Author(s): रेणु सक्सेना, संध्या पुजारी

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Address: डाॅ. रेणु सक्सेना1, श्रीमती संध्या पुजारी2
1प्राध्यापक-विभागाध्यक्ष (हिन्दी), शास. नागार्जुन स्नातकोŸार विज्ञान, महाविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
2शोध-छात्रा, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 7,      Issue - 1,     Year - 2019


ABSTRACT:
प्रस्तुत उपन्यास में डाॅ. सत्यभामा आड़िल ने ‘एक पुरुष प्रेरणा बिन्दु से निर्वेद तट तक’ में सामाजिक चेतना तथा समाज में नारी को महत्व प्रदान करना एवं समाज और व्यक्ति के बीच जो भी समस्याएँ हैं, उन्हें भी सुधारने का प्रयास किया गया है। दलित वर्ग के शोषण के साथ-साथ नारी को भोग व विलासिता की वस्तु समझा जाता है। मानव जीवन में अनिवार्य रूप से सुधार करने, प्राचीन कुरीतियों को त्यागने का प्रयास भी इस उपन्यास का महत्वपूर्ण उद्देश्य है। आड़िल जी की भाषा सरल, सहज तथा विषयवस्तु के अनुरूप है। इस उपन्यास के माध्यम से यथार्थ एवं व्यक्ति के अतीत का अनुभव ही व्यक्ति को आगे बढ़ ने की प्रेरणा दे ता है।


Cite this article:
रेणु सक्सेना, संध्या पुजारी. सत्यभामा आड़िल के उपन्यास ‘एक पुरुष प्रेरणा बिन्दु से निर्वेद तट’ में नारी-पुरुष का अंतद्र्वन्द्व. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(1):174-178.

Cite(Electronic):
रेणु सक्सेना, संध्या पुजारी. सत्यभामा आड़िल के उपन्यास ‘एक पुरुष प्रेरणा बिन्दु से निर्वेद तट’ में नारी-पुरुष का अंतद्र्वन्द्व. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(1):174-178.   Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2019-7-1-31


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