Author(s):
मणि मेखला शुक्ला
Email(s):
Email ID Not Available
DOI:
Not Available
Address:
डाॅ. मणि मेखला शुक्ला
सहायक प्राध्यापक राजनीतिशास्त्र, कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भिलाईनगर, जिला दुर्ग छ.ग.
Published In:
Volume - 4,
Issue - 3,
Year - 2016
ABSTRACT:
अंर्तराष्ट्रीय राजनीति मे गुट निरपेक्ष नीति का एक महत्वपुर्ण स्थान है । द्वितीय विश्वयुद्व के पश्चात् यूरोप के सभी राष्ट्रो मे अपनी स्वतंत्रता को बनाये रखने की समस्या थी । तब दो महाशक्तियाॅ विश्व रंग मंच पर उभर कर सामने आई । ये महाशक्तियाॅ थी संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत समाजवादी गणतंत्र संघ इसी समय अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के अनेक देश औपनिवेशक दासता से स्वंतंत्र हो रहे थे । इन नवोदित राष्ट्रो ने स्वंय को महाशक्तियों के गुटो मे शामिल रहने की अपेक्षा गुट निरपेक्ष नीति को अपनाना उचित समझा ।
गुट निरपेक्षता की नीति का सर्वप्रथम उल्लेख सिंतबर 1947 मे वायसराय की कार्यकारी परिषद कि उपाध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू ने अपने प्रथम भाषण मे किया था । उन्होने कहा था कि “ वैदेशिक मामलो मे जहाॅ तक संभव होगा । हमारी प्रस्तावित नीति दुनिया के किसी भी गुट से दूर रहने की होगी । विश्व राजनीति मे अमेरिका एंव सोवियत संघ एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुये है । और हम इनके विवाद मे नही पडना चाहते । “
Cite this article:
मणि मेखला शुक्ला. गुट निरपेक्षता की नीति की सार्थकता भारत के संबंध में.
Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 4(3): July-Sept., 2016; Page 189-192.
Cite(Electronic):
मणि मेखला शुक्ला. गुट निरपेक्षता की नीति की सार्थकता भारत के संबंध में.
Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 4(3): July-Sept., 2016; Page 189-192. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2016-4-3-8