ABSTRACT:
भारतीय काव्य शास्त्र की परंपरा में ’बिम्ब‘ शब्द अपेक्षाकृत नया है। पुराने लक्षण ग्रंथों में इस शब्द का उल्लेख कहीं नही मिलता। केवल दृष्टांत अलंकार की चर्चा में बिंम्ब-प्रतिबिम्ब भाव का उल्लेख मिलता है जिसका आधुनिक कविता के बिम्ब से कोई सम्बंध नही। वस्तुतः हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में ’बिम्ब‘ शब्द के प्रथम प्रयोक्ता और व्याख्याता आर्चाय रामचन्द्र शुक्ल ही है।
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डा. (श्रीमती) अर्चना श्रीवास्तव. प्रो. भागवत प्रसाद मिश्र ‘नियाज‘ के काव्य में बिम्ब विधान.
Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2017; 5(2): 103-108 .