ABSTRACT:
हिन्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय कथा लेखिका गौरा पंत ‘शिवानी’ जन्मी भले ही गुजरात में पर उनके व्यक्तित्व में कुमाऊँ एवं बंगाल का संस्कृति का अद्भुत मिश्रण रहा है। उनकी बहुत सी कथा-कहानियों में जहाँ एक ओर कुमाऊँनी अंचल के लोक-जीवन का सुन्दर और सटीक चित्रण मौजूद है वहीं उनकी रचनाओं में तत्सम, समासयुक्त शब्दावली के साथ-साथ बांग्ला साहित्य और बांग्ला भाषा का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। इस प्रभाव के पीछे शिवानी के अपने पारिवारिक तथा वे प्रारंभिक शिक्षा संस्कार थे, जो उन्हें शांति- निकेतन आश्रम में नौ वर्षों के शिक्षाकाल में मिले।
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निधि कौशिक. शिवानी की कहानियों में स्त्री अस्मिता का संघर्ष. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 4(2): April - June, 2016; Page 121-126.
Cite(Electronic):
निधि कौशिक. शिवानी की कहानियों में स्त्री अस्मिता का संघर्ष. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 4(2): April - June, 2016; Page 121-126. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2016-4-2-13