। बैंक द्वारा संचालित योजनाएं लाभार्थियों के लिए कितनी उपयोगी सिद्ध हो रही है।
छत्तीसगढ़ में बैंक की शाखाएं :-राज्य में बैंक की कुल 249 शाखाएं कार्यरत है, जिसमें से 205 शाखाएं ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, 26 अर्धशहरी क्षेत्रों में तथा 18 शाखाएं शहरी क्षेत्र में हैं। कांकेर जिले में छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक की 14 शाखाएं कार्यरत हैं।
जनजातिः-
भारतीय समाज विभिन्न प्रजातीय समूहों का संगम स्थल रहा है। समय - समय पर भारत ने विभिन्न समुदाय प्रवेश करते रहे हंै लेकिन कालान्तर में ऐसे सभी समूहों की सांस्कृतिक परम्परायें भारतीय समाज का अंग बन गई। इसके पश्चात् भी इनमें अनेक मानव समूह ऐसे थे जिन्होनें बाह्य सभ्यता के कुछ तत्वों को ग्रहण करने के पश्चात् भी अपनी मौलिक सांस्कृतिक विशेषताओं को नष्ट नहीं होने दिया। साधारणतः ऐसे समूहों को ही हम ‘जनजाति’ के नाम से संबोधित करते हैं।
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आर. प्रसाद, प्रीति वैष्णव. जनजातीय विकास में छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक की भूमिका - एक अनुशीलन कांकेर जिले के विशेष संदर्भ में. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 4(2): April - June, 2016; Page 115-120.
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आर. प्रसाद, प्रीति वैष्णव. जनजातीय विकास में छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक की भूमिका - एक अनुशीलन कांकेर जिले के विशेष संदर्भ में. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 4(2): April - June, 2016; Page 115-120. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2016-4-2-12