ABSTRACT:
विश्व इतिहास में जनजातीय अथवा आदिवासियों की जीवन शैली आधुनिक युग में अपना विशिष्ट महत्व रखती है। आदिवासियों की संस्कृति प्राचीनतम है और इनकी अपनी चारित्रिक विशेषताएॅ भी हैं। ये अपनी संस्कृति की अस्मिता की रक्षा के लिए सदैव जागरूक रहे हैं और अपनी स्थापित संस्कृति, परम्पराएॅ, रीति-रिवाज, खान-पान, रहन-सहन, अवधारणाओं एवं मान्यताओं को चिरकाल तक अक्षुण्ण बनाए रखना श्रेयकर समझते हैं। वे आधुनिक भौतिक वैभवों को उपलब्ध कराने की अंधा-धुंध दौड़ से कोसों दूर काफी कुछ प्राकृतिक एवं स्वाभाविक परिवेश में ही जीवन-यापन करते हैं। निष्ठा, ईमानदारी ,परिश्रम और स्वच्छंदता उन्हें धरोहर में प्राप्त हैं तथा इनकी संरक्षा के लिए वे सर्वत्र कृत संकल्प रहते हैं। उसके पारम्परिक रीति-रिवाज आज भी यथावत् हैं, यद्यपि यह नहीं कि परिवर्तन का प्रभाव उन पर लेशमात्र न हुआ हो, किन्तु आधुनिकता से वे चैक पड़ते हैं। उनका जीवन-दर्शन ,सामान्य-जीवन-शैली व जीवन-दर्शन से सदियों पीछे हैं, किन्तु उन्हें असभ्य या असंस्कृत कहना समीचीन नहीं है। वे ऐसे संस्कार धानी हैं जो अपने अमूल्य धरोहर को चिरंतन बनाए रखने के लिए सदैव तत्पर रहे हैं। माड़िया भी आम भारतीय की तरह उत्सव प्रेमी हैं। कृषक होने के कारण इसके सभी उत्सव कृषि पर आधारित होते हैं। इनके जीवन में परम्परागत संस्कारों ,त्यौहारों एवं उत्सवों का अत्यंत महत्व है, जो इनके शुष्क, कठोर व संघर्षमय जीवन में सरसता और उत्साह का संचार करते हैं। वे लोग वर्ष भर पर्व या त्यौहार मनाते हैं और प्राय सभी त्यौहारों में नृत्य व गीत का आयोजन होता है। नृत्य इनके लिए मनोरंजन एवं तनाव दूर करने का एक सुगम साधन है। यहाॅ विभिन्न प्रकार के नृत्य प्रचलित हैं, जैसे- कक्साड़ ,गौर ,विवाह, गेड़ी ,जात्रा आदि।
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बन्सो नुरूटी. छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति माड़िया जनजाति के विशेष संदर्भ में. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2): 497-501.
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बन्सो नुरूटी. छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति माड़िया जनजाति के विशेष संदर्भ में. Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(2): 497-501. Available on: https://ijrrssonline.in/AbstractView.aspx?PID=2019-7-2-37